देश विरोधी नारे भी लगे, देश के टुकड़े किये जाने की बातें भी की गईं लेकिन ऐसा करने वालों का बाल भी बाँका ना हो सका क्योंकि तथाकथित “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार” के तहत देश में किसी को भी किसी व्यक्ति या विषय पर अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है और देश विरोधी नारे लगाना या देश के टुकड़े करने की बात करना अर्थात “केवल मुँह से बोलना” देश विरोधी गतिविधि में सम्मिलित नहीं है……अब अहम सवाल ये उठता है कि क्या देश विरोधी नारे लगाने या देश के टुकड़े करने की बात करने वाले लोगों की मानसिकता देशप्रेम की होगी ? क्या उनके मन में देश के प्रति वफ़ादारी होगी ? और सबसे महत्वपूर्ण ये कि यदि भविष्य में उन्होंने देशद्रोह या देश विरोधी गतिविधि को अंजाम दिया या कभी देशद्रोहियों का साथ दिया तो उसका ज़िम्मेदार कौन होगा ? आज जो लोग उनके पक्ष में खड़े हैं, क्या वो ज़िम्मेदारी लेंगे ? या फ़िर ठीकरा सरकार के मत्थे फोड़ देंगे ?
तो क्या “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता” के नाम पर हमें कुछ भी सहन कर लेना चाहिये ? क्या देश या देश की अनमोल महान विभूतियों के साथ अभद्रता-दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही नहीं होनी चाहिये ? क्या भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी नहीं जानी चाहिये ?
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