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क्या इस्लाम इतना कमजोर है कि ‘वंदे मातरम्’ से खतरे में आ जाएगा?

Shishir Ghatpande Blogs
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vandematram

विगत कुछ समय से ‘वन्दे मातरम्’, ‘भारत माता की जय’ बोलने और न बोलने की बाध्यता पर गम्भीर बहस छिड़ी हुई है. कुछ लोग ज़बरदस्‍ती बुलवाने पर तुले हुए हैं और न बोलने पर पाक़िस्तान चले जाने की हिदायतें और चेतावनियाँ देते फ़िरते हैं. वहीं, वर्ग-विशेष के कुछ लोग इन वाक्यों के बोले जाने को इस्लाम के ख़िलाफ़ या इस्लाम के लिये ख़तरा मानते हैं. हांलाकि मौलाना आज़ाद-अशफ़ाक़ उल्ला जैसे महापुरुष-क्रान्तिकारी इन वाक्यों के बोलने पर अत्यन्त गर्व और शान महसूस करते थे.

जावेद अख़्तर जैसे सम्मानित व्यक्ति संसद में गर्व के साथ ‘भारत माता की जय’ बोलते देखे-सुने गए. सलमान ख़ान जैसे सितारे हर साल गणेशजी की स्थापना-वन्दना करते हैं और इन लोगों को इसमें न तो इस्लाम के ख़िलाफ़ कुछ दिखाई देता है और ना ही अपने धर्म के लिये कोई ख़तरा. लेकिन कुछ बुनियादी सवाल बेहद ज़रूरी हो जाते हैं:

१. क्या संविधान में अनिवार्यता का उल्लेख न होने पर भी ज़बरदस्‍ती बुलवाया जाना और न बोलने पर देश छोड़ने की हिदायतें-चेतावनियाँ देना सही है?
२. क्या किसी से ज़बरदस्‍ती बुलवाकर उसके मन में देशभक्ति या देशप्रेम की भावना जागृत की जा सकती है?
३. क्या ज़बरदस्‍ती करके कुछ लोग अप्रत्यक्ष रूप से वर्ग विशेष के कुछ लोगों के मन में इन्हीं वाक्यों/नारों के प्रति विद्वेष-नफ़रत उत्पन्न करने का काम तो नहीं कर रहे?
४. क्या कुछ लोगों ने देशभक्त और देशभक्ति के सर्टिफ़िकेट बाँटने का ठेका ले रखा है?
५. देश संविधान से चलेगा या कुछ लोगों की मनमानी से?
६. क्या इन वाक्यों/नारों के बोले जाने से ही देशभक्ति-देशप्रेम प्रमाणित होगा?
७. क्या ‘जयहिन्द’, ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ और ‘हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद’ बोले जाने से देशभक्ति-देशप्रेम प्रदर्शित नहीं होते?
८. क्या इस्लाम इतना कमज़ोर है कि आज़ादी और देशभक्ति के प्रतीक ‘वन्दे मातरम्’ और ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष से ख़तरे में आ जाएगा?
९. क्या मौलाना आज़ाद-अशफ़ाक़ उल्ला जैसे सैंकड़ों मुसलमान राष्ट्रभक्त-क्रान्तिकारियों से आज इस्लाम धर्म के तथाकथित ठेकेदार बड़े हो गए?
१०. इस्लाम धर्म के कुछ तथाकथित ठेकेदार राष्ट्र से जुड़ी किसी भी बात को अपनी प्रतिष्ठा या ईगो का प्रश्न क्यों मान लेते हैं?
११. आज़ादी और देशभक्ति के प्रतीक ‘वन्दे मातरम’ या ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष/नारे/वाक्य RSS का एजेंडा कैसे हो गए?
१२. सरकार इस पर अपना मत-रुख़ स्पष्ट क्यों नहीं करती?

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