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धरती तो वही इंसान बदल रहा है !

jagate raho
jagate raho
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[१ ]
धरती तो वही है इंसान बदल रहा है,
कुर्सी पर कभी भ्रष्ट कभी संत नजर आ रहा है,
अरे भैया, संत का चोला याद रहता है,
सूटेड बूटेड दुष्कर्मी जनता से मुंह छिपाता है !
आजादी के बाद पीएम बने एक संत,
देश है उन्नति पथ पर, घूसखोरों का अंत !
चोर लुटेरे भ्रष्टाचारी ढूंढो नरक का पंथ !
केंद्र उत्तर प्रदेश में आगये सच्चे संत !!
सच्चाई की जड़ें, देश में बढ़ती जा रही हैं,
सुरक्षा, सज्जनता, शालीनता का भाव
अंतकरण में नर नारी के धीरे धीरे आ रही है !
[२]
क्या आप भी इस परिवार की माला जप रहे हैं !
वंशवाद को चारा डाल रहे हैं ?
भैया मेरे जरा होशियार रहना,
हमें बताया नहीं, फिर मत कहना !
ये वंशवादवाद जोंक है,
जहां जगह मिली,
वहीँ जड़ जमा देती है,
शरीर के हर भाग में टेलीफोन लाइन विछा देती है !
[३]
आज पार्क में एक बुजुर्ग सज्जन मिले,
हाथ से हाथ मिले,
सियत देखकर हम खुद हिले,
जान पहचान वाद में हुई,
पहले हम गले मिले !
८० के आसपास, मयूर और चक्र आशन लगाते हैं,
पार्क में बच्चे जवान जीव तले ऊँगली दबाते हैं !
आज से आप भी योगासन शुरू कीजिए,
बुढ़ापे में जवानी का आनंद लीजिए !
[४]
“एक खबर”
एक औरत ने डायन बनकर अपनी ही पुत्री का
क़त्ल कर दियाअपने पडोसी प्रेमी से मिलकर !
लड़की का दोष था उसने अपनी डायन रूपी माँ को
पड़ोसी के साथ गलत करते देख लिया था !
डायन और प्रेमी पकड़े गए हैं फांसी लगकर नर्क की
यातना भोगेंगे, या जिंदगी भर जेल में सड़ते रहेंगे !

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