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(१) बाप बाप होता है (२) विराट कोहली “बाहुबली” (३) हम जीतने के लिये ही खेलते हैं (४) पाक़िस्तान में टीवी फ़ूटेंगे और भारत में तिरंगे लहराएंगे (४) पाक़िस्तानी टीम हमारे सामने अनुभवहीन (५) पाक़िस्तान का हमसे जीत पाना असम्भव जैसा (६) अभी तो हमारे ३ बल्लेबाज़ों ने ही बल्लेबाज़ी की है और तीनों ने मिलकर १००० से ज़्यादा रन बना डाले, बाक़ियों का तो अभी नम्बर ही नहीं आया है (७) हमारी बल्लेबाज़ी नम्बर ८ तक मज़बूत (८) हमारी फ़ील्डिंग पाक़िस्तान से बहुत बेहतर ……
ये घमण्ड भरे वो ही बोल-बच्चन हैं, जिनके बोझ तले दबकर, भारी दबाव और तनाव के चलते भारतीय टीम की शर्मनाक हार हुई….. जिसके ज़ख्म नासूर बनकर ताज़िन्दगी दिलों में रहेंगे, टीस देते रहेंगे….
टीम प्रबन्धन, कप्तान, खिलाड़ियों और विशेषकर Electronic Media को भी अब ये ग़लतफ़हमी दूर कर लेनी चाहिये कि हमारी Batting Line Up ८ नम्बर तक है क्योंकि एक नहीं अनेक बार साबित हो चुका है कि शुरुआत में एक-दो विकेट गिरते ही “तू चल मैं आया” कि तर्ज़ पर विकेटों की झड़ी लग जाती है और पूरी टीम ताश के पत्तों की तरह बिख़र जाती है….
आत्मविश्वास और अतिआत्मविश्वास में फ़र्क़ है… जब आत्मविश्वास आगे बढ़कर अतिआत्मविश्वास का रूप धारण कर लेता है तो वो सीधे-सीधे घमण्ड कहलाता है… इस शर्मनाक करारी हार का मुख्य कारण तथाकथित आत्मविश्वास ही है…. अब ज़रूरत है, धरातल पर बने रहने की… मुमकिन है, श्रीलंका के बाद पाक़िस्तान से शर्मनाक हार हमारी टीम और साथ ही साथ Electronic Media को भी धरातल पर ले आए….
ये भी सोचनीय है कि क्या ये राष्ट्रीय खेल की अवमानना किये जाने का भी दुष्परिणाम है ? तमाम Media, राजनेताओं, खेल पत्रकारों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों, देशवासियों का ध्यान और चर्चा का केन्द्र ये मैच ही था और हॉकी के महत्वपूर्ण मुक़ाबले की सभी ने अनदेखी-अवहेलना की… उसी हॉकी ने आज मान-सम्मान दिलाया, ज़ख्मों पर मरहम लगाया….
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