Shishir Ghatpande Blogs
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News Channels पर कुछ दिनों पहले ख़बर आयी कि युद्ध की स्थिति में भारत के पास १० दिन का भी गोला-बारूद नहीं है। आज ख़बर आयी कि सेना में सैनिकों-जवानों की भी भारी कमी।
माना कि ये दोनों ख़बरें संसद में दी गई जानकारी के आधार पर प्रसारित की गईं, लेकिन सवाल ये है कि इतनी संवेदनशील जानकारी को मीडिया में प्रसारित क्यों होने दिया गया? क्या इन ख़बरों को चीन-पाक़िस्तान ने नहीं देखा होगा? क्या इनके प्रसारण से देश की सुरक्षा को ख़तरा नहीं? क्या मीडिया के ऊपर कोई सीमा लागू नहीं होती?
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