Menu
blogid : 5460 postid : 712209

“गठबंधन सरकार की प्रासंगिकता ” – Jagran Junction Forum

मन के मोती
मन के मोती
  • 27 Posts
  • 51 Comments

“संघे शक्तिः कलियुगे ”
–महाभारत
प्रसिद्द अभिनेता श्री आमिर खान जी ने एक निजी समाचार पत्र को दिए गए साक्षात्कार के समय एक टिप्प्णी की जिसने गठबंधन सरकारों की प्रासंगिकता को बहस का मुद्दा बना दिया ! उनके अनुसार देश को कोई एक राजनैतिक दल दिशा नही दे सकता है , अतः कई राजनैतिक दल मिलकर एक साझा एजंडे के आधार पर सरकारों का गठन करें तो देश के लिए ज्यादा उपयुक्त होगा ! आमिर खान जी सामाजिक मुद्दों पर जोर शोर से अपना पक्ष रखते हैं और “सत्य मेव जयते ” नामक धारावाहिक से उन्होंने अनेक ज्वलंत मुद्दों पर लोगों को जागरूक भी किया है ! ऐसे में उनके पक्ष की उपेक्षा नही की जा सकती है !
अगर गठबंधन सरकारों के सम्बन्ध में भारतीय संदर्भ में बात करें तो इसका जन्म माननीय इंद्र कुमार गुजराल की सरकार के गठन के समय हुआ था ,उस समय कांग्रेस सरकार के वंशवाद एवं भ्रष्टाचार तथा निरंकुशता से तंग आकर देश को कांग्रेस मुक्त सरकार देने के लिए गठबंधन हुआ था जो बहुत अल्पकाल में ही ख़त्म हो गया ! गठबंधन सरकार का सर्वप्रथम सफलता पूर्वक सञ्चालन माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने किया और अब तो गठबंधन सरकारें इस देश की नियति बन चुकी है !
गठबंधन सरकारों का सर्वप्रथम दोष ये है कि इसका (गठबंधन का ) का आधार कोई मुद्दा न होकर महज सत्ताप्राप्ति का साधन है ! कभी कभी तो आम चुनाव में एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़े हुए लोग अपने क्षुद्र स्वार्थों के वशीभूत होकर चुनाव के बाद सिर्फ सत्तालोलुपता में गठबंधन कर जनता को धोखा देने में संकोच नही करते हैं ! और इसी वजह से गठबंधन सरकारें अस्थिर होती है !
नीतिगत सुस्ती गठबंधन सरकार का दूसरा प्रमुख दोष है ! सभी सहयोगी दल भले ही सत्ता में साझीदार हों किन्तु सभी के अपने कुछ विशिष्ट राजनैतिक मुद्दे होते हैं और कभी कभी तो वो परस्पर विरोधी होते हैं ! अतः सरकार उन नीतियों के क्रियान्वयन में कठिनाई होती है जो उसके सहयोगी दल के एजंडे के
लिए अनपेक्षित हैं !
किन्तु वर्त्तमान समय में गठबंधन सरकार ही वास्तविकता है , हम चाह कर भी इससे नही बच सकते हैं ! और आमिरखान जी का कहना एकदम सत्य है कि कोई भी राजनैतिक दल इस स्थिति में नही है कि वो अकेला ही देश को चलाने में समर्थ हो! अधिक क्या सत्ता प्राप्ति के लिए आवश्यक २७२ सीटों को प्राप्त करना ही एक राजनैतिक दल के लिए असम्भव सा दिखने वाला कार्य लगता है !
तो भारतीय संसद एवं भारतीय चुनाव आयोग एवं अन्य संगत संस्थावों से अपेक्षित है कि वो गठबंधन सरकारों के गठन को नियमबद्ध करें जिससे कि देश की जनता को ठगे जाने का अहसास न हो !
जैसे कि गठबंधन चुनाव के पूर्व लगभग एक महीने पहले ही हो जाना चाहिए , चुनाव के पश्चात महज सत्ता प्राप्ति के लिए बनाये गए गठबंधन अवैध हों !
गठबंधन का एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम हो जिससे सभी सहयोगी/घटक दल सहमत हों और इसी संदर्भ में एक शपथपत्र पर सभी सहयोगी दलों के राष्ट्रिय
अध्यक्षों के हस्ताक्षर हो और जिसे चुनाव आयोग के प्रमुख (मुख्य चुनाव आयुक्त ) के द्वारा सत्यापित करवा लिया जाए ! गठबंधन धर्म का निर्वहन न कर पाने वाले दल को राजनैतिक रूप से अन्य सभी दलों के द्वारा निर्वसन कर दिया जाए !
अतः गठबंधन सरकारें हमे एक बेहतर भविष्य दे सकती हैं और किसी एक दल की निरंकुशता को खत्म भी कर सकती हैं बशर्ते उस गठबंधन कि नींव संगत मुद्दों के आधार पर हों न कि सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए ! और शायद हमारे संविधान निर्मातावों ने इसी स्थिति को पहले ही भांपते हुए हमे एक बहुदलीय प्रणाली दिया है इसकी खूबसूरती यही है !
जय हिन्द , जय भारत राष्ट्र !

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh