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विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें !!
तानाशाही, झूठ, पाखण्ड, बगुलाभागती और अहंकार पर जनतंत्र, सत्य, ईमानदारी और विनम्रता की जीत का जश्न है – विजयदशमी !
आज विजयादशमी पर्व है। विजयादशमी पर्व प्रतीक है,असत्य पर सत्य , आडम्बर पर सादगी का, अराजकता पर सदाचरण का, अन्धकार पर उजाले की विजय का ।
गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस मे लिखा है :-
“रावन रथी, विरथ रघुवीरा ”
यहाँ रावण प्रतीक है आडम्बर का, अहंकार का, विलासिता का, दंभ का, अत्यंत सुविधा भोगी भौतिकवादी परिवेश का, अपनी बौद्धिक क्षमता के अनाधिकृत और अप्रासंगिक दोहन का, समष्टि मे थोपी गयी व्यष्टि वादिता का, मानवीय संवेदन की अन्यमनस्कता का ।
इसीलिए रावण रूपी कुरूपता का दहनकर, अपने अन्तस मे राम का मूलत्व को अंगीकार करना होगा, तभी हम त्याग, सर्मपण, बलिदान, करूणा, आदि संवेदन प्रसारित और परिभाषित करते हुए, विजयादशमी का मूल अंकुरित करने मे सफल होंगे ।
विजयदशमी के शुभ अवसर पर सच्ची श्रृध्दान्जली यही होगी कि हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर राजनीति कर झूठ बोलने वालों, भगवान राम और जनता को धोखा देने वालों एवं रावण का महामंडन करने वालों को सबक़ सिखायें।
मर्यादा पुरूषोत्तम राम से प्रेम का अर्थ है रावण के हर रूप से हर युग में घृणा भले ही वह आधुनिक रावण ही क्यों न हो। तभी विजयदशमी मनाना सार्थक होगा अन्यथा यह दिखावे और ढ़ोंग के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
राम के देश में ही सच्चे रामभक्तों और देशभक्तों की अग्निपरीक्षा है, उन्हें ही पूरी गम्भीरता से चिंतन कर निर्णय लेना है कि देश में राम पूज्नीय रहेंगे या रावण? रामराज्य चाहिए या रावण राज्य?
क्योंकि भारत देश में जिस प्रकार रावण और गोडसे के महामंडन का चलन बढा है वह रामराज्य का सपना पाले गान्धी के देश के लिये शुभ संकेत नहीं।
हे प्रभु! पाखण्डियों, बहरूपियों और बगुला भगतों से इस देश की रक्षा करना।
सभी सच्चे राम भक्त देशवासियों को विजयदशमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं!!
मर्यादा पुरुषोत्तम राम को हज़ारों सलाम !!!
सैयद शहनशाह हैदर आब्दी
समाजवादी चिंतक – झांसी
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