कलम की आवाज़ से
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ओह कान्हा मुरली बाजे रे ज़रा गीत सुना दो ना ,
मुरली बाजे राधा नाचेगी श्याम आये गोपिया भी नाचेगी ,
कैसा प्रेम ये तुने लगाया रे …..ज़रा गीत सुना दो ना
ओह कान्हा मुरली बाजे रे ज़रा गीत सुनस दो ना |
गोकुल के गाँव में जैसे छन – छन करते है
मधुर – मधुर तानो में जैसे खन-खन करते है,
स्याम सनोले गाँव में जब कान्हा आता है,
सांझ सहेलियों के संग जब मुरली बजाते है,
कैसा बावरी तुने बना दिया ज़रा दर्सन करा दो ना,
ओह कान्हा मुरली बाजे रे ज़रा गीत सुना दो ना ,
न ना ज़रा गीत सुना दो ना |
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