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जंगे आज़ादी में मुसलमानों की भूमिका पर एक नज़र

SHAHENSHAH KI QALAM SE! शहंशाह की क़लम से!
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‘मादरे वतन ज़िन्दाबाद – हिंदुस्तान ज़िन्दाबाद’।

आज के हालात पर शायरों के दो शेर:

“अपने दिल की किसी हसरत का पता देते हैं,
मेरे बारे में जो लोग अफवाह उड़ा देते हैं।” (कृष्ण बिहारी नूर)

“जब पड़ा वक़्त गूलिस्तां पे तो ख़ूं हमने दिया,
जब बहार आई तो कहते हैं, तेरा काम नहीं।”


यह पोस्ट लिखने का मक़सद छद्म राष्ट्रवादियों और जश्ने आज़ादी पर मदरसों की वीडियोग्राफी का फरमान जारी करने वालों को आईना दिखाना और साफ तौर पर बताना है कि देशहित में वे मुसलमानों के स्वयंभू पहरेदार बनकर दिशानिर्देश जारी करना और उनके मज़हबी व समाजी मामलों में दख़लअंदाजी से बाज़ आयें।


फ़रमान जारी हुआ है मदरसों में झंडा फहराओ। इन्हें शायद पता नहीं कि देश को झंडा फहराना ही मदरसों ने सिखाया है। तुम्हारी वीडियोग्राफी के डर से मदरसों में तिरंगा झंडा नहीं फहराया जाएगा। आज़ादी के बाद से आज तक मदरसों में तिरंगा झण्डा फहराया जाता रहा है और आगे भी ऐसा होता रहेगा। मुसलमान कल भी जश्ने आज़ादी पूरे जोश से मनाते थे, आगे भी मनाते रहेंगे,

क्योंकि मशहूर शायर राहत इन्दौरी के लफ़्ज़ों में :

“है शामिल सबका खून इसकी मिट्टी में,
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़े ही है।”


नये-२ बने राष्ट्रवादियों, हमारी फिक्र छोड़कर अपने पूर्वजों और तथाकथित राष्ट्रवादी संगठन का इतिहास पढ़कर अपने गिरेबां में झांको। जब ये लोग अंग्रेज़ों की ग़ुलामी कर रहे थे और तथाकथित राष्ट्रवादी संगठन ने अपने आपको सांस्कृतिक संगठन बताकर जंगे आज़ादी से अलग कर लिया था, तब भी हमारे पूर्वज, मौलाना, हाफिज़, मुफ्ती, आम मुसलमान और मदरसे सबके साथ मिलकर जंगे आज़ादी में हिस्सा लेकर जान की बाज़ी लगा रहे थे और कुर्बानियां दे रहे थे।


कराओ वीडियोग्राफी उन तथाकथित राष्ट्रवादी संगठन और उनसे जुड़ी संस्थाओं की, जिन्होंने आज़ादी के बाद से दशकों कभी तिरंगा झण्डा नहीं फहराया। हमेशा एक रंगे झंडे को तरजीह दी और हिडिन एजेंडे के तहत आज भी एक रंगे झंडे को तरजीह दे रहे हैं। जंगे आज़ादी में जोश जगाने वाले ९०% नारे हमने दिए हैं। कुछ मिसालें दूं…


”भारत छोड़ो, Quit India” और “साइमन वापस जाओ, Simon go back” का नारा युसुफ मेहर अली ने दिया था।

सुरैया तैयब जी ने तिरंगा को वह रूप दिया, जो हम आज देखते हैं।

अल्लामा इकबाल ने तराना-ए-हिंद ”सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा” लिखा था।

”जय हिंद” का नारा आबिद हसन साफरानी ने दिया था।

”इंकलाब जिंदाबाद” का नारा हसरत मोहानी ने दिया था।

”सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है”, इसे 1921 में बिस्मिल अज़ीमाबादी ने लिखा था।


जंगे आज़ादी के कुछ अहम मुस्लिम मुजाहिदीन के बारे में भी बताना इसलिए ज़रूरी हो गया है कि “Quit India – अंग्रेजो भारत छोड़ो” और “Simon go back – साइमन वापस जाओ” जैसे नारे देने वाले समाजवादी मज़दूर नेता और मशहूर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मरहूम युसुफ मेहर अली को “भारत छोड़ो – Quit India” आंदोलन के 75वें वर्ष में संसद में ही भुला दिया गया।


तब जश्ने आज़ादी की 71वीं सालगिरह पर दिल ने चाहा कि देशहित में जंगे आज़ादी के उन अज़ीम मुजाहिदीन से मुल्क के नौजवानों को रूबरू कराया जाये, जिन्हें दुनिया भुला चुकी है। मीडिया तो क्‍या आम मुसलमान भी उन्हें भूल गया, फिर किसी और से क्या शिकायत?, वे तो अपने लोगों का डंका पीटेंगे ही।


कुछ लोग हैं, इतिहास को मिटाने और बदलने में लगे हैं। ऐसे लोगों को जंगे आज़ादी का मुजाहिद बताया जा रहा है, जिनका जंगे आज़ादी से कोई सरोकार नहीं था। जो अंग्रेज़ों के मददगार थे। ऐसे में जंगे आज़ादी के इन मुजाहिदीन का तज़किरा और ज़रूरी हो जाता है।


1) अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ उठने वाली पहली आवाज़ “नवाब सिराजुद्दौला”
2) जंगे आज़ादी का पहला शहीद, जिसने मैदान में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए, लेकिन अपने ख़ास सलाहकार की ग़द्दारी से मारा गया। “शेर ए मैसूर टीपू सुल्तान”
3) हज़रत शाह वलीयुल्लाह मुहद्दीस देहलवी
4) हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दीस देहलवी
5) हज़रत सय्यद अहमद शहीद
6) हज़रत मौलाना विलायत अली सादिक़ पुरी
7) अबु जाफर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह ज़फ़र
8) अल्लामा फज़्ल -ए-हक़ खैराबादी
9) शहज़ादा फिरोज़ शाह
10) मौलवी मुहम्मद बाक़र शहीद
11) बेगम हज़रत महल
12) मौलाना अहमदुल्लाह शाह
13) नवाब खान बहादुर
14) अज़ीज़न बी
15) शाह अब्दुल क़ादीर लुधियानवी
16) हज़रत हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर-ए-मक्की
17) हज़रत मौलाना मुहम्मद क़ासीम नानोतवी
18) हज़रत मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी
19) शेख-उल-हिंद हज़रत मौलाना महमूद-उल-हसन
20) हज़रत मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी
21) हज़रत मौलाना रशीद अहमद गंगोही
22) हज़रत मौलाना अनवर शाह
23) मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली
24) हज़रत मौलाना मुफ्ती किफायतुल्लाह
25) सेहबान -उल-हिंद मौलाना अहमद सईद देहलवी
26) हज़रत मौलाना सईद हुसैन अहमद मदनी
27) सैय्यीदुल अहरार मौलाना मुहम्मद अली जौहर
28) मौलाना हसरत मोहानी
29) मौलाना अरीफ हिसवी
30) मौलाना अबुल कलाम
31) रईस-उल अहरार मौलाना हबीबुर्रहमान लुधियानवी
32) डाक्टर सैफुद्दीन कुचलु अमृतसरी
33) मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खान
34) मौलाना मज़हरूल हक
35) मौलाना ज़फ़र अली खान
36) अल्लामा इनायत उल्लाह खान मशरीक़ी
37) डाक्टर मुख्त़ार अहमद अन्सारी
38) जनरल शाहनवाज़ खान
39) हज़रत मौलाना सय्यद मुहम्मद मियां
40) मौलाना मुहम्मद हिफज़ुर्रहमान शौहरवी
41) हज़रत मौलाना अब्दुल बारी फिरंगीमहली
42) ख़ान अब्दुल ग़फ्फार ख़ान
43) मुफ्ती अतिक़ुर्रहमान उस्मानी
44 ) डाक्टर सैय्यद महमूद
45) ख़ान अब्दुल समद ख़ान
46) रफ़ी अहमद क़िदवई
47) युसूफ मेहर अली
48) अशफाक़ुल्लाह ख़ान
49) बैरिस्टर आसिफ अली
50) हज़रत मौलाना अताउल्लाह शाह बुख़ारी
51) मौलाना ख़लील -उर-रहमान लुधियानवी
52) अब्दुल क़य्युम अन्सारी
53) ग़ुलाम ग़ौस ख़ान
54) ख़ुदा बख़्श
55) मोती बाई
56) शाह इस्माईल शहीद
57) अली ब्रादरान


इन तमाम हस्तियों के अलावा और भी लाखों मुसलमानों ने जंग-ए-आज़ादी में सबके साथ अपना खून बहाया है। हम आज भी अपने अज़ीम मुल्क की ख़ातिर हर क़ुर्बानी देने को तैयार हैं। इसलिए देशहित में आप हमें राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ाने की बजाय ख़ुद उसे ढंग से पढ़कर उस पर अमल करें।


मुसलामानों से आधारहीन मनमाने तथ्यों पर आधारित नफरत और अविश्वास का कारोबार बंद करें। हमारे मज़हबी और समाजी मामलात में दख़लअंदाज़ी बिल्कुल बंद कर दें। इसी में सबकी भलाई है।

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