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सफर के सपने !

युवामंच
युवामंच
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सपने देखे चलते चलते

देखा उनको धुंधले होते

गहन कुहासे निशा के तम में

सपने ज्योति जगाते मन में

लौट के देखा पथिक ने पीछे

कहाँ गया विश्वास जो सींचे

कभी अकेले जीत का दम था

फिसलन से आज क्यों डर था

तप्त लहू , उन्मादी भक्ति

अपनी सोच ही अपनी शक्ति

भगवन बैठे राह दिखाएँ

आँख बंद कर देख न पायें

खोलो आँख प्रभु अब जागो

लक्ष्य भेदने जोर से भागो

नहीं रोक पायेगा कोई

साथी है दुनिया ये सोयी

सफर का सपना पूरा होगा

गहन श्वास ले चलना होगा

ठहर के दो पल शक्ति जोड़ो

धारा अब इतिहास की मोड़ो.…वन्देमातरम !

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