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ममता का सिला

MyVision-With the Life and Religion
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माँ के सीने से चिपके रहने वाले बच्चे

पता नहीं कब खुद को बड़ा मानकर
ममता का दामन छोड़ देते हैं, 
पर माँ के ज़ज़्बात पूरी ज़िंदगी उसे बड़ा नहीं मानते
उपेक्षा के बावज़ूद हर पल ज़बरदस्ती
उसे संस्कारों और सीखों का निचोड़ देते हैं,
बच्चा उकता जाता है
पर माँ सब्र नहीं खोती,
बच्चा रोमांस की दुनिया में खो जाता है
और बच्चे के लिए दुआ माँगती माँ
पूरी जिंदगी नहीं सोती,
ज़रा सी आहट पर जग जाती है,
बच्चे पर कोई अनहोनी न घटे
हर पल उसे यही चिंता सताती है,
हर माँ और बच्चे के बीच गुजरते है ये पल
न बच्चा सुधरता है और न ममता बदलती है,
एक उपेक्षा करता चला जाता है ममता की
और दूसरी अपनी भावना नहीं बदलती है,
या परवदिगार कौन सा दिल दिया है तूने माँ को
मेरे मालिक़ बता दे,
पर उसके ज़ज्बातों और उसकी ममता का
उसे ऐसा तो न सिला दे,

गोपालजी

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