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डा0 भीम राव अम्बेडकर जी की 125वीं वर्ष गांठ – संविधान दिवस 26 नवम्बर 2015।
आईये देखें क्या कहती है “भारत के संविधान” की ‘उद्देशिका’ :
“हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व–सम्पन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्यबनाने के लिये तथा उसके समस्त नागरिकों को समाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिये तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढाने के लिये दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। ”
अब माननीय मोदी जी की भक्तों, छ्दम राष्ट्रवादियों और उनकी वबाली मंडली से अनुरोध है कि आंख, नाक, कान, दिल और दिमाग खोल कर बहुत ध्यान से संविधान की उपरोक्त उद्देशिका को पढें और मनन करें कि पंथ और धर्म निरपेक्षता और समाजवाद का उपहास उडाना और इसे नकारना, संविधान का उपहास उडाना और इसे नकारना नहीं?
संविधान के नकारने वाले को, वो लोग अपनी भाषा में क्या कहते हैं? याद रखिये पंथ निरपेक्षता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और समाजवाद इस महान देश की आत्मा हैं।
संविधान के एक अंश को भी नकारना पूरे संविधान को नकारना है और यह देशद्रोह है और ऐसा करने वाला देश द्रोही ही होगा न? संविधान की हर प्रकार से रक्षा हर सच्चे हिन्दुस्तानी का कर्तव्य है।
पंथ और धर्म निरपेक्षता और समाजवाद ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद!
बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी को सादर नमन और हार्दिक आदरांजली !!
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
वरिष्ठ समाजवादी चिंतक
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