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राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल बलात्कारियों को बचाने के लिये, वाह रे राष्ट्रवाद।

SHAHENSHAH KI QALAM SE! शहंशाह की क़लम से!
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संघी माधव खेलें खेल, बोलो ता रा रा रा…………!

जम्मू के सामाजिक राजनीतिक मसलों के जानकर पत्रकार देवेद्र प्रताप कहते हैं, ‘आसिफ़ा बकरवाल समुदाय, पशुपालन करने वाली मुस्लिम गुर्जर घुमंतू जाति से है। बकरेवाल अपने जानवरों को लेकर जाड़ों में नीचे आ जाते हैं और गर्मियों में ऊपर चले जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वह जागरूक और शिक्षित हुए हैं। उनमें से बहुत से लोग स्थाई निवास भी बनाने लगे हैं। असल झगड़ा हिंदूवादी संगठनों और उनमें स्थाई निवास के कारण ही है।’

देवेंद्र प्रताप के मुताबिक, ‘कठुआ में एक—दो दशक पहले तक मुस्लिम बहुत कम थे, लेकिन अब 22 ℅ यहां बकरेवाल हैं। आरएसएस और हिंदू एकता मंच जैसे तमाम संगठन लगातार इस कोशिश में हैं कि इन्हें यहां से उजाड़ दिया जाए। लेकिन पीडीपी ने बकरेवालों को वन भूमि में बसने आदेश दिया है, अब वह स्थाई आवास बनाने लगे हैं, जबकि हिन्दुवादी संगठन कठुआ को हिंदू स्थान ही बनाए रखना चाहते हैं।

भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि उसे अगली विधानसभा में जीतने की कोई वजह नहीं मिल पा रही, क्योंकि उसने सरकार में रहते ऐसा कोई काम नहीं किया।’

दोनों मंत्रियों के समर्थक कह रहे हैं कि ये लोग राम माधव के निर्देश पर ही रैली में शामिल हुए थे, क्यों कह रहे हैं? पार्टी को लंबे समय से ऐसे किसी मुद्दे की तलाश है जिसमें भाजपा राज्य में उभर कर आए और राज्यभर में गिरता ग्राफ ऊपर आए।’

बलात्कारियों और हत्यारों के बचाव में रैली भाजपा के कहने पर हिंदू एकता मंच ने आयोजित की थी। अब जबकि दोनों आरोपी मंत्री चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है तब उनके समर्थक कहने लगे हैं कि ये सिर्फ शिकार हैं, जो जन दबाव में भाजपा ने किए हैं, लेकिन असल मास्टर माइंड संघ के पूर्व पदाधिकारी और भाजपा महासचिव राम माधव हैं। जिनको बचाने की कोशिश में भाजपा ने दोनों मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया है।

लेकिन भाजपा वास्तविकता तो सामने आ ही गई और उसकी फज़ीहत तो हो ही रही है।” कठुआ बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा यात्रा निकालना चुनावी मुद्दे की तलाश में राम माधव का रचा खेल है।

भले ही दिखने में असली लुच्चा राम माधव हो, लेकिन अपने आक़ाओं को विश्वास में लिऐ बग़ैर वो यह खेल नहीं खेल सकता।

इस हंगामे के दौरान जस्टिस लोया के कातिल ने इशरत जहां मामले के फरियादी को ट्रक से उड़ा कर मरवा दिया।

समझ सको समझो देशवासियो, सत्ता बचाने और उसे हासिल करने के लिये कैसे -2 खेल खेले जा रहे हैं?

सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक – झांसी।

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