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काश आप सुन सकते – जन्मदिन मुबारक अटल जी।
अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं।
भारत के विदेश मंत्री (1977–1979) के रूप में भी आपने विशेष छाप छोड़ी।
भारतीय राजनीति में छह दशक गुजारने वाले दिग्गज नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “भारत रत्न” से भी नवाज़ा गया। कोई भी पुरुस्कार अटल जी जैसी शख़्सियत के सामने बौना है।
अटल जी को सच्ची आदरांजलि उनकी ही कविता के माध्यम से देने का साहस कर रहा हूं।
“क़दम मिलाकर चलना होगा।”
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
आईये, एक दूसरे से नफरत, अविश्वास और दोषारोपण छोड़ कर , देशहित और समाज हित में क़दम से क़दम मिलाकर चलें और विश्व नेतृत्व करने का सपना साकार करें।
यही जन्मदिन की सच्ची बधाई होगी, अटल जी जैसे महान व्यक्तित्व के लिए। वो स्वस्थ्य और दीर्घायु हों, इसी कामना के साथ – हार्दिक बधाई।
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक – झांसी।
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