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अन्ना को १५ जुलाई का अपना अनशन स्थगित कर देना चाहिए और बंद मुठ्टी बंद ही रहने देना चाहिए क्योकि इस अनशन में पूर्व की तुलना में १०%भीड़ का एकत्र होना भी असम्भव है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि जनता अन्ना के साथ नही है जनता तो अन्ना के साथ ही है क्योकि अन्ना टीम की ईमानदारी और राष्ट्रभक्ति पर उसे पूरा विश्वास है परन्तु उस विश्वास को बार बार कम धंधा छोड़कर सडक पर आकर साबित नहीं कर सकती और उसे बार बार इस बात के लिए मजबूर भी नही करना चाहिए क्योकि इससे कोई हल निकलने वाला नहीं है
एक तरफ अन्नाटीम का कहना है की जनलोकपाल पर सहमति जताना सांसदों के लिए ऐसा ही है जैसे अपने डेथ वारंट पर सहमति जताना तो वे ऐसा क्यों करेंगे यह तो असम्भव है और जब वे जानते है की यह असम्भव है और वे कभी इस पर सहमत नही होंगे तो फिर उनसे इसकी मांग करना समय और शक्ति खराब करना ही होगा . और दूसरी बात यह की मान भी ले की अगर जनलोकपाल लागू भी हो जाता है तो क्या उससे सब ठीक हो जायेगा नहीं यह सम्भव नहीं है सब कुछ ठीक करना है तो एक ही रास्ता है की अन्नाटीम खुद चुनाव लड़े अगर आप भी सचमुच देश से प्यार करते है तो अन्ना टीम को चुनाव लड़ाए क्योकि आजतक देश के सामने कोई विकल्प मोजूद नहीं था वे सांप नाथ या नागनाथ में से किसी एक को चुनने के लिए विवश थे अब देश के सामने अन्नाटीम के रूप में एक ईमानदार विकल्प मोजूद है समूचा देश एक जुट होकर अन्नाटीम को स्पष्ट बहुमत से विजयी बनाएगा और देश को एक भरोसेमंद ईमानदार सरकार प्राप्त होगी और अन्नाटीम भी अपनी ईमानदारी की शक्ति को देश के हित में खुलकर लगा सकेगी इसलिए अन्नाटीम से विनम्र निवेदन है कि वह अब अपनी शक्ति अनशन आंदोलनों में लगाने के स्थान पर चुनाव की तैयारी में लगाये
अन्ना टीम अगर चुनाव लड़ने से इंकार करती है और चुनावी राजनीति से तठस्थ रहती है तो वह देश के प्रति अपराध माना जायेगा देश ने उन पर जो विश्वास किया है उसका अगर वे सही उपयोग नहीं करते तो वे एक ऐसा अवसर चूकते है एक ऐसी सम्भावना से चूकते है जो देश का भाग्य बदलने की शक्ति रखती है यह अच्छे से याद रखे कि न तो ऐसा अवसर आज तक किसी को मिला है न ही भविष्य में ऐसा विश्वास / समर्थन कभी किसी को भी मिलने की उम्मीद है नही है यह भी याद रखे कि जो कुछ गलत काम करते है सिर्फ वह ही दोषी नही होते बल्कि वे अधिक दोषी होते है जो इस स्थिति में तो होते है कि वे प्रभावी हस्तछेप कर सकते है परन्तु वे नही करते है – क्योकि – दोषी नही है केवल व्याघ्र जो तठस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध – गिरीश नागडा
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