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देश में निरन्तर बढ़ रही कोरोनावायरस संक्रमण की दर भयावह रूप लेती जा रही है, धीरे धीरे लॉकडाउन जैसे उपायों की प्रासंगिकता भी घट रही है। ऐसी किसी भी आपदा से निपटने के लिए लोगों का अनुशासित व्यवहार, सरकार के निर्देशों का पालन और तंत्र की तत्परता के साथ साथ हर वर्ग की सहभागिता और उपलब्ध संसाधनों का कुशल प्रबंधन अति आवश्यक है।
इस संकट से निपटने के 4T फॉर्मूले को हमारा तंत्र देश के सामाजिक, भौगोलिक और व्यवहारिक ढांचे के अनुसार क्रियान्वित नहीं कर पाया। गैरजिम्मेदार लोगों से यह अपेक्षा रखना कि वह बिना किसी दबाव के संक्रमण या संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने की सूचना खुद ही प्रशासन को देंगे, इस महामारी के विरुद्ध हमारे अभियान की विफलता का बड़ा कारण सिद्ध हुई।
सरकार ऐसे लोगों के विरुद्ध सख्त नहीं हो पाई। अब तक जांच और इलाज जैसे मोर्चों पर स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् एक नियत दायरे से बाहर नहीं निकल पाए। जांच के वैकल्पिक और शीघ्र परिणाम देने वाले तरीकों को जल्द ढूंढने पर विशेष ध्यान ना देना, इस महामारी के वैकल्पिक उपचार के रूप में जनवरी माह के अंत से ही सुझाए जा रहे आयुर्वेदिक उपायों को लगातार अनदेखा करना भी बड़ी चूक थी।
उपचार और जांच के तमाम सुझावों को उस विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के आगे वरीयता नहीं दी गई, जो इस महामारी से निपटने के मामले में शुरू से ही भ्रामक स्थिति में है और कभी हां कभी ना वाली हालत के कारण लगातार अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है। हमारा आयुष मंत्रालय भी एलोपैथ और फार्मा लॉबी के वर्चस्व के आगे समर्पण करने पर विवश है। अन्य देशों के अध्ययन और शोध को बिना किसी ठोस आधार के अपनाकर इस संकट से निपटने की कोशिश लगातार जारी है, यदि हम अपने ही तरीकों से इस संकट का सामना करते तो स्थिति अब तक नियंत्रित हो सकती थी।
अब भी समय है देश को इस अप्रिय स्थिति से बाहर निकालने के लिए हमें अपने स्वार्थों, अहंकार, वर्चस्व की लालसा और सुविधाओं को कुछ समय के लिए हाशिए पर धकेलना होगा, देश के करोड़ों लोगों के जीवन को इस आपदा से बचाना ही सच्ची देश सेवा होगी। सब सुरक्षित रहेंगे, तभी देश उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा, इस आपदा के समय करोड़ों नागरिकों के भविष्य से खिलवाड़ कर मात्र अपने हितों की पूर्ति करना अशोभनीय आचरण की पराकाष्ठा है।
उम्मीद है इन सुझावों को अपनाकर शीघ्र ही इस संकट से निपट सकते हैं
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