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घोषणा कर दी जाये कि…
1. आज के बाद घर के बाहर कचरा डालने वाले पर जुर्माना किया जायेगा।
2. आज के बाद कोई अतिक्रमण करेगा तो सामान जब्त कर जुर्माना भी किया जायेगा।
3. आज के बाद बिना अनुमति मकान, दुकान, फैक्ट्री, धार्मिक, सामाजिक या किसी भी प्रकार का निर्माण जेल के दरवाजे दिखाएगा।
यह डेडलाइन अन्तिम मानी जाये। सभी विभागों को एलर्ट कर दिया जाये। जिसके क्षेत्र में उसके विभाग से सम्बन्धित अनियमितता हुई तो क्षेत्र के विभागीय व्यक्ति भी सजा पायेंगे। कहीं गन्दगी न मिले, सभी स्ट्रीट लाइट रात को जलती मिलें।
आए दिन झाड़ू लेकर नेता व अधिकारियों के फोटो खिंचवाने से गांधी का चश्मा धुंधला पड़ गया है। पहले कचरे का स्त्रोत बंद करो फिर फोटो खिंचवाना। पहले मुनष्यों द्वारा फैलाई गन्दगी 100 प्रतिशत बंद हो। घर का कूड़ा घर के दो डस्टविन में, घर के सामने का कचरा नुक्कड़ के डस्टविन में। जापान से बुलेट ट्रेन बाद में लाऐंगे, पहले जापान से घर के बाहर की लेन का अपने घर की हद तक का टुकड़ा साफ रखने का विचार अमल में लाया जाय।
किसी ने अभियान चलाकर नगर का कोई टुकड़ा साफ करवा दिया। नेता अधिकारियों के भाषण व उपस्थिति हो गयी। अभियान के साथ मार्केटिंग हो गयी। परन्तु, सप्ताह भर में वही पुराना कूड़े के ढेर का सीन दिखाई देगा। कहते हैं कि उपचार से बचाव अच्छा “Prevention is better than cure”, तो पहले अपने से सफाई की आदत डालें। डाक्टर ने रोग के लक्षण तो ठीक कर दिए, परन्तु रोग की जड़ पेट में जा रहा बेमौसम अनाप-शनाप खाना जारी है, तो बीमारी के लक्षण फिर उभर आयेंगे।
प्रश्न केवल उस कूड़े का रह जायेगा जो मानव जनित नहीं है। पेड़ों से गिरते पत्ते, धूल आदि को हैन्डिल करना सफाई कर्मचारियों के लिए मुश्किल नहीं होगा। दिन में दो बार सार्वजनिक स्थलों पर झाड़ू लगेगी, तो हमारी सड़कें भी चकाचक साफ रहेंगी। सर्वाधिक दिक्कत तो हमारे प्यारे पालतू जानवर से है, जिन्हें घर में अपने साथ बैठाते, खिलाते प्यार करते हैं, परन्तु शौच के लिए गली में भेजते हैं।
करोड़ शौचालय बन जायें, यदि हमारे पालतू जानवर सड़क पर ही निवृत्त होंगे, तो समूची गली के घर गन्दे हो जायेंगे। डाॅ. राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि हमारे नौजवान जूते पहनकर रसोई में जाना पश्चिम का फैशन मानकर नकल करते हैं, किन्तु नहीं समझते कि उधर की सड़कें पानी या पेट्रोल से धुली साफ-सुथरी होती हैं, जबकि यहां सर्वत्र मल-मूत्र बिखरा रहता है।
डेडलाइन खीचकर अतिक्रमण तो क्या वाहन तक मार्ग में खड़े करने को पाबंदी रहे। पुराने भवन जो बन गये हैं, उनसे अर्थ दण्ड वसूल कर या शिथिल नियमों में ढील देकर नियमित करा दिया जाय। अर्थ दण्ड भवन स्वामी व निर्माण के दौरान तैनात अधिकारी/कर्मचारी से भी वसूला जाय।
समय अभी भी है, वर्ना फोटो खिंचती रहेंगी, गांधी सिसकते रहेंगे और सड़ांध फैलती रहेगी। सफाई अभियानों में नेताओं, अधिकारियों व पत्रकारों से अधिक उनको स्मरण करता हूँ, जिन्होंने गटर सफाई के कर्तव्य को निभाते हुए गटर में दमघोंटू जहरीली गैस से अपना जीवन कुर्बान कर दिया।
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