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आओ हिमांचल प्रदेश चल कर हिम का मजा लें !

jagate raho
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जब भारत आजाद हुआ था १५ अगस्त १९४७ को तो हरियाणा और हिमांचल प्रदेश पंजाब सूबे के अंग थे ! ये दोनों इलाके पिछड़ते जा रहे थे, जब की पंजाब विकास पथ पर दूसरे प्रदेशों से आगे निकलने की कोशिश कर रहा था ! हिमांचल प्रदेश पहाड़ी इलाका, दुर्गम घा टियां लेकिन कुदरत की असीम सम्पदा से ओत प्रोत ! हरियाणा और हिमांचल के निवासियों ने जीवो और जीने दो की तकनीक अपना कर पंजाब से हरियाणा और हिमांचल प्रदेश को अलग राज्य बना दिया ! इन दोनों राज्यों के स्थानीय नेताओं की मेहनत, लगन और राज्य के प्रति वफादारी रंग लाई और केंद्र की सहायता के दम पर प्रगति करते करते उन्नति की पटरी पर विकास की गाड़ी चलाई ! हिमांचल प्रदेश एक प्रकृति रचित धार्मिक प्रदेश भी है ! पौराणिक कथाओं में वर्णित जब शिव पत्नी सति ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने को भस्म कर दिया था तो गुसे में शिव जी के गणों ने सारे यज्ञ को ही नष्ट कर दिया, दक्ष प्रजापति मारा गया ! भारी मन से शिव जी ने अपनी पत्नी का जला हुआ शरीर कंधे पर डाला और इसी प्रदेश की खूबसूरत घाटियों में विचरण करने लगे ! इसी प्रदेश में सति के नौ अंग अलग अलग स्थानों पर गिरे और नौ मंदिर बने ! भक्त गण देश ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में इन मंदिरों की चौखट पर आकर माता सति की याद में शीश झुकाते हैं ! झोली फैलाकर मिन्नतें मांगते हैं ! यहां ऊँचे ऊँचे पर्वत श्रृंखलाएं हैं, विभिन प्रकार की जड़ी बूटियों सहित हजारों लाखों पेड़ पौधों से सज्जित घने जंगल हैं ! बारह महीने पानी से भरे नदी नाले और झर झर करते हुए पहाड़ों से गिरते खूब सूरत झरने भी हैं, जो हिमांचल प्रदेश की सुंदरता पर चाँद लगा देते हैं !

बसंत के आते ही सारी घाटी कुदरती रंग विरंगे पेड़ पौधे फूल पत्तियों से स्वर्ग का अहसाश करवाने लगती हैं ! बड़ी संख्या में पर्यटक गर्मी से त्रस्त होकर पहाड़ों की ओर भागने लगते हैं ! उत्तराखंड में केदारनाथ, गौरीकुंड, बद्रीनाथ, टेहरी, श्रीनगर, मंसूरी, नैनीताल, अल्मोड़ा आदि जगहों पर कुदरती सुंदरता, खूबसूरती से अपने चक्षुओं की रोशनी में इजाफा करने, शुद्ध आक्सीजन से अशुद्ध फेफड़ों में नया संचार करने आते हैं ! बीमार अस्वस्थ बड़ी मुश्किल से इन दुर्गम घाटियों में आते हैं और खुशी खुशी हँसते मुस्कराते हुए स्वस्थ बनकर इन घाटियों से उतर कर वापिस अपने घर जाते हैं ! पिछली बार मुझे भी अपने परिवार के साथ इन मंदिरों के दर्शन करने का अवसर मिला था ! उस पहली यात्रा में मेरी लड़की उर्वशी का परिवार साथ था, दामाद, नीतिका ! शिमला की पहाड़ियों की सैर करने और यहाँ तक जाने वाली मिनी ट्रेन में सफर करने का लुफ्त भी उठाया ! इस बार फिर प्रोग्राम बना, २९ मई को सबेरे ही अपनी कार से हमारी यात्रा शुरू हुई ! इस बार मैं मेरी पत्नी, लड़का बृजेश, बहु बिंदु पोती आर्शिया और पोता अर्णव इस यादगार यात्रा में शामिल थे ! उसी दिन हम हिमांचल प्रदेश की सरहद में दाखिल हुए और रात को विकासपुर के एक होटल में विश्राम किया ! अगले दिन सबेरे कुल्लू मनाली के लिए अगले पड़ाव के लिए यात्रा शुरू की ! कुल्लू होते हुए खूबसूरत दृश्यों से अपने आँखों की रोशनी बढ़ाते हुए हम शाम लगभग ४ बजे मनाली पहुंचे ! यहां एक ऊँची पहाड़ी पर होटल मिल गया था ! ३-४ रोज हमने इन पहाड़ियों की सैर की ! पगडंडियों में चले, ऊंचाई भी नापी ! मार्केट नीचे घाटी में है ! साफ़ सुथरी, सजी सजाई दुकाने हैं ! स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार किया हुआ सामान यहां मिल जाता है ! यहां सारे प्रदेशों से आए हुए लोगों ने अपना बिजिनेस जमा रखा है तथा, प्रदेश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं ! बच्चों के मनोरंजन के लिए यहां बहुत कुछ है ! कुछ तो ऐसे भी इवेंट थे जहां बच्चे ही नहीं जवान और बुजुर्ग लोग भी हिस्सा ले सकते थे ! इन घाटियों में आकर लगता है की पौराणिक कथाओं में स्वर्ग की जो कल्पना की गयी है वह यहीं है, यहीं है; यही है !

पूरी यात्रा में अच्छी सड़कें, सफाई, जगह जगह विश्राम स्थल, पानी की व्यवस्था थी ! यहां सरकारें कभी भाजपा की तो कभी कांग्रेस की रही है और दोनों पार्टियों ने इस प्रदेश को अच्छे से अच्छा प्रशासन देने का प्रयास किया है ! वैसे भी हिमांचल प्रदेश पर कुदरत मेहरवान है, हजारों किस्मके रंग विरंगे फूलों से सजाकर पर्यटकों को मुस्करातो फट ने पर मजबूर कर देती हैं, किस्म किस्म के सेब खिला कर पिचके गालों को लालिमा प्रदान कर के गालों में उभार और चहरे में कुदरती मुस्कान भर देती है ! ये हाल तो ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते तक हिमांचल की वादियों में विचरने वाले पर्यटकों का है फिर बताओ जो स्वयं हिंमाँचली हैं और रोज यहां के वातावरण, शुद्ध वायु, शुद्ध पानी, और शुद्ध नेचुरल बाग़ बगीचे, पेड़ पौधों से मित्र बनकर रहते हैं उनके चेहरे कैसे होंगे, वे कितने स्वस्थ, सुखी और बहादुर होंगे ! भारतीय सेना में डोगरा नाम की रेजिमेंट हिमांचल प्रदेश के बहादुरों से सुसज्जित है और हर संघर्ष में पाकिस्तान जैसे कट्टर दुश्मन को लोहे का चना चबवा चुके है ! प्रदेश के सैनिक भारतीय सेना के दूसरे डिपार्टमेंटों में भी जैसे एओसी,एएससी, एएमसी, आर्टिलरी, आर्म्ड कोर में अपनी सेवा दे रहे हैं और प्रदेश के नाम पर चार चांद लगा रहे हैं ! ४ जून को हम इन पर्वत शिखरों से नीचे उतरे और चंडीगढ़ के लिए सुबह सबेरे अपनी वापिस यात्रा पर चल पड़े ! उस दिन शाम को चंडीगढ़ पहुंचे ! और ५ जून को करीब ५-६ बजे के लगभग दिल्ली अपने निवास स्थान पहुंचे ! यहाँ आते ही उसी चिरपरिचित गर्मी से फिर से मुलाक़ात हुई ! ऐसा लगा जैसे गर्मी ब्यंग कस्ते हुए कह रहा हो “क्यों जी बर्फीली टीलों का लुफ्त तो ले कर आए हो जरा, गर्म लू का प्रशाद भी ग्रहण कर लो !” पाठको इन स्थानों में घूमने फिरने का मजा बरसात से पहले है, वारीष होते ही सारा यात्रा का मजा किरकिरा होजाता है ! समाप्त हरेंद्र

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