Menu
blogid : 12543 postid : 1375687

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ुऐ क़ातिल में है!

SHAHENSHAH KI QALAM SE! शहंशाह की क़लम से!
SHAHENSHAH KI QALAM SE! शहंशाह की क़लम से!
  • 62 Posts
  • 43 Comments

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ुऐ क़ातिल में है!

काकोरी कांड के अमर युवा बलिदानियों, पं. राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला ख़ान और ठाकुर रोशन सिंह को अंग्रेज़ों द्वारा आज 19 दिसम्बर के दिन वर्ष 1927 में फांसी दी गयी थी।

सभी युवा वीरों को शत – शत नमन..

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारियों में सबसे प्रमुख थे राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ एवं अशफ़ाक़ उल्ला खाँ ।
और फिर क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशनसिंह, 10.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 11.गोविन्दचरण कार, 12.रामदुलारे त्रिवेदी, 13.रामनाथ पाण्डेय, 14.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 15.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 16.प्रणवेशकुमार चटर्जी

काकोरी काण्ड : हिन्दुस्तानी जंगे आज़ादी के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार ख़रीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही ख़ज़ाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी। जो ९ अगस्त १९२५ को घटी।

इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था।

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आज़ादी के आन्दोलन को गति देने के लिये पैसे की फ़ौरन ज़रूरत के मद्देनज़र शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेज़ी सरकार का ख़ज़ाना लूटने की प्लानिंग की।

इस प्लानिंग के अनुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९अगस्त १९२५ को लखनऊ ज़िले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी “आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन” को चेन ख़ींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी ख़ज़ाना लूट लिया।
बाद में अंग्रेज़ी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी ख़ज़ाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सज़ा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सज़ा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।

याद रखिये, इसी एकता और आपसी विश्वास की देश को आज भी ज़रूरत है। आज धर्म के नाम पर जो लोग हिंसा कर रहे हैं, निर्दोषों की हत्या कर आतंक फैला रहे हैं, वो देश को कमज़ोर कर रहे हैं। हमें उन्हें देशद्रोही और आतंकवादी कहने में नहीं हिचकना चाहिए।

देश के लिए क़ुर्बान होने वाले सभी युवा जांबाज़ बहादुरों को दिल की गहराईयों से सलाम।

हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद, जय भारत – जय हिन्द।

सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक – झांसी।
काकोरी के शहीद _n

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply