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आततायी वैदिक आदेशानुसार ६ प्रकार के होते हैं !
विष देने वाला !
पास पड़ोसियों के घरों में आग लगाने वाला !
धोके से घातक हथियारों से मार करने वाला !
दूसरे का धोके से धन लूटने वाला !
दूसरे की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने वाला !
पराई स्त्री पर बुरी नजर डालने वाला, अपहरण करने वाला !
ऐसे आतताइयों को तुरंत जहन्नुम पहुंचा देना चाहिए ! इनका वध करने से पाप नहीं लगता !
महाभारत के युद्ध से पहले जब अर्जुन अपने चहेरे, मौसेरे भाई-बन्दों , जिन्होंने उनके साथ छल कपट करके उनका पूरा राज्य छीन लिया, उनकी पत्नी द्रोपदी का भरी सभा में चीर हरण किया, पाँचों भाइयों को धोके से मारने का षड्यंत्र रचा,
उन्हें युद्ध में मारना पुण्य का काम था, यही ज्ञान भगवान् श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को दिया था ! अर्जुन क्षत्रिय था, साधु प्रकृति हर प्राणी मात्र के दिल में होनी चाहिए पर क्षत्री को कायर नहीं दिलेर होना चाहिए !
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