- 36 Posts
- 4 Comments
बुरहान की बरसी, बुरहान की बरसी, बुरहान की बरसी…। जी हां, १० जुलाई २०१७ को अमरनाथ (यात्रा) यात्रियों पर हुए हमले का सबसे बड़ा कारण यही था। चार दिनों से बार-बार लगातार सारा Electronic Media दिन-रात चिल्ला-चिल्लाकर एक साल पहले मरे हुए बुरहान के साथ-साथ उससे जुड़े मुद्दे को भी जीवित/ज्वलन्त करने का पुरज़ोर प्रयास कर रहा था। सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी ख़बर को चटपटी-मसालेदार बनाने और टीआरपी कमाने के लिये, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि वहशी, दरिन्दे आतंकियों ने इसे Provocative लिया। इसे अपनी इज़्ज़त और ताक़त के लिये Challenge समझा जिसके शिकार निर्दोष-मासूम हुए।
आतंकियों द्वारा निर्दोषों के ख़ून से खेली गई इस होली के ज़िम्मेदार Electronic Media/News Channels हैं। लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ का झण्डा उठाकर आप मनमानी नहीं कर सकते। जो मर्ज़ी नहीं दिखा-बता सकते। ख़बर दिखाने-बताने से पहले आपको उसके बाद होने वाले परिणामों, दुष्परिणामों को लेकर गम्भीरतापूर्वक विचार करना होगा।
देश-समाज की सुरक्षा से जुड़ी ख़बरों, सेना-सुरक्षा बलों की कार्रवाई से जुड़ी ख़बरों, आतंकियों से जुड़ी सभी प्रकार की ख़बरों के प्रसारण के सन्दर्भ में तत्काल प्रभाव से दिशानिर्देश अनिवार्य रूप से लागू किए जाने चाहिये। लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ के रूप में मीडिया की भूमिका राष्ट्र निर्माण की होनी चाहिये। विध्वन्सक की नहीं।
Read Comments