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लाइफ आप को इतना समय नही देती की आप विचार कर सके ? या बहुत विचार कर सके ? या फ्यूचर या रियल स्टिक विचार कर सके ? इसलिए आप को कही न कही एंगेज कर देती है और वही एंगेजमेंट कर्म का रूपांततरण बनता है या वही नियति होती है सामान्यतः पैसा ,परिवार , लव ,बीमारी,रिस्पॉन्सविलटीज आदि किसी न किसी मेटर से लाइफ आप को अटेच कर देती है तथा आप “”अनरीमिटिंग स्ट्रगल “”में जीते जाते हैं ,
जबकि कर्म का क्षेत्र व्यापक होता है जो समझदार तथा कमसमझदार आदि सभी लोगो को प्रभावित करते है इसके विपरीत विचार हर किसी को प्रभावित नही करते है क्योंकि वे उन्ही को प्रभावित करते हैं जो उन्हें समझ सकते है इसलिए सोच का क्षेत्र सीमित है ।
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