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राजदूत तेरी याद में

शहर-दर-शहर
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स्कूटर और फियट की ओल्ड मॉडल को याद सब करते हैं लेकिन इस बीच में राजदूत मोटरसाइकिल को लोग भूलते जा रहे हैं। हिंदी बेल्ट के सुदूर देहातों में इस फटफटिया मोटरसाइकिल को लेकर एक जमाने में लोग सबसे अधिक क्रेजी हुआ करते थे। काली रंग की यह मोटरसाइकिल तब शान की सवारी हुआ करती थी। खराब सड़कों पे भी यह सरपट दौड़ती थी। हीरो होंडा और अन्य ओटोमोबाइल कंपनियों के हाथ-पांव पसारने के बाद राजदूत का स्पेस सिमटने लगा। वैसे आज भी बिहार के सुदूर देहात इलाकों में घरों के सामने यह मोटरसाइकिल आपको मिल जाएगी लेकिन बस खड़ी। चलने के लिए हीरो होंडा या बजाज की १२५ सीसी की बाइक को लोग प्राथमिकता दे रहे हैं।

अब अपनी बात
मेरे घर में ६७ मॉडल की राजदूत है। बीआरके ५४८५. अभी भी इसकी जवानी बरकरार है लेकिन यह उदास रहती है क्योंकि इसके बगल में बजाज की सीटी १०० इठलाती है। राजदूत की उदासी भी मुझे कई मायनों में अन्य मोटरसाइकिल की उदासी से रॉयल लगती है। मोटे टायर, बड़ी टंकी, न कोई ब्रांड प्रदर्शन बस किक मारिए और दौड़ने को तैयार। मुझे राजदूत की बड़ी टंकी और साइलेंसर सबसे अधिक पसंद है। आप इसे एंटिक लव कह सकते हैं लेकिन मेरे लिए यह पहला प्यार है।

फटफटिया बोले तो

ये भी कोई बात है कि आप चले और जमाने को इसकी परवाह ही न हो। राजदूत इस बात से परवाह रखता है इसलिए इसके सेलेंसर से आवाज आती है, वो भी धमाकेदार। हां, बुलेट इसमें आगे है लेकिन राजदूत रसिकों को इससे कोई मतलब नहीं कि कौन तेज आवाज में बोलता है। बस अहसास होना चाहिए कि आप सड़क पे शान से चल रहे हैं।

वो नहर, वो पगडंडी
आप यदि नहर की पगडंडी पर बाइक नहीं चलाएं है तो आप काफी कुछ मिस कर रहे हैं। खासकर कोसी के इलाके के नहरों पे। नहर पे एक पगडंडी होती है, लगभग दस ऊंगली की जगह, वो भी उबर खाबड़. जहां आपको अपने टायर को दौड़ाना होता है। यहां आपके बाइलेंस की परीक्षा होती है न कि आपके ड्राइविंग लाइसेंस की। ऐसे में राजदूत की याद सबसे अधिक आती है। १२५ सीसी की कोई और बाइक तो कांपने लगती है लेकिन राजदूत का भारीपन यहां हमें एक अलग अहसास देती है।

कांटी (किल) से स्टार्ट
राजदूत को मालिकाना हक की नजर से देखें तो यह इस तथ्य को दरकिनार करती है। यह मालिक के चाभी से इतर भी स्टार्ट होने से लालायित रहती है। बस कांटी का इस्तेमाल करिए और किक मारिए, दौड़ पड़ेगी आपकी धन्नो।

आज जब हम देखते हैं कि फलां बाइक कंपनी के ब्रांड अबेंसडर फलां खिलाड़ी या स्टार है तो सोचता हूं कि राजदूत का भी कोई ब्रांड एंबेसडर था क्या? मुझे पता नहीं है। अपने ज्ञान में मैंने पूर्णिया के फोर्ड कंपनी चौराहे पर इस्कॉर्ट के शोरूम के बाहर राजदूत के बैनर पे एक किसान का फोटो देखा था, तो क्या यही इसकी सबसे बड़ी ताकत थी, जरा आप भी सोचिएगा। ऐसी कई यादें और राजदूत मैनिया है मेरे जहन में, जिसे इन दिनों कुरेदने में जुटा हूं। राजदूत भी मेरे लिए अंचल है, एक कथा है, एक मानुष है।

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