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प्याज !

युवामंच
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आदरणीय मित्रों ,..सादर प्रणाम

प्याज विलक्षण शाक कंद है ,….यह भारतीय भोजन तड़का का प्रमुख अंग है ,….पता नहीं हममें से कितनों ने मजबूरी या मस्ती में नमक प्याज रोटी  खायी होगी,…..इसमें काफी उपयोगी रसायन होते हैं ,.इसमें लाभदायक चटपटापन होता है ,.. इसकी बनावट अद्भुत होती है ,…मानव मन की तरह इसके छिलके में गंधयुक्त छिलका ही निकलता है…… यह कुछ उत्तेजक प्रभाव वाला होता है ,.अतः साधकों योगियों के लिए वर्जित है !…..

प्याज का भारी राजनीतिक महत्व भी है ,….दिल्ली बिहार की ताजा भाजपाई हार में मंहगे प्याज और दाल  का बड़ा योगदान रहा है ,….बाजपेयी जी के जमाने में भी प्याज ने हराया था ,.. आजकल फुटकर बाजार में प्याज पंद्रह बीस रूपये किलो मिल रहा है ,…लागत ,उपज, उपलब्धता, आवश्यकता के अनुसार यह कुछ ज्यादा ही लगता है …..प्याज और आलू उतार चढ़ाव वाली फसल है ,…इसलिए बेईमान बिचौलिए किसान और ग्राहक दोनों को ठगते हैं ,……इसकी कीमत नियंत्रण के लिए सक्रिय तंत्र होना आवश्यक लगता है  ,….फिलहाल इससे जुडी एक खबर स्तब्ध करने वाली है ,….महाराष्ट्र के एक किसान ने एक टन प्याज बेचकर एक रुपया मात्र कमाया है !….लागत कुछ हजारों में होगी ,….आह ….कितना मालामाल हुआ होगा भाई !…….नब्बे फीसदी अच्छे अरमान बिना अग्नि स्वाहा !…बाकी आशाएं कभी नहीं मर सकती हैं …

केंद्र में अच्छे दिन लाने का वादा करने वाली बहुत अच्छी सरकार है ,…….प्रादेशिक भाजपा सरकारें भी अपेक्षाकृत अच्छा कर रही हैं !……महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री अच्छे प्रशासक बन कर उभरे हैं !…फिर …देवेन्द्र जी प्याज से क्यों लाचार हैं !….नित्य अठारह घंटे काम करने वाले मोदीजी को समय से पूर्व सामान्य समस्या का क्यों नहीं पता चलता ,…..शायद पुरानी समस्याएं ही इतनी गंभीर होंगी ,..या सरकारों में बिचौलिए किसी स्तर पर अब भी सक्रिय हैं ….दुष्ट कुकर्मी कांग्रेस और उसके चाटू चट्टों-बट्टों ने हर जगह बहुत गन्दगी भर दी है ,..बड़ा सफाई अभियान आवश्यक लगता है ,..मोदीजी को हमने इसीलिए चुना है ,……वैसे उनको चुनने वाले भी हम ही थे ,…..हम घटिया लोग अपने ही भाई को घोड़ी पर चढ़ा देख खुश होने के बजाय दुखी होकर दंगा भी करते हैं !………हम निःसंदेह कुछ या काफी कमीने हैं !….लेकिन हर व्यवस्था का सतत सतर्क सर्वेक्षण और सुधार करना सरकारों का महती दायित्व है !….. काम कठिन लगता है .. लेकिन … आज भाजपा भारत का सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक दल है ,..बाकी दल शुचिता समर्पण शक्ति में इससे कोसों पीछे हैं ,……यह दल अन्य दलों राज्यों के साथ यथासंभव मिलकर सार्थक काम कर सकता हैं ,……आज कोई समूह पूर्ण निर्दोष नहीं हो सकता ,..सतत सुधार समय की मांग है ,….भाजपा में भी कुछ काली भेड़ें अवश्य होंगी ,..उनको पहचानकर यथोचित दण्ड देना आज की आवश्यकता है !…..खैर मुद्दे पर ही रहते हैं ,…..

आज किसान बहुत परेशान है ,….बाजार उसका दुश्मन है ,….किसान को पानी खून के भाव और किसान का खून पानी से भी सस्ता है …….फिलहाल सच्चे केन्द्रीय प्रयास शुरू लगते हैं ,..लेकिन समस्याएं बहुतायत हैं ,…सर्वव्यापी सामान्य समस्यायों के अलावा ..राज्य क्षेत्रवार अलग अलग मुसीबतें हैं ,…..धैर्यवान किसान के पूरे अच्छे दिन लाने में जरूर कुछ समय लगेगा ,…..लेकिन ऐसे तात्कालिक अन्यायपूर्ण मामलों पर फ़ौरन ध्यान देना चाहिए !…समर्थ मोबाईल एपों के दौर में बाजारू मुसीबतों का यथोचित निदान किया जा सकता है ,…बीमा बीमारी का इलाज नहीं है ,….सम्पूर्ण सरकारी मशीन को सक्रिय करने और सच्चा रखने की बड़ी चुनौती है…..हमें सत्यनिष्ठा से पीड़ितों को उचित प्रतिपूर्ति करनी चाहिए !…… बाजार को भी खुद पर शर्मिंदा होना चाहिए ,..सरकार को सजगता से काम करना होगा ,……मोदी जी की कथनी करनी एक है ,….उनका समर्पित परिश्रम अवश्य ही रंग लाएगा …..हमें पूरा विश्वास होना ही चाहिए !…..लेकिन ….सरकारी नौकरशाही मक्कारों महामक्कारों से भरी पड़ी है ,…हमारे अधिकारी कर्मचारी लाट साहबी के आदी हैं ,…..सुखद अपवादों के सिवा जनता बन्दर, अधिकारी मदारी – नाच मेरे पट्ठे, मुझे पैसा मिलेगा ! ….. पूरे देश में नौकरशाही खाऊ नेता विधायक मंत्री प्रधान अध्यक्ष सरपंच प्रमुख आदि से सांठगाँठ कर अधिकतम निजविकास करती हैं ,…जनता अबतक सूखे टुकड़ों पर लडती आई है ,…….अब कुछ करने वाली सरकार आई है तो कई विरोधी राज्य सरकारें अपने कुत्सित जुगाड़ों में लगती हैं ,..सबको प्रधानमंत्री बनना है ,…..माल बनाओ अपनी जान बचाओ अन्य को फंसाओ ,….यहाँ गुंडित प्रदेश का भविष्य उज्जवल दिखाना पड़ता है ,..अहंकारी सुशासन बाबू को जंगलराज चलाना पड़ता है ,…….वैसे हम सब कमोवेश ऐसे ही हैं ,..लेकिन शासक वर्ग की जिम्मेदारी ज्यादा होती है !……..आज गैर किसानों को किसान इंसान ही कहाँ लगता है ,…..और अधिकाँश किसान भी अपनी बदकिस्मती कुंठा अवसाद अहंकार नशा व्यसन गुलामी से कहाँ छूटना चाहते हैं !….यदि चाहते तो हम क्या नहीं कर सकते हैं ,….परमपूज्य स्वामीजी का समस्त कर्म इसीलिए तो है !…..समर्थ कृषि का गौपालन से गहरा सम्बन्ध है ,….स्वामीजी इस क्षेत्र में भी सुखद क्रान्ति लाने में जी जान से जुटे हैं ,..हम उनके साथ जुटकर कुछ कर सकते हैं ….सभी सरकारों को सर्वहित में उनसे पथप्रदर्शन सहयोग लेना चाहिए !…….हम योग के माध्यम से बहुत उत्थान कर सकते हैं ,..लेकिन हम अपने दुखदायी विकारों से ही मोहित हैं ..तिसपर “ मोह सकल व्याधिन कर मूला” !…….खैर ,

बाजार मानवता के मंदिर का विशेष स्तम्भ है ,…. घटिया शासनकाल में कुछ अमानवीय धूर्त इसको कब्ज़ा लें तो यह अभिशाप भी बन जाता है !……..पूर्ण सन्यासी निर्लिप्त युगपुरुष स्वामी रामदेवजी ने जनसामान्य के बाजार में इसीलिए महान हस्तक्षेप किया है ,…एकांतवास सरल है ..लेकिन ..दुष्टताओं के बीच सेवाकर्म राष्ट्रसाधना बहुत कठिन और सबसे महान है !….स्वामीजी को मानवता का बारम्बार प्रणाम है !…… सत्ताओं से मानवीय प्रार्थना है कि उनकी सेवा श्रंखलाओं के संरक्षण संवर्धन में यथासंभव सहयोग करें ,…..लेकिन ..हम इंसान ही तो शैतान हैं ,.. एक तिहाई तो हैं ही ,….आज कलियुग में शैतान सच्चे इंसानों पर अक्सर पत्थर मारते हैं ,….अब बाजार हमारे अन्दर दिमाग में भी लगता है !….लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि हर कुदृष्टि कुकर्म का कुपरिणाम सर्वथा निश्चित है !…..भगवान् को न मानने वाले समर्थजन महाअज्ञानी हैं ,…….हम आधे असमर्थ हैं ,..मानकर भी नहीं मानते हैं .. जानकार भी नहीं जानते हैं ,…..हम बहुतायत में अज्ञानता के शिकार हैं !……इस अज्ञानता से निकलना हमारी सबसे बड़ी चुनौती है !….शायद तब तक इंसान को प्याज बनकर बाजार के आंसू रोना ही पड़ेगा !

ॐ शान्ति

भारत माता की जय !

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