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Contest- “नव परिवर्तनों के दौर में हिन्दी ब्लॉगिंग”

Meri tanhayi
Meri tanhayi
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वर्तमान समय में देश में हिंदी हाशिये से बाहर होती प्रतीत होती है, अंग्रेजी हुकूमत भले ही ख़तम हो गयी हो लेकिन देश में अंग्रेजियत का चोला ओढने वालों की कोई कमी नहीं है। चाहे वो खुद हमारी सरकार या अदालत ही क्यूँ न हो हर कोई अंग्रेजी को ही वरीयता देता है और हिंदी को गरीबों और निम्न वर्ग के लोगों की भाषा समझकर तिरस्कार की नज़रों से देखता है। अब ऐसे मुश्किल वक़्त में जागरण का ब्लॉग जंक्शन रेगिस्तान में बारिश की फुहारों सा लेकर आया है क्यूंकि ब्लॉगिंग तो कई सालों से इन्टरनेट पर चालू है और रचनाकार लोग अपने ब्लॉग के माध्यम से पाठकों से जुड़े हुए भी थे मगर देवनागरी की जगह अधिकतर ब्लॉगर हिंगलिश यानि रोमन शब्दों का प्रयोग करते थे, चाहते तो हम जैसे कई लोग थे कि शुद्ध हिंदी यानि देवनागरी में अगर ब्लॉगिंग की जाये तो अपनी रचना को सही रूप में और सही भाव में अपने पाठकों तक पहुचाया जाये लेकिन वही हिंदी टाइपिंग की समस्या आड़े आती थी, एक तो इन वर्षों में हिंदी टाइपिंग में काफी हद तक सुधार हुआ और रोमन में हिंदी टाइपिंग का सॉफ्टवेयर भी आ गया जिस से हिंदी टाइपिंग न जानने वाले भी शुद्ध हिंदी में अपने सन्देश भेजने में समर्थ हो गए और सबसे बड़ी बात ये कि जागरण ने अपने समाचारपत्र के माध्यम से हर वर्ग, हर आयु और हर क्षेत्र से लोगों को ब्लॉग से जोड़कर एक तरह से हिंदी ब्लॉगिंग में क्रांति ला दी।
मैं भी कभी-कभी अपने ब्लॉग में अपनी रचनाएँ पोस्ट कर देता हूँ और अब देखता हूँ कि अधिक संख्या में लोगों ने हिंदी में पोस्ट करना शुरू कर दिया है। जबकि पहले हिंदी में रचनाएँ बहुत ही कम देखने को मिला करती थी। और साथ ही ब्लॉगर के अच्छे पोस्ट को जागरण में स्थान दे कर उसे एक तरह से पुरुस्कृत भी करने से हिंदी में ब्लॉग लिखने वालों की संख्या बढ़ी है, ज्यादातर लोगों के दिल में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का जूनून तो होता है मगर सही माध्यम न मिल पाने से और सही तरीका न आने से लोग मायूस हो कर अपनी भावनाओं को अपने दिल में ही दफ़न कर दिया करते थे लेकिन अब हर इन्टरनेट का जानकार चाहता है कि भले ही वो कहानी, कविता या ग़ज़ल आदि न लिख सके लेकिन देश और समाज में चल रही समस्याओं और अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा करे। खुली बहस आदि में भाग ले कर भी लोग अपनी उपस्थिति नेट में दर्ज करवाने लगे हैं।
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ब्लॉग का दूसरा रूप ग्रुप आदि बनाकर अपनी पसंद को अपने साथियों के साथ साझा करना हो चुका है, अब तो फेसबुक पर भी देवनागरी के दर्शन होने लगे हैं और अपने देश के खुद को देशभक्त कहलाने वाले अंग्रेज भले ही हिंदी की उपेक्षा करते हों लेकिन वहाँ पर विदेशों में रहने वाले हिंदी सीखने को आतुर दिखाई देते हैं, एक तो हमारे देश में एक से के महान व्यक्ति हुए हैं उनकी प्रेरणादायक बातों से, हिन्दू धर्म और अध्यात्म की बातों से प्रभावित होकर भी कई विदेशी हिंदी पढने के लिए गूगल ट्रांसलेटर की मदद लेकर उसका जवाब भी हिंदी में ही देते हैं तो गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। हिंदी का सच में कोई जोड़ नहीं है लेकिन उपेक्षा और राजनीति के कुचक्र में फंसी होने की वजह से इसका समुचित विकास नहीं हो पाया वरना अपना देश चीन जैसे देशों से कहीं ज्यादा तरक्की कर चुका होता। क्यूंकि जबतक किसी देश की मातृभाषा उस देश के सभी नागरिक नहीं जानेंगे उस देश का सही विकास नहीं हो सकता।
अगर लोगों को ज्यादा से ज्यादा हिंदी से जोड़ना हो तो हमे ब्लॉग पर ऐसी सामग्री देनी चाहिए जो पाठकों को और कहीं न मिले, और वो देवनागरी भाषा में ही हो, लेकिन साथ ही उसके टैग में अंग्रेजी / हिंगलिश में उस सामग्री का सार देना चाहिए जिससे अगर कोई अंग्रेजी भाषा वाला भी उस सामग्री को नेट पर खोजता है तो उसे वो सामग्री हिंदी में मिल जाये फिर वो उसे पढने के लिए हिंदी पढने को कभी न कभी मजबूर जरुर होगा।
ब्लॉग कैसे बनाया जाये और हिंदी में कैसे टाइप करके पोस्ट किया जाये इसे इन्टरनेट के नए उपभोक्ताओं को समझाने के लिए एक मुहिम शुरू की जाये तो हो सकता है अगले कुछ वर्षों में हिंदुस्तान इन्टरनेट के इस्तेमाल के मामले में चौथे स्थान से उछल कर दुसरे या पहले स्थान पर आ जाये। क्यूंकि यहाँ पर तो हर घर में दादी, नानी की अलग-अलग कहानी है और हर घर का किस्सा अलग ही है, लोग ब्लॉग से एक बार जुड़ जायेंगे तो फिर हिंदी ब्लॉग का पूरा का पूरा कारवां ही विश्व में अलग नज़र आने लगेगा।

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