Menu
blogid : 5460 postid : 720165

वाराणसी में राजनीतिक दंगल -Jagran Junction Forum

मन के मोती
मन के मोती
  • 27 Posts
  • 51 Comments

भगवान् शिव की नगरी वाराणसी , जो अपनी संस्कृति , कला , धार्मिक स्थलों एवं शिक्षा के क्षेत्र में विश्व -विख्यात है ,, आज राजनैतिक चर्चावों का मुख्य आकर्षण है ! हो भी क्यूँ न ? यहीं से राजनीती के शिखर-पुरुष श्री नरेंद्र मोदी जी अपनी उम्मीदवारी घोषित कर चुके हैं ! जहाँ समस्त विपक्षी दल इस घोषणा से ही व्यग्र हो चुके हैं वहीं आम जनमानस भी बरबस यही सोच रहा है कि इस बार इस लोकसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण किस तरह बन रहे हैं !भारतीय जनता पार्टी ने बहुत सोच -विचार कर यह निर्णय लिया है ! और इस के लिए उन्हें माननीय श्री मुरली मनोहर जोशी जी के विरोध का भी सामना करना पड़ा !
आम चुनावों में इस सीट का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है ! ये बिहार और उत्तरप्रदेश दोनों प्रदेशों के लोगों को जोड़ती है और ये दोनों ही राज्य भारतीय राजनीती में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं ! कहा तो ये भी जाता है कि प्रधानमंत्री पद का रास्ता उत्तर-प्रदेश से ही होकर जाता है ! भाजपा के दृष्टिकोण से बात की जाए तो प्रशासनिक क्षमता एवं लोकप्रियता दोनों ही कारकों पर मोदी जी सर्वश्रेष्ठ हैं , और यदि वो वाराणसी से अपनी उम्मीदवारी घोषित करेंगे तो उनकी लोकप्रियता से उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों ही राज्यों के लोग भाजपा से जुड़ने को आतुर होंगे और इस एक ही सीट से भाजपा को कम से कम २० सीटों का फायदा हो सकता है ! और यही कारन है कि मुरली मनोहर जोशी जी को ये सीट छोड़कर कानपूर से अपनी चुनौती देनी होगी !
मोदी जी के बनारस से ही चुनाव लड़ने की घोषणा से समस्त विपक्ष में भूचाल सा आ गया ! सबको समझ में आ गया कि नरेंद्र मोदी जी कि आंधी में कोई भी टिक नही पायेगा ! अतः सभी वहाँ से मजबूत प्रतिद्वंद्वी उतारने का निश्चय कर रहे हैं !
इसी बीच ईमानदारी एवं भ्रष्टाचार विरोध का नारा देकर नयी पार्टी का गठन करने वाले श्री अरविन्द केजरीवाल जी ने भी वहीँ से ताल ठोंकने का निर्णय किया है किन्तु बड़ी ही चालाकी से इससे बच निकलने की खिड़की भी जनता के निर्णय के रूप में बना ली है! जी हाँ वही खिड़की जिसकी मदद से उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस की सहायता से सरकार बनाया ! केजरीवाल जी ने हमेशा ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध चुनाव लड़ने की बात की है ,, उन्होंने शीला दीक्षित के विरुद्ध इसी आधार पर चुनाव लड़ा और सफल भी हुए ! किन्तु लोकसभा चुनावों में उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से अपने मापदंड बदल लिए ! जिस आधार पर उन्होंने शीला दीक्षित जी के विरुद्ध चुनाव लड़ा उस आधार पर तो उन्हें श्री मनमोहन सिंह जी के विरुद्ध चुनाव लड़ना चाहिए था ! क्यूंकि आमधारणा यही है कि इस समय वो भ्रष्टतम सरकार के मुखिया हैं ! चलिए हम किसी को उसके विचारों में परिवर्तन लाने के लिए बाध्य नही कर सकते हैं किन्तु मोदी जी के विरुद्ध चुनावी बिगुल फूंकने की वजह से उनका ये दावा कि वो भ्रष्टाचार के विरुद्ध हैं एकदम से कमजोर हो जाएगा ! क्यूंकि कांग्रेस के भ्रष्टाचार के लिए किस प्रकार आप विपक्ष के नेता को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं ? इसका जवाब उनके पास नही होगा ! खैर अभी हमे प्रतीक्षा करनी पड़ेगी क्यूंकि आधिकारिक रूप से अभी केजरीवाल जी की उम्मीदवारी कि घोषणा नही हुई है आम आदमी पार्टी के द्वारा !
कुछ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस से श्री दिग्विजय सिंह जी मोदी जी के विरूद्ध चुनौती पेश कर सकते हैं ! वहीं समाजवादी पार्टी से श्री मुख़्तार अंसारी भी मैदान में हैं ! उल्लेखनीय है पिछले आम चुनाव में मुरली मनोहर जोशी जी को मुख़्तार अंसारी से बहुत कठिन चुनौती मिली थी ! मात्र १५००० मतों के अंतर से मुरली मनोहर जोशी विजयी हुए थे ! ऐसे में मुख़्तार अंसारी को भी कमतर आंकना नीतिगत भूल होगी ! लगभग सभी दलों के द्वारा मजबूत उम्मीदवारों कि घोषणा से ये चतुष्कोणीय मुकाबला अत्यंत रोचक हो गया है ! इसका परिणाम कुछ भी हो किन्तु लोकतंत्र की खूबसूरती ऐसे ही मुकाबलों से है !
चुनावों में कोई भी पूर्वानुमान नही लगा सकता है कि कौन विजयी होगा ! चुनावी समीकरण नित्यप्रति बदलते रहते हैं ! फिर भी मोदी जी की उम्मीदवारी कि घोषणा के बाद जिस तरह होली के अवसर पर रंगों के स्थान पर आतिशबाजी की गयी और जिस तरह दीपमालिका का वातावरण हो गया उसे देख कर तो यही लगता है कि भाजपा अवश्य ही सफल होगी इस रोमांचक मुकाबले में !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh