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महत्व !

युवामंच
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आदरणीय मित्रों ,…..सादर प्रणाम !

प्रसिद्ध उत्तम रचनाकार संजय लीला भंसाली द्वारा निर्मित बहुचर्चित ऐतिहासिक चलचित्र पद्मावती पर विवाद बहुत बढ़ चुका है ! …….. सतही तौर पर भले ही इसे गौरवशाली राजपूताना की आन बान शान से जोड़ा जा रहा हो ,…….लेकिन ……यहाँ वास्तविक प्रश्न नारीत्व के सम्मान और गौरवपूर्ण इतिहास की अभिव्यक्ति का है !……….वैसे इसके निहितार्थ और भी गहरे लगते हैं !…….हमारे युग में चलचित्र का महत्व मनोरंजन से कुछ अधिक है !………….भारत की महानतम त्यागी रानियों में उच्च देवीय स्थान रखने वाली पूज्यनीया महारानी पद्मावती का चरित्र चित्रण असाधारण कार्य है !……..संजय जी की समर्पित प्रतिभा पर कोई संदेह नहीं हो सकता है ,….लेकिन ……ऐतिहासिक चित्रांकन में उनकी मनोभूमि का विशेष महत्व है !………भारत में हर तरह हर सोच के लोग रहते हैं ,…..अधिकाँश बौद्धिक लोग पर्याप्त कुशल होशियार हैं !………कुछ लोग देवी पद्मावती के पूर्णतम प्रमाणित अस्तित्व पर भी प्रश्न उठा रहे हैं !……….उनकी गुलाम मानसिकता उन्हें ही मुबारक रहनी चाहिए !………….निःसंदेह हमारी अहंकारी चूकों के कारण भारतवर्ष पर वो भयानक भीषण हिंसक काला दौर था ,……..तब मात्र सत्ता के पक्के गुलाम लेखक ही महत्व पा सकते थे !……..क्रूरता का मुखर विरोध लगभग से अधिक असंभव था !……….आध्यात्मिक अतिअल्पता और भौतिकता के न्यून विकसित दौर में सिर्फ गुलाम रचनाएं ही संरक्षित होती थी !…….लेकिन पवित्र भारतीय भूमि ने महान महारानी पद्मावती का यशगान अपनी जबान से जीवित रखा !……… सदियों तक पवित्र पद्मावती की पावन गाथा सत्यनिष्ठ लोकमानस में पीढ़ी दर पीढ़ी गूंजती रही !……….जनमानस से सुनकर मेधावी कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने अपनी सत्यनिष्ठ मनोभूमि में उसे कागज़ पर उतारा होगा !………अब वो कथा कालजयी चलचित्र के रूप में उतर चुकी है,… तो … उसी हिंसक क्रूर काली रात की छाया का कुछ कुछ अनुभव सा होता है !………….एक सुनिश्चित भारतीय सत्य है कि पिछली कुछ शताब्दियों से गौरवशाली भारतीय इतिहास के साथ घोर घिनौनी साजिश पर्याप्त सफलता से चल रही है ,………लुटेरों ने अतुल्य भारतीय गौरव को विकृत दिखाने के भरपूर प्रयास किये ,…….अंग्रेजों से आजाद हो चुका महान भारत मैकाले जैसे अपने सर्वोच्च शत्रु साजिशकर्ताओं की नाजायज संतानों से भरा पूरा है !…………यहाँ लोभी लुटेरे सिकंदर को भी महान सिद्ध किया गया है ,…जबकि उसे पीड़ादायक पराजय देने वाले महान भारतीय राजा पोरस को पराजित युद्धबंदी की तरह दिखाया गया है !…..बहरहाल स्वार्थपूर्ण मिथ्याप्रयासों से सत्य को मिटाना असंभव है !………….गुलाम झूठे इतिहासकारों का कच्चा चिट्ठा बहुत लम्बा है !…………मिथ्याचारी मानवों को अंततः यह मानना होगा कि ,….झूठ कितना भी बड़ा लम्बा हो जाय ,….उसकी मजबूती रेत के घरौंदे जितनी ही होती है !…..

पूज्यनीया पद्मावती के प्रचारित चलचित्र के लिए हमारा विरोध सर्वथा उचित है ,….लेकिन ….अन्य प्रभावी रास्तों के होते हुए अकारण हिंसक भावना दिखाना भी गलत बात है ,…..फिर वही बात आती है ,..समाज में सब तरह के लोग हैं ,…बहुरंगी दुनिया में होने भी चाहिए ,…सबका अपना महत्व होता है ,…….लेकिन अनावश्यक अहंकार को नीचे रखकर ही हम यथार्थ उन्नति कर सकते हैं !……निरहंकार संसार सेवकों को हमारी धरती और मूर्ख बुद्धिमान समस्त मानवता सतत सादर नमन करती है !………..आज हिंसा हमारे मानव मन का यथार्थ स्वभाव है ,…अनुभव हमारी संपत्ति है !……..हमारी नासमझ अधूरी अहिंसा ने भी हमें क्रूरतम हिंसकों का शिकार बनाया है !……..अब तक उपलब्ध सार्वजनीन मनोभूमि में युद्द की पर्याप्त आक्रामक सुरक्षित तैयारी की महान आवश्यकता भी है !………..काल परिस्थिति के अनुसार हिंसा भी मानवता के लिए उपयोगी होती है ,……. लेकिन ……. इसका सार्थक संयमित उपयोग अंतिम विकल्प और निर्णायक आवश्यकता के लिए ही होना चाहिए !…………..खैर…… लक्षित घटनाक्रम ही देखते हैं ….

चलचित्र निर्माण के अंतिम दौर में विवाद प्रारंभ हुआ !…….क्रूर नृशंश खलनायक खिलजी के स्वप्न चित्रण की बात निकलती है ,…..पटकथा लेखक को लगा होगा कि ,……. उसने अपने स्वप्न में महारानी पद्मावती से प्रेमालाम किया होगा !…..तमाम चलचित्रों में इस तरह की कल्पनाएँ दिखाई गयी हैं !….. ……यहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपना महीन स्वसंयम भूल सकती है ,…या तोड़ सकती है !………हमें कदापि नहीं भूलना चाहिए कि महारानी पद्मावती हमारे महान ऐतिहासिक चरित्रों में अतुल्य हैं !…..नारी पवित्रता की पराकाष्ठा के साथ कोई मानवता नीचता नहीं देख सकती है !………….काल्पनिक स्वप्न चित्रण के समाचार से स्वाभाविक विवाद शुरू होता है ,…..जो बढ़ता ही गया !!……अब तक अनिर्णीत अनचाहा तनाव व्याप्त है !……कई राज्यों ने इस चलचित्र को प्रमाणन प्रदर्शन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया है !….विरोध काफी मुखर उग्र हो चुका है !……राजनीति पूरी तरह से इस तनाव में लिप्त है !…….ये परिस्थिति सबका साथ सबका विकास चाहने वाली सरकार के प्रतिकूल है !……….कुछ किनारे खड़े महानुभाव इस मुद्दे पर हमारे पूज्य प्रधानमंत्रीजी से कुछ विशेष सुनना चाहते हैं !……..फिलवक्त ज्यादा स्पष्ट कुछ कहा नहीं जा सकता है ,…….लेकिन … यह स्पष्ट है कि विवाद के कुछ निहितार्थ हैं !…..हमें उपद्रवी उग्रता से हरसंभव बचना चाहिए !…….. प्रत्येक अंतिम परिणाम सत्य के पक्ष में ही होगा !…

अभी समाचार मिला है कि इस विषय से जुडी एक हत्यारी और उकसाने वाली घटना राजस्थान में घटी है ,……हमें ऐसे कुत्सित प्रयासों की घोर निंदा करनी चाहिए !……..हमें यह अवश्य ध्यान रखना होगा कि महान मोदी सरकार के सच्चे भारत प्रेम … और….  सच्ची भारत सेवा के लिए स्वच्छता अभियान का बड़ा शिकार भारत का परम लुटेरा राजनैतिक परिवार समुदाय हुआ है !……….उस गंदे विषैले समुदाय से भी अधिक हानि पापपरस्त आतंकिस्तान नापाकिस्तान और उसके पालतू गुर्गों का हुआ है !……….वैसे इन दोनों में कोई दूरी अब दिखती भी नहीं है !………इस विशालकाय फिल्म परियोजना में पाकपरस्त दाऊद इब्राहिम गैंग के आर्थिक सहयोग की बातें भी कही गयी हैं !……….खैर …..अक्सर फिल्मों के चालाक निर्माता अपनी अपार लागत से कई गुना लाभ कमाने के लिए स्वयं ही विवादों को पैदा करते है !……लेकिन इस महान विषय पर अतिरिक्त सतर्कता अनिवार्य है …….घटनाक्रम को और देखते हैं …

फिल्मकार कलाकार स्वभावतः अपनी फिल्म को अच्छी साफसुथरी बताते आये हैं !………उन्होंने अपनी फिल्म सेंसर बोर्ड से भी पहले कुछ पत्रकारों संपादकों को दिखाई है ,….सेंसर बोर्ड इसके लिए नाराज भी हुआ ,…आदरणीय प्रसून जी संवेदनशील बुद्धिमान कवि हृदय इंसान हैं ,..वो अच्छा ही करेंगे !………लेकिन अभी कुछ विशेष भी करना चाहिए ,……..हम सबको एक बात का पक्का ध्यान रखना चाहिए कि विवादित स्थिति में यह फिल्म कदापि सार्वजनिक न हो ,……और ….. पूर्ण भारतीय प्रमाणन से पहले इसे किसी भी रूप में कहीं भी दिखना नहीं चाहिए !………….देशद्रोही स्वार्थी तत्व प्रत्येक संदेह परिस्थिति का बेजा लाभ उठाना चाहते होंगे !……….साजिशकर्ता भारतद्रोही तत्व अभी चैन से नहीं बैठा है !……..जिनकी जागती आँखों के सपने मरते हैं वो प्रत्येक पागलपन को पार करना चाहते हैं !……………. क्रूरता आखिरकार अपनी जलाई आग में ही भस्म होती हैं !…………..क्रूर कांग्रेसी कृपाओं से भारत में पाकिस्तानी पालतुओं की खतरनाक मौजूदगी है ,…….भारत द्रोहियों की श्रंखला उच्चतम से निम्नतम प्रतिष्ठानों में संभवनीय हो सकती है !……हमारी श्रेष्ठ सरकार को अपनी और देश की पूर्ण सुरक्षा के सम्पूर्ण प्रयत्न करने चाहिए !……..

………..हमारी श्रेष्ठ सरकार को इस चलचित्र मामले के पूर्ण पटाक्षेप से पहले निर्माता निर्देशक कलाकारों को भी पर्याप्त सुरक्षा देना चाहिए !…………यहाँ संजय लीला भंसाली जी और उनके निकट दल को पुनः अपनी महान जिम्मेदारी समझनी चाहिए …..कि … पूर्ण भारतीय प्रमाणन से पूर्व इस चलचित्र का कोई भी अंश सार्वजनिक न हो ,…….किसी भी परिस्थति में गैरजिम्मेदारी का भाव नहीं आना चाहिए !………सत्य से अनभिज्ञता क्षमायोग्य अपराध हो सकता है ,…लेकिन …..सत्य को नकारना,..सत्य से लड़ना अक्षम्य अपराध है !………भारतद्रोही शक्तियां बहुत जोर से बिलबिला रही होंगी !……..उनको कोई भी अवसर देना कदापि उचित नहीं है !……….फूट डालकर राज करने वाली लुटेरी शक्तियों को अब भी समझ लेना चाहिए कि नियति सबका सिर्फ प्रयोग करती है !…………निष्ठुर नियमबद्ध नियति के लिए हमारी औकात संभवतः उतनी ही होगी जितनी हमारे लिए चीटियों या अदृश्य कीटाणुओं की होती है !……….भारत में बैठे भारत द्रोहियों के लिए एकमात्र सार्थक सलाह विशुद्ध आत्मसमर्पण के सिवा कुछ नहीं हो सकती है !………पापी असत्य को अपनी पराजय मान लेनी चाहिए ,……..इसमें पीड़ा हो सकती है ,..लेकिन उनका अपमान नहीं होता ,..बल्कि,.. मानवता की पवित्र विजय में महान भागीदारी सुनिश्चित हो जाती है !…..सत्यनिष्ठा की सदैव सुरक्षा होती है !…

..एक सुनिश्चित बात बार बार दोहरानी चाहिए !……हममें से प्रत्येक को वही मिलेगा जो हमने किया है !……दिव्य विधान अत्यंत तरल सूक्ष्म भी होते हैं ,…….स्वार्थवश दान भी पाप श्रेणी पायेगा ,……जबकि निःस्वार्थ वध भी पुण्यशाली हो सकता है !….. ……अकारण हिंसा लड़ाई उचित नहीं है !………..महान कारण कभी कभी उत्पन्न होते हैं ,…….फिरभी हम अज्ञानवश लगातार लड़ते रहते हैं !…..हिंसा को अंत तक टालना ही चाहिए !……………अवश्यम्भावी परिस्थितियों में भी इसे यथासंभव सीमित रखना चाहिए !………..स्वार्थवश हम जाने क्या क्या करते रहते हैं ,…….भगवत्ता की दृष्टि में हमारी निःस्वार्थ प्रचंड परोपकारी भावना का ही सर्वाधिक महत्व होता है !………राष्ट्रभक्तों राष्ट्ररक्षकों राष्ट्रसेवियों को इस धरती आकाश से सदैव राष्ट्रसम्मान वरदान ही मिलेगा !………….परमात्मा की परम कृपा के सम्बन्ध में क्या कहा जा सकता है ,….संत महाकवि तुलसीदासजी महाराज ने क्या शब्द दिए हैं ,…….. “गरल सुधा रिपु करइ मिताई ! गोपद सिन्धु अनल सितलाई !!”  ……… सनातन महानतम गुरुसत्ता की अनंत परम कृपा से अब तक हम मूरख मानव अधिकतम इतना समझ पाए हैं कि ,…….एकमात्र हमारा अहंकार ही हमें परमात्मा से अलग रखता या रख सकता है !…….बाकी प्रारंभिक साधकों के लिए यह भी पर्याप्त हो सकता है ,..कि ….भूलना हमारा वर्तमान स्वभाव है ,…लेकिन उनका नहीं हो सकता है !………..इस आरंभिक सूत्र की सफलता के लिए अनिवार्य सूत्र यह है कि जीवन का कुछ समय पूर्ण अहंकारहीनता में रहे !……..नास्तिक इंसान यह सूत्र स्वप्न में भी नहीं सिद्ध कर सकता है !……..अतः नास्तिक कभी साधना प्रारंभ ही नहीं कर पाता है !…….माया का प्रपंच इतना गहरा है कि अक्सर आस्तिक भी इसमें उलझ जाते हैं !…….हमारी आस्तिकता जब पूर्ण सिद्ध होगी तो सारी माया मनोरंजन जैसा भी बन सकती है !….लेकिन यह मनोरंजन नहीं है !………शुद्ध समर्पण आस्तिकता का आधार है !… हमारा मनोरंजन भी शुद्ध पवित्र होना चाहिए !…….हमें शायद यह पता ही न हो कि ……अंतिम सर्वोपरि निर्णय भगवत्ता ही लेती है ,…..उसकी तरह उसकी कार्यविधि भी अत्यंत विशाल अनूठी है !……

अंततः !……हमारी महान पवित्र महारानी पद्मावती भारतीय नारीत्व की प्रचंड शक्ति की पावन बलिदानी प्रतीक हैं ,……..उनके पवित्र उज्जवल चरित्र पर कोई काल्पनिक दाग भी नहीं दिखना चाहिए !……. महान बलिदान की पावन प्रतिमूर्ति पद्मावती की अभिनय छाया के स्वप्न में भी …. शैतानी क्रूरता के पर्याय छाया का स्पर्श नहीं होना चाहिए !………..हम श्री संजय लीला भंसाली जी से सादर अनुरोध करते हैं कि वो अपने बनाए चलचित्र को हमारे समर्थ नारी नेतृत्व को दिखाएँ !……..इस महान चलचित्र की विषयवस्तु पर श्रेष्ठतम सर्वमान्य निर्णय हमारा उच्चतम विद्वान् समर्थ राजनैतिक नारी नेतृत्व पूर्ण सफलता से ले सकता है !………हमारा सम्मानित महिला आयोग स्वयं पवित्रता शान्ति के लिए पहल करे !…..श्रेष्ठ सरकार के स्तर पर भी उत्तमोत्तम प्रयास होना चाहिए !……..हम अपनी आदरणीया लोकसभा अध्यक्षा ताईजी श्रीमती सुमित्रा महाजन जी ,…….हमारी महानतम वात्सल्यमयी विदेश मंत्री आदरणीया श्रीमती सुषमा स्वराज जी ,……तीव्रगामिनी देवी स्वरूपा आदरणीया निर्मला सीतारमण जी ,……..ओजस्वी साध्वी देवी दीदी उमा भारती जी ,……सूचना प्रसारण मंत्री आदरणीया स्मृति ईरानी जी ,…..आदि … तेजस्विनी नारी नेतृत्व से सादर प्रार्थना करते हैं कि वो ,.. आगे आकर हमको इस संवेदनशील मुद्दे का सार्थक सहज सर्वमान्य समाधान देने की दया करें !…….

….चलचित्र राजनीति सबके सम्बन्ध में सौ की सीधी अंतिम स्पष्ट बात है ,………बदनीयती बदमाशी अब कदापि बर्दाश्त नहीं होगी !………..और ,……. प्रत्येक संघर्ष में सत्यनिष्ठा सबसे अमोघ अस्त्र है !……… …यद्यपि सत्य की अनंत परतों में पूर्ण सत्यनिष्ठा पाना मानव के लिए अत्यंत दुष्कर है,… फिरभी भारत सनातन सत्य का अखंड पुजारी है !……..परमसत्य का भी अपने प्रिय भारत पर अखंड अनंत प्रेम अनुदान है !…………जहाँ सत्य का विशेषतम महत्व है ,…..वहां असत्य का स्थायी महिमामंडन असंभव है !…….यद्यपि यहाँ असत्य सिद्ध हो चुके सिद्धांतों को भी आश्रय मिलता है ,…लेकिन …..यह प्राकृतिक बहुरूपता की सहज स्वीकृति का प्रत्यक्ष प्रतीक है !…….आखिरकार सत्य ही सनातन विजेता है !……. …..असत्य में भी कुछ अंश सत्य छिपा होता है !………इसीलिए वह भी अक्सर सत्य के हित में ईंधन की तरह प्रयोग होता है ,………इसमें असत्य के क्षोभ का कोई कारण नहीं बनता ,……..क्योंकि असत्य की स्वाभाविक नियति ही नाश है !……इसीतरह …सत्य की स्वाभाविक नियति अमृतत्व है !…….सत्य हमें सतत आत्ममंथन आत्मपरिष्कार की प्रेरणा भी देता है !…….. अस्तित्वहीन नास्तिकता में हमारा मिथ्या विश्वास हमारी अहंकारी अज्ञानी इच्छाओं का विकृत मूढ़ अनुवाद मात्र है !……हम मूर्ख मानव अपने प्रत्यक्ष अज्ञान को भी नास्तिकता बना लेते हैं !………श्रेष्ठ बुद्धि से इसका उच्चतम परिणाम भी अत्यंत सीमित होता है ,…..अधिकाँश तो पीड़ा पतन ही लाता है !……..आस्तिकता का अस्तित्व अनंत उज्जवल है !……….किसी भी स्थिति में सिर्फ स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ सर्वोच्च मान लेना हमारे अहंकार का चरम अपकर्ष होता है !………अज्ञान अहंकार का बोझ हमारी यात्रा में महान रुकावट डालता है ,……लेकिन कदाचित इस मिथ्या विषग्रंथि से छुटकारा पाना भी अत्यंत कठिन होता है ,……भगवत्ता गुरुसत्ता में अखंड प्रेम विश्वास से ही कुछ संभव हो सकता है ,…….डगमगाने पर संभालने वाले परोपकारी हाथ हमारे आदरणीय अधिमित्रों के होते हैं !……मूलतः समस्त संसार हमारा सगा मित्र ही है !………आखिरकार ,….हम सबके परमस्वामी परमपिता परमेश्वर हैं ,…यह धरती आकाश सूर्य तारे ब्रम्हांड जीवन आकाशगंगाएं सब किसी महानतम प्रयोजन के लिए हैं ,…..एक शरीर में जीवन अत्यंत सीमित क्षुद्र लग सकता है ,….लेकिन हमारा जीवन महान अनंत है !……..हम अल्पज्ञ मानव जानें या ना जानें ,..जानना चाहें या न चाहें !………ईश्वर हमारे साथ रहने वाले सर्वोपरि सर्वश्रेष्ठ सत्य है !…….हम उनके साथ कितना और किस तरह रह पाते हैं ,…..इसी का अंतिम महत्व है !………..ॐ शान्ति !……….भारत माता की जय !!……………वन्देमातरम !!!

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