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शांत है पर दुनिया हमारी अशांत है,
चुप्पी है पर चोर है लेकिन दिल में सब के शोर है,
दिखता है पर सब अंधे हैं दुनियादारी के झूटे कंधे हैं,
चेहरे पे एक शिकन नही दिखता है पर फिकर नही,
आजाद है पर सोच नही यहां कोई किसी से कम नही,
झूठ है पर बलवान है लेकिन झूठा ही सबसे महान है,
दिखता है पर होता नही, खून बिकता है पर कोई रोता नहीं,
आँखों में है सपने बडे, कोई मजबूरी से आगे कैसे बड़े,
जीत है पर खुशियां है, पैसे वालों की ये दुनिया है,
माया है तोह काया है, झूट के आगे आज कौन टिक पाया है,
केस हैं पर रेस है, कलयुग के कितने भेस है,
सूरज है पर उजाला नही,भगवान ने तुमसे कभी कुछ मांगा नही,
अंधविश्वास है पर विश्वास नही, यहां जीने के लिए अपनी सांस भी नही,
समझ है पर कोई समझदार नही, दिल है पर कोई दिलदार नही,
झूट और धोके का बोल बाला है, रोता हमेशा दिलवाला है,
चार है पर प्रचार है, धोके बाज़ी का मिलता तीखा अचार है,
बिकता है और दिखता है यहाँ हर कोई बिकता है,
कहीं मज़बूरी बिकती है, कहीं प्यार और कहिं ईमान बिकता है,
कहीं रोने वाला हंसता है और कहीं हंसने वाला रोता है,
जीवन के इस चक्र में कोई अपना वजूद खोता है,
कोई आँखे बंद करके सपने देखता है कोई आंखें खोल के भी सोता है,
सच के इस विचार में झूट का प्रचार है, कैद हैं हम और कैदी हमारे सुविचार हैं,
शांति है पर शोर है दिल में सबके ब्लैक होल है ,
कहीं भूख है पर प्यास नही, इंसान हो तुम कोई हैवान नही,
ठीक भी होना चाहे तो कोई ठीक नही हो पाएगा ,
आवाज़ उठाने वाले को शोर में दबा दिया जाएगा ,
सच फिर शोर मचाएगा चलो फिर दो दिन के लिए सबको मनोरंजन का साधन मिल जाएगा,
एक बार फिर झूट सच का मज़ाक उड़ाएगा,
समझ नही आता कौन किससे किसको बचाएगा,
प्रलय भी आएगा ज़रूर आएगा पर प्रलय से पहले इंसान खुद ही अपने विनाश की वजह बन जायेगा ।।
डिस्कलेमर : उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी है। जागरण जंक्शन किसी भी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
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