jagate raho
- 456 Posts
- 1013 Comments
उनके चेहरे की चमक से चक्षु चौंधिया गए,
आँखें खुली, चमक चमक ही रही हसीना का पता नहीं ! १ !
बालकनी की खिड़की पर बिजली चमकी,
सामने वाली खिड़की में हसीना थी खड़ी ! २ !
हे भोला, कर भला इतना,
की शैतान खुद टूटे, बुराई के दम निकले ! ३ !
हे आदमी तू आदमी है, आदमी ही बनके देख,
चित्रगुप्त लिख रहा, तेरे कर्मों का लेख ! ४ !
खुशबू बिखरी, पवन के झोंके से,
कुदरत का करिश्मा था,
गंदगी का झोंका बाबा के आश्रम के हवन से निकला था !,! ५ !
जनक सुतहि समुझाइ करि बहु विधि धीरजु दीन्ह !
चरण कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह !!
चलत महाधुनि
जाइ पुकारे ते सब बन उजार जुबराज,
सुनी सुग्रीव हरष कपि करि आए प्रभु काज !
Read Comments