Shishir Ghatpande Blogs
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फ़िर वही तथाकथित दरियादिली-इन्सानियत. अबू दुजाना की लाश ले जाने के लिये भारत का पाक़िस्तान सरकार से सम्पर्क. वो हमारे शहीदों का अपमान करें और हम उनके आतंकियों का भी सम्मान?
दुजाना की लाश का हश्र ऐसा किया जाना चाहिये कि आतंक के रास्ते जन्नत और हूरों के ख़्वाब देखने वालों की आँखें खुल सकें. अबु दुजाना की लाश के मसले पर सरकार की हमारी इन्सानियत, भलमनसाहत, सभ्यता, संस्कृति, विश्व में सन्देश जैसी दलीलें बेकार हैं. ‘जैसे को तैस’ की तर्ज़ पर चलना चाहिये. दुजाना की लाश पाक़िस्तान को सौंपी जाए या नहीं, सरकार उन शहीदों के परिवारजन से पूछे जिनके शव क्षत-विक्षत किये गए.
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