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आओ शायर बनके शायरी करें

jagate raho
jagate raho
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उनके चेहरे की चमक से चक्षु चौंधिया गए,
आँखें खुली, चमक चमक ही रही हसीना का पता नहीं ! १ !

बालकनी की खिड़की पर बिजली चमकी,
सामने वाली खिड़की में हसीना थी खड़ी ! २ !

हे भोला, कर भला इतना,
की शैतान खुद टूटे, बुराई के दम निकले ! ३ !

हे आदमी तू आदमी है, आदमी ही बनके देख,
चित्रगुप्त लिख रहा, तेरे कर्मों का लेख ! ४ !

खुशबू बिखरी, पवन के झोंके से,
कुदरत का करिश्मा था,
गंदगी का झोंका बाबा के आश्रम के हवन से निकला था !,! ५ !

जनक सुतहि समुझाइ करि बहु विधि धीरजु दीन्ह !
चरण कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह !!

चलत महाधुनि

जाइ पुकारे ते सब बन उजार जुबराज,
सुनी सुग्रीव हरष कपि करि आए प्रभु काज !

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