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ओउम संग सत्संग की पहिचान

jagate raho
jagate raho
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कभी कभी मेरा तन कहीं और मन कहीं,
पर मैं दोस्तों को भूलता नहीं !
मैं तो अपनी ही कह रहा हूँ,
आप भूल मत जाना कहीं !
कल कुदरत ने करिश्मा दिखलाया,
मेरी समझ में कुछ नहीं आया,
आज फिर लाफ्टर क्लब ने
ओउम का मतलब बतलाया !
ओउम से जुड़ते हैं लोग,
ओउम से शुरू होता है योग,
ओउम ओउम से शांति मिलती,
बागों में कलियाँ हैं खिलती,
ओउम ही है स्वर्ग की सीढी,
ओउम से तार जाती पीढी !!

आओ ज़रा संग संग होलें,
दिल दिमाग के परदे खोलें,
दिल ही दिल आपस में मिलेंगे,
अंतर बगिया में फूल खिलेंगे,
संगती अनार बन निकलेगा,
मन मिठास ये जिह्वा लेगा !
पर संगति का हो अच्छा जोड़,
कोई न सके जिसको तोड़,
सन्त समागम सदा निराला,
पहननी होगी सत-रंगी माला,
तब होगी सत्संगी पहिचान,
कितना मिला मान सम्मान !
शुभ कामनाओं के साथ हरेन्द्र

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