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लौ भैया, संघी, मुसंघी और ई-संघियों के लिए एक और बुरी खबर।
बेचारे कोई जश्न ही ठीक से नहीं मना पा रहे। अभी “संघी विकास” की बे वक़्त मौत के सदमें से उबरे नहीं कि दूसरी मनहूस खबर।
जिस तरह प्रायः हम लोग सड़कों पर मदारियों और उनके बंदरों के तमाशे देख कर खूब आनन्दित होते हैं। खूब तालियां बजाते हैं। खड़े हो हो कर मदारी और उसके बंदर का उत्साहवर्धन करते हैं।
ठीक वैसा ही अमेरिकी कांग्रेस ने हमारे मोदी जी के साथ किया।
क्या भाषण था मोदीजी का? 90 बार तालियां बजी, 17 बार लोग खड़े हुए लेकिन उसी अमेरिकन कांग्रेस ने न्यूक्लिअर सप्लायर ग्रुप में भारत की सदस्यता को 85 के मुकाबले 13 वोट से ख़ारिज कर दिया।
ओबामा के साथ मैत्री लीला और अमेरिका चालीसा भी काम न आया।
खेल ख़तम, पैसा हज़म।
ओबामा जी, इतना तो रहम करते, भक्तों को तालियों का जश्न ठीक से मना लेने देते। अपनी पीठ थपथपाने लेने देते।
सच बताओ वो तालियां थी या थप्पड़?
चलो, हटो, तुम बड़े वो हो जी…………..!
ओबामा जी बड़ा दुःख दीना, तुम्हारी कांग्रेस ने सब सुख छीना।
न खुदा मिला, न विसाले सनम।
न उधर के रहे, न इधर के रहे हम।।
क्या शानदार कूटनीति, विदेश नीति, सुभानाल्लाह? सीट तो मिली ही नहीं। पाकिस्तान और चीन से रिश्तों में जो कड़वाहट आई वो अलग।
बहुत खूब मोदी जी, बस ऐसे ही तमाशा बन कर तालियां बजवाते रहो और अपने भक्तों के साथ आत्म मुग्ध होते रहो।
बोलो भक्तो, भारत माता की ………………।
बस यही काफी है न? क्योंकि मादरे वतन ज़िंदाबाद, इंक़लाब ज़िंदाबाद, जय हिन्द आदि नारे तो आक्रांताओं के हैं जो उन्होंने विदेशी जुबां में हिन्दुस्तान को आज़ाद करवाने के लिए लगाये थे?
जब यह छद्म राष्ट्रवादी नागपुरी संतरे अपने अंग्रेज़ आक़ाओं की गोद में बैठ कर देश के मुजाहिदों की मुखबरी कर रहे थे।
जागो देशवासियों, खासकर युवा देशवासियो जागो, इन बुज़दिलों की हक़ीक़त जानो। वरना यह महान देश का ऐसे ही तमाशा बनाते रहेंगे और देश में पूंजीवादी राजनैतिक व्यवस्था लागू कर देश को अपने चहेते पूंजीवादियों के हाथों गिरवीं रख कर अपनी सत्ता को सुरक्षित करने का प्रयत्न करेंगे।
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक-झांसी।
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