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क्रिकेट जिसे अंग्रेजो ने शुरू किया तब उन्होंने भी नहीं सोचा होगा की ये इतनी सफलता पायेगा.. पुरे विश्व में गिने चुने देशो में खेला जाने वाला खेल भारत और पाकिस्तान में खेल से बढकर है… यहाँ इसे धर्म से कम नहीं माना जाता और इसके खिलाडियो को भगवान का दर्जा दिया जाता है… हमारे देशो में दुसरे खेलो को जितना खेला या देखा नहीं जाता वही क्रिकेट जश्न से कम नहीं होता.. यहाँ जीत पर आतिश बाज़ी आम है तो हार पर निंदा स्वाभाविक है.. ऐसे में क्रिकेट का विश्व कप हमारे देश में हो तो आप अनुमान लगा सकते है खेल प्रेमिओ में जोश व जुनून कैसा होगा… हर कोई भारत को विश्व विजेता देखना चाहेगा, चाहेगा भी क्यों नहीं? इतना प्यार और दुलार जिन्हें मिलता है तो उनसे उम्मीद कोई गलत तो नहीं.. और यदि कोई मैच भारत और पाकिस्तान के बीच हो तो पूछिए मत क्या हालत होंगे दोनों देशो में… किसी युद्ध से कम नहीं होता दोनों का मैच.. मतलब हार तो किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं भई! नाक का सवाल है.. ऐसी कैसे हार जाये.. अवाम की उम्मीद इतनी की खिलाडी खुद को सैनिक से कम मन भी नहीं सकते.. माने क्यों देश तो उनका भी है..
क्या कभी हमने सोचा है? क्रिकेट तो सिर्फ खेल है जिस में हार और जीत उस खेल का हिस्सा है.. दरसल दोनों देशो के बीच की कडवाहट व नफरत ने क्रिकेट को खेल से बढकर बना दिया है.. ऐसे में जब कोई भी जीत जाता है तब वह जीत युद्ध में मिली जीत से कम नहीं होती.. इन दोनों देशो के बीच होने वाला मैच सिर्फ दोनों देशो में ही नहीं दुसरे मुल्को में भी उतने ही रोमांच के साथ देखा जाता है..
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