निश्चित रूप से ये एक “जोखिम भरा साहसिक निर्णय” है क्योंकि भ्रष्टाचारियों के पास जमा लाखों करोड़ का कालाधन वाकई में काला हो गया या ये कहें कि राख़ के ढेर में तब्दील हो गया. उनके पास दो ही विकल्प हैं, कालाधन सरकार को सौंपकर शेष जीवन तिहाड़ में बिताएँ या रो-रो कर, घुट-घुट कर अपनी गाढ़ी काली कमाई को अपनी आँखों के सामने सड़ते या राख़ के ढेर में तब्दील होते देखें. नक़ली या जाली नोटों के कारोबारियों के लिये सबसे काला दिन और निर्णय. आतंकियों को फंडिंग करने वाले आकाओं के सामने अब आतंकवाद नहीं, फंडिंग सबसे बड़ी चुनौती. दाऊद जैसे कुख़्यात लोगों की तमाम गतिविधियों पर लगाम. भले ही अपेक्षानुसार कालाधन आया नहीं, लेकिन लाखों कालिये (कालेधन वाले) बर्बाद ज़रूर हो गए.
कुछ लोगों को ये सन्देह है कि ५०० और २००० रुपये के नये नोट आने पर कुछ समय बाद स्थिति पुनः यथावत हो जाएगी… उनका ये सन्देह पूरी तरह ग़लत है, क्योंकि ये सुनिश्चित किया जाएगा कि नये नोटों को छापने में जो तकनीक (स्याही-धागे-हस्ताक्षर इत्यादि) इस्तेमाल की जाए, उसकी चोरी या कॉपी कर पाना नामुमकिन हो.
निःसन्देह निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग को कुछ समय तक मुश्किलों का सामना ज़रूर करना पडेगा जैसे (१) ५००-१००० के नोटों के छुट्टे कराना (२) तब तक अपने घरख़र्च की व्यवस्था करना (३) भीड़, अफ़रा-तफ़री, थोड़ी अव्यवस्थाओं का सामना करना इत्यादि…. लेकिन कुल मिलाकर देशहित में ये ऐतिहासिक एवं सराहनीय निर्णय है जिसने मूल रूप से भ्रष्टाचारियों की कमर तोड़ कर रख दी है….
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