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लघु कथानक ….
विस्तृत फैली शमशान भूमि ……. । …… घने सरकण्डे के जंगल के बीच बहती हवा का साँय साँय स्वर मन को कौंधा दे रही थी।श्यालों की अवाज और कुत्तों का रोना भयवाहता को और प्रगाढ़ बना रही थी। पर इस नीरवता को चीरते हुए अघोरी के पग रुक रुक नहीं रहा था।कूप घनघोर अँधेरा, अमावस की रात फिर भी जलती चिताओं के प्रकाश में वे पग निरन्तर आगे ही बढ़ रहे थे।
सहसा अघोरी ठिठक गया । पैरों में न टूटने वाली जड़ता समा गयी। शमशान में शव पंचभूत में सम्माहित होने के लिए आते हैं, शून्य में विलीन होने के लिए, वहीं एक शव पड़ा हुआ था जिसके हाथ में एक स्याह चित्र रह रह कर स्पंदित हो रहा था।
एक चित्र दिखाता शव अघोरी का मार्ग रोककर प्रश्न कर रहा है। अघोरी ठिठका और चित्र देखकर शून्य में देखता रह गया।
शव ने चेतावनी सी दी और कहा- “यदि तुम जानबूझकर चुप रह गए तो इतिहास तुम्हें सदैव अपराधी ठहराएगा और तुम प्रेत बनकर भटकते रहोगे। सत्य के पक्षधर बनो अघोरी ! और महाकाल , कालभैरव के न्याय से डरो।”
अघोरी ने बोलना प्रारम्भ किया- “1970 के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित बहुचर्चित दक्षिण भारतीय अभिनेत्री, संस्कार फ़िल्म से विश्वप्रसिद्ध हुई कलाकार, कन्नड़, तमिल और तेलुगु सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री और प्रोड्यूसर। यह और कोई नही, स्नेहलता रेड्डी है। वही जिसने अपने पति के साथ मिलकर इंदिरा गांधी के आपातकाल के विरुद्ध सड़कों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और बदले में उसे जेल में डालकर इतना मारा गया कि मर गई।”
गत दिनों मोदी की सरकार को किसी भी तरीके से नीचा दिखाने के लिए सबकुछ करने को तैयार सिनेमा कलाकारों को देख बरबस स्नेहलता याद आ गई जिसके बारे में मधु दण्डवते ने लिखा है कि रात को उसकी हृदयभेदी चीखें मेरे सेल तक आती थी और मैं सोचता था कि यदि ईश्वर है तो उसे यह अधर्म क्यों नहीं दिखता।
छोटे बच्चों सी सरलता और चपलता से भरपूर इस कलाकार को जिस बेदर्दी से मार डाला गया उसे याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
स्नेहलता अकेली नही, ऐसी हजारों युवतियां और युवक थे जिनका अंत कर दिया इंदिरा गांधी ने। राहुल गांधी ठीक कहते हैं कि कांग्रेस एक सोच है। एक घृणित सोच जिसमें आजतक कोई परिवर्तन नहीं हुआ। मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ इंडिया गेट पर प्रियंका गांधी और उसकी बच्ची के तन को टटोलने वाले कांग्रेसियों के बारे में सुनकर।
कोई कह दो राहुल गांधी से कि यदि आप बेटियों की सुरक्षा चाहते हैं तो कांग्रेस की उस घृणित सोच को समाप्त करिए। स्नेहलता रेड्डी की चीखों को याद करो और इंदिरा का गुणगान करने वाले भारतीयों से पूछो की वे इंदिरा को कितना जानते हैं। नेहरु को कितना जानते हैं जिनकी रंग मिज़ाज़ियों के क़िस्से भरे पड़े हैं। पूछो की वो महात्मा कहे जाने वाले गांधी को कितना जानते हैं जिन्होंने अनेको महिलाओं का स्वत्व, शारीरिक-मानसिक शोषण के ज़रिए अपनी ब्रह्मचर्य परीक्षण की बलि वेदी पर भेंट किया। कांग्रेस एक सोच ही है राहुल, और यह बहुत गन्दी सोच है।
लोकतंत्र को बचाने के लिए इसे समाप्त होना पड़ेगा।”
शव स्तब्ध रह गया और अघोरी मार्ग पर बढ़ चला। उसके पदचाप से स्वर आ रहे थे….
“कोटि कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले।”
गोलोक बिहारी राय
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