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हमें भ्रष्टाचरण को मिटाना ही होगा

युवामंच
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nitish lalu

प्रमाणित भ्रष्टाचारी सजायाफ्ता लालूजी और उनके खानदान दल से पीड़ित होकर नीतीश जी ने आखिरकार उनका साथ छोड़ ही दिया। अब बिहार में नीतीश की बहार बहेगी। लालूजी और उनका पूरा खानदान भ्रष्टाचार लोभ अहंकार की जिन्दा मिसाल है। देशसेवा के नाम पर राजनीति में आई एक योग्यता अपनी मलिनता देख नहीं सकी और खुद ही अपना सर्वनाश कर लिया। प्रथमतः अंततः प्रत्येक प्राणी का स्वामी कोई अज्ञात शक्ति है। बीच की गड़बड़ी के जिम्मेदार तत्व हम स्वयं हैं। अयोग्य इंसानी लोभ चोरी करवाता है। कुंठित अहंकारी लोभ डकैती के लिए प्रोत्साहित करता होगा। लालू मंडली का मनोविज्ञान अत्यंत विकृत लगता है। प्राप्त कौशल से अपने को बिहारी यदुवंश का स्वामी स्थापित करके पूरी मानवता को लूटना अक्षम्य अपराध है। इस संसारी अस्तित्व ने लालू को सबकुछ दिया, लेकिन लोभी लालू ने अपनी श्रेष्ठ क्षमताओं का प्रयोग गलत नीति नीयत से किया। यद्यपि लालूकाल में जातिगत भेद कुछ कम हुआ, लेकिन खाइयाँ और चौड़ी हुईं। दीवारें और ऊंची हुईं। क्षमतावान ऊर्जावान युवा लालू यदि अठन्नी भी सच्चा होता तो आज भी बदहाल बिहार में बहुत पहले बहार ही बहार आ सकती थी।
आज उसके भ्रष्टाचरण का परिणाम उसी में डूबा उसका परिवार भी भोग रहा है। सबके रोम-रोम भ्रष्टाचरण में लिप्त हैं। बहरहाल, जो बीत गई सो बात गयी। सच झूठ दोनों इसी अस्तित्व के स्पष्ट सत्य हैं। सत्य को सदैव बलशाली बने रहना चाहिए। भारत के मजबूत बहुआयामी लोकतंत्र के शक्तिशाली, धैर्यवान, कुछ लचर न्यायतंत्र में दंड अक्सर विलंबित होता है, लेकिन पूर्णस्वार्थी पतितों का यथाशीघ्र सर्वनाश वर्तमान की आवश्यकता है। राजनीतिक रूप से लालू की शुरुआत समाजवादी शिष्य से हुई थी। साधना, शुचिता के अभाव में उनका अंत काली कांग्रेस की गन्दी गोद में हो रहा है। लोभी दुष्ट राजनीतिज्ञों का हाल अंततः पराजित अपराधी जैसा होना चाहिए।
पूरे देश की तरह बिहार की बौद्धिक जनता अब तक यह समझ चुकी है कि भाजपा “सबका साथ – सबका विकास” के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। हमारे ऊपर राजनीतिक अन्याय, अपराध, अत्याचार, भ्रष्टाचार का बहुत बोलबाला था। यह विषबेल बहुत मजबूती से हम सबको जकड़े थी। उनके छुटपुट तीव्र कुप्रयासों के बावजूद भाजपा ही सर्वकल्याणकारी सुराज ला सकती है। इसके लिए बहुत कुछ किया जा चुका है, बहुत कुछ किया जा रहा है, बहुत करना शेष है। विकास एक सतत प्रक्रिया है। हमारे सामने चुनौतियाँ बेशुमार हैं। श्रेष्ठ सरकार, श्रेष्ठ जनभागीदारी से सर्वश्रेष्ठ कार्यों को तीव्रता से कर सकती है। सनातन स्वाभिमानी यदुवंश अपने द्रोहियों का पूर्ण त्याग कर देगा। भाजपा में तमाम श्रेष्ठ यदुवंशी आत्माएं राष्ट्रोत्थान के प्रति पूर्ण समर्पण से कार्यरत हैं। खुदबुद जातीय भावना के बावजूद स्वाभिमानी सरल यदुवंश अब भाजपा से ही सबके समावेशी विकास की अपेक्षा रखता है। मलाई चाटने वाले चमचों का कर्तव्य उनको मुबारक।
आदरणीय नीतीश कुमार जी को कुसंग से निकलने के लिए हार्दिक बधाई शुभकामनाएं। सुसंग में आने के लिए हार्दिक अभिनन्दन। इस तेज उठापटक में कुछ बातें अधिक अर्थपूर्ण हो जाती हैं। कुसंग में रहने के बावजूद नीतीश जी ने श्रेष्ठ मोदी सरकार के नोटबंदी जैसे उच्चसाहसी सुकर्मों का समर्थन किया था। नीतीश ने अब सबको धर्मनिरपेक्ष कालीकोठरी का सच बताया है। वास्तव में भारतभूमि का प्रत्येक कण, भारतीय संस्कृति का प्रत्येक भाव धर्मनिरपेक्ष है। हमने सदैव सबको सच्चे दिल से अपनाया है। आज भाजपा, संघ, भारतीय संस्कृति के सच्चे निष्कामी सेवक हैं। प्रत्येक भारतीय से प्रेम इनका स्वभाव है। भारतीयता इनका प्रथम प्रेम है। कुछ मूर्खतापी इंसान अपनी फिराक में लगते हैं। मानवता को मूर्खता से बचना ही चाहिए। ‘वन्देमातरम’ अतिशय पवित्र ऊर्जावान शब्द है, यदि कोई इसे नहीं बोलना चाहता तो यह उसकी बदनसीबी है। उस पर दया करो। जो चाहते हैं कि सब ‘वन्देमातरम’ ही कहें, उन्हें सबसे पहले अपनी पवित्रता पर निष्पक्ष दृष्टि अवश्य डालनी चाहिए। अन्यथा ‘जयहिंद’ से क्या समस्या होनी चाहिए। हमारा अपने ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है, तो सबको नियंत्रित करना असंभव है। तुच्छता का परिणाम भयानक हो सकता है। अन्याय अत्याचार, उद्दंडता, मूर्खता, राष्ट्रद्रोह को उचित ठहराने वाली अपराधवृत्ति का सामयिक समापन निश्चित है।
कांग्रेस, सपा बसपा आदि दलों में मची भगदड़ से भारत और आशान्वित होता है। भाजपा को भी आगंतुकों को अपनाने में सतर्कता रखनी चाहिए। श्रेष्ठ मानवता का हार्दिक स्वागत होना ही चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि छद्मवेशधारी कुटिलता न आने पाए। भ्रष्टाचरण के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश की चर्चा भी आवश्यक है। पिछले लम्बे समय के भ्रष्टतम कुराज से सरकारी मशीनरी अत्यधिक भ्रष्ट हो चुकी है। बाल्य अवस्था वाली योगी सरकार के श्रेष्ठ प्रयासों का पूरा सुफल अब तक जमीन पर नहीं उतरा है। पिछली सरकार में बिना सड़क बने भुगतान होते रहे। बिना निर्माण के खर्चीले उद्घाटन होते रहे हैं। अयोग्य लोभी हुक्मरानों के चलते हर कदम भ्रष्टाचार ही हुआ। यहां मृतक भी पूरी पेंशन लेते हैं। राजनेताओं ने अयोग्य चमचों को नौकरियां बांटी हैं। इनकी जांच में सीबीआई का बेहिसाब बल भी थक सकता है।

भ्रष्ट जातिवादी राजनीति ने भारतीय समाज और शासन को बहुत क्षति पहुंचाई है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के लाभार्थी उम्मीदवारों से बीस से तीस हजार प्रति व्यक्ति वसूली हो चुकी है। ग्राम पंचायत सचिवों ने ग्राम प्रधानों के सहयोग से करोड़ों की गुप्त वसूली की है। सूची से नाम कटने के डर से शिकायत करना तो दूर किसी जांच में सुपात्र भुक्तभोगी अपनी पीड़ा भी नहीं बताता है। जनता अपने पंचायत सचिवों को कभी नहीं देख पाती है। आठ-आठ ग्रामसभाओं का दायित्व संभालने वाले सचिवों ने कार्यालयी कामकाज निपटाने के लिए निजी नौकर रखे हैं। स्वयं चौबीसों घंटे अपने कालेधन के समाधान में बेचैन रहते हैं। बेचैनी मिटाने के लिए दो चार हजार की दारू रोजाना पीते हैं। महंगे स्थानों पर इनकी अत्याधुनिक उच्च विलासितापूर्ण कोठियां भारतीयता को चिढ़ाती हैं। विशाल, बेमिशाल बंगले बन रहे हैं। बेहिसाब जमीनें खरीदी जा रही हैं। ग्राम पंचायतें, क्षेत्र पंचायतें, जिला पंचायतों में भारी भ्रष्टाचार में लिप्त है। एकाध संभावित अपवादों के सिवा प्रदेश के समस्त ‘ग्राम पंचायत सचिव’ निश्चित भ्रष्टाचारी हैं।
आदरणीय योगी सरकार को इनका एकमुश्त समाधान करना ही चाहिए। विकासकार्यों में कुछ रुकावट सहन हो सकती है, लेकिन जनधन के लुटेरों को उनके कर्मों का कुफल मिलना ही चाहिए। सरकार चार ग्राम पंचायतों पर एक मानद/अस्थाई सचिव की नियुक्ति कर सकती है। सर्वव्यापी भ्रष्टाचार से निपटने के लिए विशेष कार्यबल भी बनाया जा सकता है। सच्चे, उत्साही, योग्य युवाओं के साथ पूर्व सैनिकों का यथायोग्य नियोजन भी किया जा सकता है। सच्चे योग्य समर्पित समर्थ लोग मिलकर विचार करें, तो प्रत्येक समस्या का श्रेष्ठ समाधान अवश्य मिलेगा। उत्तर प्रदेश की पुलिस अकर्मण्यता, भ्रष्टाचार, अपराध का प्रतीक बन चुकी थी। योगीराज आने के साथ बहुत परिवर्तन आया है, लेकिन पुलिसकर्मियों के कारण हाल अब भी बेहाल है। मोटे अनुमान के मुताबिक, पांच से दस प्रतिशत पुलिसवाले अपराधों के संरक्षक स्वामी या सेवक हैं। इनके गठजोड़ की मजबूती इतनी है कि आईपीएस से लेकर थानेदार, दारोगा, संतरी सब इनके आगे बेबस हैं।
उदहारण स्वरूप एक छोटी घटना देखते हैं– लखनऊ के काकोरी क्षेत्र से बाराबंकी की एक बोलेरो गाड़ी चोरी होती है। पीडि़त ने बड़े परिश्रम से उसकी किस्तेो अदा की थी। दुबग्गा पुलिस चौकी में उसी दिन 15 जुलाई को मामला दर्ज होता है। छानबीन चलती है। संभावित चोर के रूप में गाड़ी के पूर्व ड्राइवर का नाम आता है। उसकी मोबाइल लोकेशन उसकी लिप्तता सिद्ध करती है, जबकि वह उस दिन लखनऊ जाने से ही इनकार करता है। फिर पीडि़त से बातचीत में वह चोरी करना स्वीकार भी करता है। अगली कड़ी का नाम भी बताता है। लखनऊ बाराबंकी के बीच से गाड़ी बरामदगी का आश्वासन भी देता है। जिस व्यक्ति के माध्यम से गाड़ी की नकली चाबी बनायी गयी, वह भी सामने आता है, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
तमाम भागादौड़ी, मिन्नतों, सिफारिशों, आश्वासनों के बावजूद पुलिस के हाथ अब तक खाली ही हैं। यहाँ एक बात और उल्लेखनीय है कि एक पुलिसवाले ने पीडि़त से कहा था कि यदि तुम कुछ मैनेज कर लो तो गाड़ी बरामद कर देंगे। वह कुछ भी मैनेज करने यानी रिश्वत देने पर सहमत भी हो गया, फिर भी पुलिस के हाथ खाली है। शायद पुलिस को चोरों से ज्यादा मुनाफा होगा। पीडि़त अब तक दौड़-धूप, चाय-पानी में पचास हजार से ऊपर खर्च कर चुका है, लेकिन पुलिस तमाम दिखावे के बावजूद अब तक खाली हाथ ही है। डीआईजी, एसपी जैसे उच्चाधिकारियों को इस गठजोड़ ने बेकार सिद्ध कर दिया है।
पुलिस बल में शामिल अपराध प्रवित्ति पेशेवर अपराधियों से भी अधिक घातक है। श्रेष्ठ योगी सरकार को निर्ममता से यह गठजोड़ मिटाना होगा। उत्तर प्रदेश के अधिकतर भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी अपने महापातक आकाओं के मुरीद हैं। अतः ये श्रेष्ठ सरकार के जनहितैषी भावनाओं के विपरीत ही कार्य करना चाहते हैं। दुष्ट सरकारी सेवक जनप्रतिनिधियों का यथोचित सम्मान भी नहीं करते हैं। जनसेवकों, जनप्रतिनिधियों में श्रेष्ठ सम्बन्ध अच्छी व्यवस्था का आधार बन सकता है, लेकिन पुरानी जमी भ्रष्ट व्यवस्था अच्छाई को पनपने नहीं देना चाहती है। भ्रष्ट अपराधी गठजोड़ की गर्दन पर योगी सरकार को सावधानी के साथ तीव्र प्रचंड प्रहार करना होगा।
यहाँ भाजपा कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों को सप्रेम नमन करना भी आवश्यक लगता है। उनका धैर्य शुचिता समर्पण नमनीय है। आपसी झगड़ों में दलाली दुष्टों का काम है, लेकिन न्याय के लिए अहिंसक संघर्ष मानवता का अधिकार है। भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों को यह समझना चाहिए कि जिस दिन सद्संघर्ष का बल उबलेगा, उस दिन भ्रष्टाचारियों अन्यायियों के लौहभवन भी बह जायेंगे। एक दल के रूप में भाजपा भारत का गर्व है। भाजपा ने बहुत लम्बा कठोर संघर्ष किया है। आज इसके शिखरपुरूष अमित शाह जी लखनऊ में हैं। उनको हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। हम चाहते हैं कि लखनऊ की श्रेष्ठ राजसत्ता दुराचारियों, अपराधियों का निर्मम मर्दन करें।

हम चाहते हैं कि प्रत्येक राजकर्मचारी अधिकारी शिष्टाचरण से दृढ़ कर्तव्यपालन करें। आखिरकार प्रत्येक अस्तित्व को अपनी करनी भोगनी ही पड़ती है, लेकिन शीघ्र लौकिक न्याय राजव्यवस्था का दायित्व है। उत्तरप्रदेश की सरकारी मशीनरी में बहुतायत भ्रष्ट अपराधी, अत्याचारी, चोर, बेईमान, अकुशल और अक्षम लोग जमे हैं। आम जनता को भ्रष्टाचरण से मुक्ति दिलाना श्रेष्ठ सरकार का महान कर्तव्य है। पशु या उससे ऊपर की मनोवृत्ति वाले प्रत्येक मानव को यह समझना चाहिए कि भ्रष्टाचरण का परिणाम पीड़ादायक ही होगा। पशुता से भी पतित इंसान किसी रहम के योग्य नहीं है। राजनीतिक गुंडों, अपराधियों के गुलामों से राजव्यवस्था को मुक्त करना होगा। हमें यदि आधे से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों को बर्खास्तह करना पड़े तो भी काम चल जाएगा। हर बाढ़ में हमारी सेना देवदूत बनकर हमें बचाने आती है। भ्रष्टाचारी बाढ़ से मानवता को बचाने में हमारे पूर्वसैनिक हमारी बहुत सहायता कर सकते हैं। नियमानुसार नयी नियुक्तियों के होने तक सेना के सहयोग से सक्षम अस्थायी व्यवस्था बनायी जा सकती है।

उच्चतम न्यायलय ने उत्तरप्रदेश के शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक पद पर समायोजन रद्द कर दिया है। नालायक समाजवादी सरकार के कारण आज हजारों पीड़ित कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बने हैं। शिक्षामित्रों से सरकार को नियमानुसार सहानुभूति होनी चाहिए। वैसे तमाम शिक्षामित्र नौकरी तो चाहते हैं, लेकिन गरीब बच्चों को पढ़ाने में अपना अपमान समझते हैं। शिक्षामित्रों का चयन ही गलत तरीके से हुआ था। अब योग्य समर्पितों की राह और सुगम बनानी चाहिए। अयोग्य अहंकारियों को सरकारी नौकरी का लालच छोड़कर अपना काम ही देखना चाहिए।
अंततः पुनः स्मरणीय है कि हम बहुतायत मूर्ख मलिन अकर्मण्य हैं, लेकिन इससे सक्षम नेतृत्व से जनअपेक्षाएं उतनी ही रहती हैं। सब शिष्टाचरण के ही मुरीद हैं। हमारे प्रधानमंत्रीजी उत्तरप्रदेश से सांसद हैं। गृहमंत्रीजी उत्तरप्रदेश से हैं। ऊर्जावान तेजस्वी मुख्यमंत्रीजी की कार्यक्षमता पर किंचित भी संदेह नहीं है। अब उत्तरप्रदेश को शीघ्र उत्तमप्रदेश बनना ही चाहिए। भ्रष्ट, अन्यायी, कुत्सित अपराधियों के प्रत्येक अस्तित्व को मिटाना चाहिए। हमें भ्रष्टाचरण को मिटाना ही होगा। आज ही हमारे प्रधानमंत्रीजी ने ‘मन की बात’ में गन्दगी, भ्रष्टाचार आतंकवाद के खिलाफ पंचवर्षीय संकल्प पर्व का आवाह्न किया है। हम उनका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। हम अपने समर्पित शिष्टाचरण से प्रत्येक लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अवश्य प्राप्त करेंगे।

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