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टाइटैनिक जहाज का आखिरी सफर

jagate raho
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विश्व का उस समय का बना हुआ सबसे बड़ा सभी सुविधाओं से लैश था ये पानी का जहाज टायटनिक ! अभी तक इतना महँगा, इतना बड़ा मजबूत पानी का जहाज विश्व में कहीं नहीं बना था ! १९१२ में इंग्लैण्ड में जब यह बनकर तैयार हुआ तो विश्व के तमाम टेक्निशियन, कारीगर, जहाज को पानी में नियंत्रित करके सुचारु रूप से चलाने वाले, इसकी मजबूती के बारे में, (गारंटी थी की यह जहाज अनब्रेकेबल है) किसी भी मौसम, बिषम प्रस्थितियों का मुकाबला करने की क्षमता के बारे में, तथा जहाज पर कीमती से कीमती मजबूत सामान इस्तेमाल करने से पूरी तरह संतुष्ट थे ! यह जहाज ८८२ फ़ीट (२६९ मीटर) लंबा था ! कहने का मतलब की अगर २२ बसों को एक लाइन में खड़ी करदें तो सारे बसों की लम्बाई के बराबर था यह टायटैनिक जहाज ! यह १६ कम्पार्टमेंट्स में बांटा गया था ! पानी में चलते हुए ऐसे लगता था जैसे एक राजमहल सम्पूर्ण सुविधाओं के साथ समुद्र के ऊपर तैर रहा हो ! इसमें जहां उचस्तर के रेस्टोरेंट थे वहीँ टर्किश बाथ और स्विमिंग पूल भी थे ! व्यावसायिक क्लास, प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणियां के लिए अलग अलग कमरे थे ! लिखने- पढ़ने के कमरे, जिम, जिमनास्टिक, फुटबॉल, बास्केट बॉल खेलने की सुविधा, व्यायामशाला तथा आपातकाल में बचाव के लिए काफी मात्रा में लाइफ बोटें भी जहाज में र
रखी गयी थीं ! विश्वस्तर में पहली बार इतना विशालकाय जहाज समुद्र में उतर रहा था ! यात्रा रुट था अटलांटिक सागर में इंग्लैण्ड से न्यूयार्क सिटी (अमेरिका) तक ! बहुत से दूसरे देशों के लोग भी इस जहाज द्वारा यात्रा का आनंद उठाना चाहते थे, इंग्लैण्ड से काफी यात्री जहाज में बैठ चुके थे, तथा फ़्रांस तथा अन्य यूरोपीय देशों से भी यात्री लिए गए थे ! इस जहाज में जहाँ बड़े रईस थे वहीं मध्यम वर्ग के लोग भी थे जिनमें कुछ पढ़ाई करने व आजीविका के लिए न्यूयार्क जा रहे थे अपने पूरे सामान के साथ ! इस जहाज में बड़े रईस जॉन जैकब एस्टर साथ में उनकी धर्म पत्नी प्रथम श्रेणी के टिकट पर सफर कर रहे थे ! प्रथम क्लास टिकट की कीमत एक क्रू मेंबर की १८ साल के वेतन के बराबर ाँकि जाती है ! मीडिया वालों ने इसे ‘Millionaires Special’, नाम दिया था लेकिन इसमें यात्रा करने वाले सभी श्रेणी स्टेटस के लोग थे, अपने स्टेटस के मुताबिक़ अपनी सीटों में बैठे थे !
१९१२, १० अप्रैल, दिन के १२ बजे ! टाइटैनिक जहाज पूरी तैय्यारे के साथ दो हजार से अधिक यात्रियों जिनमें दर्जनों बच्चे भी थे, के साथ बिलकुल तैयार था ! जैसे ही घड़ी ने १२ बजाए कैप्टेन एडवर्ड जे स्मिथ (इनका यह आखिरी समुद्री अभियान था रिटायरमेंट से पहले का) ने सारे क्रू मेम्बरों के साथ जहाज के इंजिन को चालू किया और यह अपने ही ढंग का नया जहाज इंग्लैण्ड डॉकयार्ड से धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा ! रास्ते में एड्मोंड और माइकल नवरातील दो बच्चे अपने पिता जी के साथ द्वितीय श्रेणी के टिकट से फ़्रांस डॉक से जहाज में चढ़े ! ये दोनों बच्चे तीन और दो साल की उम्र के थे ! डॉक पर बहुत बड़ी भीड़ थी कुछ यात्रियों के सगे संबंधी रिश्तेदार थे कुछ जहाज देखने के लिए आए हुए थे ! कोई झंडा उठा रहा था कोई अपना रुमाल हिल्ला हिल्ला कर यात्रियों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऊंची आवाज में “good luck Titanic” कह रहे थे, कुछ अपने दोस्तों और परिवार वालों को good bye कह रहे थे ! कुछ नुसाफिर तो अपने कुत्ते भी साफ़ लेकर यात्रा कर रहे थे ! सुबह सुबह वे भीतर ही भीतर अपने कुत्तों को घुमा लिया करते थे ! जहाज आगे बढ़ रहा था मुसाफिर बच्चे बड़े प्रशन्नचित्त होकर इस यात्रा का भरपूर आनंद उठा रहे थे ! १३ अप्रैल को जहाज अटलांटिक सागर के उत्तरी भाग में प्रवेश कर चुका था जहां बर्फीली बड़ी छोटी चट्टाने समुद्र में बहती नजर आ रही थी ! १४ अप्रैल पूरे दिन इन बर्फीले चट्टानों से बचने के लिए सावधान रहने की चेतावनी मिलती रही वायरलेस से तथा टेलीग्राफ से ! ये बर्फीली चट्टाने जैसे जैसे बर्फ पिघलता है बर्फ के छोटे से टुकड़े से लेकर बड़े विशाल आकार की चट्टानों के रूप में समुद्र में बहती रहती हैं ! ये कभी कभार असावधान सवारी या मालवाहक जहाज़ों से टकरा जाते हैं नतीजा कभी कभी बड़ा भयानक हो जाता है ! पूरी रात जहाज अपनी नियमित रफ़्तार से आगे बढ़ता रहा, साथ ही इन वर्फीली चट्टानों पर भी जहाज के कैप्टेन और क्रयू मेम्बरों की नजर टिकी रही, जो जहाज से काफी दूर थे ! मौसम बड़ा ठंडा था और सागर बिलकुल सांत था !
अचानक क्र्यू मेम्बरों की नजर एक बड़े भारी काली वस्तु पर पडी वास्तव में यह एक बड़ी बर्फीली चट्टान ही थी जो तेज गति से जहाज की तरफ ही आ रही थी ! खतरे का अलार्म बजा, टेलीफोन की घंटी बजी, कुछ लोग डैक पर जमा होगए थे, कुछ शान्ति से नींद ले रहे थे दुनिया से बेखबर, बच्चे नई नई गुड़ियों से अपना मनोरंजन कर रहे थे ! शोर मच गया, “बर्फीली चट्टान दाहिनी ओर आ रही है “, बिना समय खोए प्रथम क्र्यू अधिकारी ने इंजन चालक को जहाज को जल्दी से जल्दी बाएं ओर घुमाने के लिए कहा ! फिर उसने आदेश दिया की इंजन को बंद कर दें और जहाज को रिवर्स करें ! बर्फीली चट्टान तेजी से नजदीक आ चुकी थी, जहाज को इस चट्टान के रास्ते से हटाने का प्रयत्न किया गया लेकिन काफी देर हो चुकी थी, नतीजा चट्टान जहाज से टकरा ही गया, बड़े जोर का धमाका हुआ पूरा जहाज हिल गया ! कैप्टेन स्मिथ भी सो रहे थे, इस जोर के झटके से उनकी नींद टूटी और भाग कर नीचे बायलर रोम में गए जहां जहाज के तकनीशियन जहाज में भरते हुए पानी को बंद करने और भरे हुए पानी की निकासी के बारे में सोच रहे थे ! बायलर रोम पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका था ! पानी बड़ी तेजी से जहाज में भर रहा था ! बायलर रोम वाले कर्मचारी गले गले तक पानी में आ चुके थे ! स्वचालित दरवाजे अपने आप सील बंद हो गए थे ! लोग जल्दी से जल्दी निकलने की कोशिश में अंदर ही फंस गए ! पानी तेजी से एक कामार्टमेन्ट से दूसरे कमांरटमेंटों में भरने लगा था !

१५ अप्रैल १२.५ पर कैप्टेन स्मिथ ने क्रू मेम्बरों को आदेश दिया लाइफ बोटों को खोल दो “Uncover the Life boats” ! साथ ही उसने अपने दो वायरलेस ऑपरेटरों को आदेश भी दे दिया की वे सहायता मांगने के लिए सारे चैनलों का इस्तेमाल करें ! कैप्टेन स्मिथ जान चुके थे की जहाज अब डूबने के कगार पर है, उसे डूबने से बचाने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं, साथ ही जहाज में बचाव कार्य में इस्तेमाल आने वाली नावें काफी कम थी ! सभी यात्रियों को किसी भी कीमत पर नहीं बचाया जा सकता है ! बहुत से यात्री तो अभी तक इन खतरों से बेखबर गहरी नींद में सो रहे थे ! कुछ यात्री फुटबॉल खेलने में मस्त थे, इस भयानक खतरे से बेखबर ! आधी रात को १२.३० AM बहुत से यात्री आधी नींद में पाजामा में ही अपने कमरों से बाहर आए, कुछ सांझ से पहने हुए कपड़ों में ही थे ! कर्नल एस्टर पत्नी के साथ लाइफ बोट में सवार होने के लिए उस स्थान पर पहुंचे जहां क्र्यू मेंबर लाइफ बोटों को रस्सों के जरिए ६० फ़ीट (१८ मीटर) नीचे समुद्र में उतार रहे थे ! क्र्यू मेम्बरों ने यात्रियों को लाइफ बोटों में उतारने का काम शुरू किया, पहले औरतों और बच्चों को उतारा जाने लगा ! जहाज में केवल २० बोटें ही थी ! वैसे जहाज में लाइफ जैकेट भी थे लेकिन सीमित मात्रा में ! समुद्र में गिरने से ये लाइफ जैकेट पहिनने वाले को डूबने नहीं देता बसर्ते वे हिंसक सार्क मच्छलियों के दायरे से दूर रहें !
जहाज डूबने के कगार पर था, नजदीक से एक जहाज जा रहा था क्र्यू मेम्बरों ने सहायता के लिए राकेट दागा, फायर वर्क का इस्तेमाल किया, उसका ध्यान खींचने के लिए, लेकिन उसने अनसुनी करके अपना मार्ग ही बदल दिया ! दूसरे जहाज के क्र्यू मेम्बर्स शायद सो रहे थे, उन्होंने टायटनिक की सहायता अपील नहीं सुनी ! ओलिंपिक नामक जहाज (sister ship) ने ये सहायता अपील सूनी, लेकिन वह काफी दूर था ! लाइफ बोटों में सारे यात्री नहीं भेजे जा सकते थे ! बहुत सारे यात्री अभी भी जहाज में मौजूद थे ! जहाज धीरे धीरे समुद्र में समाता जा रहा था ! बैंड बज रहा था ताकि जहाज के यात्रियों का खतरे से ध्यान बंटाने के लिए, लेकिन अब सारे मुसाफिरों को पका यकीन होगया था कि जहाज को किसी भी हालत में बचाया नहीं जा सकता, यह डूबेगा और हमें भी साथ ले डूबेगा ! अब आख़री बची बोट भी समुद्र में उतारी गयी, उसमें कर्नल एस्टर की पत्नी को जगह मिली, बोट में केवल औरतें और बच्चे थे, कर्नल एस्टर को इजाजत नहीं थी बोट में बैठने की ! वे भाग कर वहां गए जहां उनके कुत्ते के साथ दूसरों के कुत्ते भी बंधे थे, उनहोंने सभी कुत्तों को मुक्त कर दिया ! दोनों बच्चे माईकल और एडमंड नवरातील अभी तक जहाज में थे ! उनके पिता जी ने उन्हें ठण्ड से बचाने के लिए कंबल में लपेटा हुआ था ! आखरी लाइफ बोट भी समुद्र में उतारी गयी, इस बोट में इन दोनों बच्चों को उनके पिताजी ने एक भली औरत को सौंप दिया जो उस बोट में बैठी हुई थी, और स्वयं जहाज में फंसे हुए अभागे लोगों में शामिल होगया ! अचानक बैड म्यूजिक बंद होगया ! जहा तेजी से समुद्र के गर्त में डूबता जा रहा था, करीब सौ लोग अभी भी डैक पर मौजूद थे, जहाज सागर की तरंगो के कारण जोर जोर से हिचकोले खा रहा था, लोग संभल नहीं पा रहे थे, कुछ ढीली पकड़ के कारण समुद्र में गिर रहे थे, कुछ खुद ही काफी ऊंचाई से छलांगे मार रहे थे, जैसे बहुत बड़ी ऊंची बिल्डिंग से पकृति प्रकोप से बचने के लिए लोग बचने की कोशिश करते हैं ! अभागे मृत्यु की गोद में समा रहे थे, जिन्होंने लाइफ जैकेट पहन रखी थी वे डूबने से तो बच रहे थे लेकिन समुद्र का पानी बर्फीला था, वे भी जल्दी ही फ्रीज हो जाएंगे, अगर बचाने वाला समय पर नहीं आया ! नार्थ अटलांटिक बर्फीला महासागर के ऊपर संसार का सबसे मजबूत सबसे मंहगा जहाज टाईटनिक जहाज, कुछ देर पहले, जिसमें सीट रिजर्व करके यात्रा को रंगीन बनाने का स्वप्न देखने वाले, अपने को भाग्यशाली समझने वाले लोग, बिज़नेस क्लास, फर्स्ट क्लास, सेकंड तथा थर्ड क्लास के यात्री, अब वे बिना क्लास के, बिना अमीर गरीब तगमे के, केवल एक ही लाईन में, एक ही मकसद से, जहाज के डेक पर खड़े इन्तजार में खड़े थे, कि ‘कोई चमत्कार हो जाय, कोई देवदूत आकर हमें बचा ले’ ! जो बर्फीले पानी में गिर गए थे, उन्होंने कुछ देर तो ‘बचाओ बचाओ’ का शोर मचाया और फिर सागर की अनंत गहराई में समा गए ! एक लाइफ बोट जो पहले तो टाईटनिक से दूर भागना चाहता था, इसके यात्रियों को डर था की कहीं ये जहाज डूबते डूबते कहीं हमारी बोट को ही न डूबा दे ! लेकिन बोट में कुछ दयालु किस्म के परोपकारी यात्री भी थे, उन्होंने बोट को टाईटनिक की तरफ ही मोड़ दिया ! वे, ये देखना चाहते थे की उसमें जो यात्री रह गए थे उनमें से कोई बचा हुआ भी है या नहीं ! नजदीक आकर उन्होंने देखा की सौ के करीब यात्रियों के शरीर बर्फीले समुद्र में गिरने से फ्रिज होचुके थे, चार अभी भी अंतिम सांस ले रहे थे, उन्होंने उन चारों को समुद्र से निकालकर बोट में लिटाया, उन्हें बचाने का प्रयास किया लेकिन एक जल्दी ही मर गया ! १५ अप्रैल ३:३० AM carpathia नाम के जहाज को इस दुर्घटना की सुचना मिली, उस समय यह घटना स्थल से ९३ किलोमीटर्स दूर था, बड़ी रेस लगाकर पहुंचा था यह मददगार जहाज यात्रियों को बचाने के लिए ! काफी देर होचुकी थी, फिर भी आते ही जहाज के क्र्यू मेंबर्स तथा अन्य लोगों ने आखरी सांस लेने वाले लोगों को किसी न किसी तरह से बर्फीले समुद्र से निकाल कर जहाज में बिठाया ! टाईटनिक जहाज में कुल २,२०६ यात्री थे, जिसमें ज़िंदा बचे ७०५. Carpathia न्यू यॉर्क (अमेरिका) के लिए चल पड़ा ! १८ अप्रैल को यहाँ जहाज के बचे हुए यात्रियों को लेकर यह मददगार जहाज न्यू यॉर्क पहुंचा ! किसी के पास कोई सही खबर नहीं थी, मीडिया वाले वैसे ही हवा में झूठी खबरें उछाल रहे थे, किसी ने लिखा जहाज को दूसरा जहाज टोह करके निकाल ले आया, साथ ही टाइटंनिक जहाज के सारे यात्री बचा लिए गए, कोई कुछ लिखता था कोई कुछ ! सारे यात्रियों के करीब ३०,००० नाते रिश्तेदार वहां न्यू यॉर्क dock पर बड़ी उतावली से अपने सगे सम्बन्धी रिश्तेदारों से मिलने के लिए उतावले हो रहे थे ! सबसे पहले haroldbride नामका बचा हुआ wireless operator लोगों की मदद से जहाज से बाहर निकला ! बर्फ के कारण उसकी दोनों टाँगे बेकार हो चुकी थी ! जो दो बच्चे फ़्रांस से जहाज में चढ़े थे, जिस महिला को जहाज के क्र्यू मेंबर्स ने इन बच्चों की जिम्मेदारी दी थी, उसने कुशल पूर्वक उन्हें फ्रांस में उनकी माँ के हवाले कर दिया ! माँ को अभी तक पता ही नहीं था की उसके बच्चे भी उस अभागे जहाज में यात्रियों में शामिल थे, क्योंकि इस महिला का अपने पति से काफी अर्से पहले तलाक हो चुका था, बच्चों का पिता, बच्चों को किडनेप करके अपने साथ टायटनिक जहाज में ले गया था ! मरे हुए यात्रियों में ३२८ की बॉडी समुद्र से निकाल ली थी ! बहुत सारों की तो पहचान भी नहीं हो पाई ! कर्नल एस्टर का मृत शरीर पहचान में आया, उसके initial उनके शर्ट पर मिल गए थे ! कैप्टेन स्मिथ का मृत शरीर नहीं मिला ! एक रिपोर्ट के मुताबिक़ वे उस समय जहाज में खड़े थे जब जहाज डूबता जा रहा था ! लगता है वे भी जहाज के साथ ही समुद्र में समा गए !

कहा जाता है की टाईटनिक जहाज १२,४६० फ़ीट (३,७९८ मीटर्स ) गहरे बर्फीले समुद्र में डूबा था ! ७३ साल बाद १९८५ में डॉक्टर रोबर्ट बल्लार्ड के नेतृत्व में एक टीम बनाई गयी जो टाइटैनिक जहाज के बारे में जानकारी हासिल कर सके ! डाक्टर रोबर्ट बल्लार्ड एक जाने माने साइंटिस्ट थे, उनहोंने एक नयी तकनीक से एक एर्गो नामक वीडियो कैमरा तैयार किया उसकी सहायत से उन्हें टाईटनिक के बॉयलर समुद्र तल में नजर आए ! टायटनिक में २९ बॉयलर्स थे ! खोज से पता लगा की टायटनिक जहाज टूट कर दो भागों में अलग अलग बंट गया था ! उसके टुकड़े समुद्र की तलहटी में बिखरे पड़े हैं ! दो साल बाद Nautile नामक खोजी जहाज टाइटैनिक की खोज खबर लेने निकला ! नौटिले के दो रोबोटिक भुजाएं थीं ! ये भुजाएं समुद्र में छिपे हर वस्तु को बाहर निकालने में सक्षम थे !इन भुजाओं ने समुद्र तल से करीब हजार चीजें निकाली, खिलौने, आँखों के काले चश्मे, मनी, तथा हीरे जवाहरात, सोने के गहने ! उन्हें समुद्र तल से एक बैग भी मिला जिसमें बहुत सारे डालर, पौंड, यूरो रखे हुये थे ! लगता है ये सारी वस्तुवें टाइटैनिक के अभागे यात्रियों के थे, जो लौट कर घर नहीं आए ! उन्हें साफ़ किया गया चमकाया गया, ताकि उन्हें प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जा सके जो टाइटैनिक जहाज के दिवगंत यात्रियों की सही सूचना बाहर लाने में उन लोगों की मददगार साबित होगी जो इस दुर्घटना की खोज में लगे हैं!
ये दर्द भरी कहानी थी उस टाइटेनिक जहाज की जो १९१२ में सबसे मंहगा, सब जहाज़ों से बड़ा सब सुविधावों से सम्पन और विश्व विख्यात था ! १५ अप्रैल १९१२ को १३०० सम्पन यात्रियों के साथ अटलांटिक बर्फीले महासागर में सदा सदा के लिए
समा गया, छोड़ गया पीछे एक दुःख भरी कहानी ! इति !

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