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छोटों को आशीष बड़ों को प्रणाम,
है सामने आपके हरेंद्र रावत नाम !
गणतंत्र दिवस की सबको बधाई,
सोसायटी के कर्णधार अब बांटेंगे मिठाई !
दिल खोलके गणतंत्र दिवस मनाओ
ले तिरंगा हाथ में नील गगन छुवाओ !
आओ मिलकर गणतंत्र दिवस मनाओ !
हाथों से हाथ, दिल से दिल मिलावो,
ये शुभ मुहूर्त है पडोसी को भी गले लगाओ !
नजर झुकावो और देखो क्या खोया क्या पाया,
इस पर विचार करें, भारत कितना आगे आया !
देश की सुरक्षा हेतु सैना ने कितना बलिदान दिया,
कितने आतंकियों का हमने काम तमाम किया !
कितने कदम हमारे थे, कितने और मिले !
कितने मुरझाये ताजे फूल, कितने और खिले !
कितनी सुगंध फैली बगिया में कितनी बगिया उजड़ी,
कितनों ने मंजिल पाई अपनी, कितने पीछे मुड़ी !!
इतिहास गवाह है,
एकता में बल है, एकता का धर्म निभावो,
गणतंत्र दिवस पर तीन खम्बों को और मजबूत बनाओ !
विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका संग,
तीनों खम्बे मजबूत रहेंगे तभी बरसेंगे बसंती रंग !
एकता पर हमारे पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई जी की कविता के कुछ पंक्तियाँ पढ़ रहा हूँ, कृपया ध्यान दें !
बाधाएं आती हैं आएं, घिरे प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे, सर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हँसते हँसते आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा !
हास्य रुदन तूफानों में, अमर असंख्य बलिदानों में,
उद्यानों में वीरानों में, अपमानों में सम्मानों में,
उन्नत मष्तक उभरा सीना, पीड़ावों में पलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा !
आजकल के समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ट आगजनी, हत्याएं, लूट डकैती, आतंकवाद , महिलाओं का सील हरण, बच्चों का अपहरण, नन्नी बच्चो के साथ कुकर्म करके हटाय जैसे रोंगटे खड़ी करने वाली खबरें पढ़ने को मिलती हैं !
आजादी के बाद “जागृति” फिल्म आई थी, जिसने सोई हुई आत्मा को जगाया था ! उसका एक गाना मुझे बहुत पसंद आया तथा उसके बोल आज भी मेरे कानों में गूँज रहे हैं !
आने वाली पीढ़ी के लिए सन्देश 1
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा
इसको हृदय के खून से शहीदों ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के, इस देश को…
दुनिया के दांव पेंच से रखना ना वास्ता
मंज़िल तुम्हारी दूर है लम्बा है रास्ता
भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के, इस देश को…
ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के, इस देश को…
आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिंडोलों पे मगन होके ना झूलो
अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
उठो छलांग मार के आकाश को छूलो,
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के,
इस देश को रखना मेरे बचो संभाल के !
हंसी के गोल गप्पे
आओ हंसो ज़रा खिलखिलाओ,
टेंशन के भूत को दिल से भगाओ,
जैन साहेब के चेहरे पे नजर टिकाओ,
सुरमई चेहरे पे नजर न लगाओ !
आओ हंसो ज़रा खिलखिलाओ !
कुछ ऐसा करो, हर कोई मुस्कराए,
चेहरा वो देखो खुद हंसी आए,
लाफ्टर क्लब के सदस्य बनो,
सियत बने कुछ ऐसा करो,
हँसते हँसते जयहिंद कहो !
देश की आजादी में सबसे पहला नाम आता है मंगल पांडे का, जिसने ब्रिटिश आर्मी में रहते हुए संन अठारसौ सतावन में में पहली बार
आजादी का बिगुल बजाय था और शहीद होगया था ! फिर सुभाष चंद्र बोष हैं “मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” लेकिन देश का दुर्भाग्य ही
कहा जाएगा की जिनका योगदान नगण्य होते हुए भी सत्ता पर काविज होगये और असली आजादी के हीरो साइड किये गए ! नेताजी सुभाष चंद्र बोष
की जय ! उनके जन्म दिन २३ जनवरी को सच्चे देश भक्तों ने उन्हें याद किया ! लाला लाजपतराय, अंग्रेजों द्वारा लाठियों से मारे गए, भगतसिंघ, सुखदेव,
राजगुरु, देश की आजादी के लिए, हँसते हुए जय हिन्द जय हिन्द कहते कहते, फांसी पर ;लटक गए, ऐसे शुभ अवसर पर जिनके खून से ये बगीचा
आज हरा भरा है, भुलाए गए हैं ! शहीदों के नाम पर इंडिया गेट पर जय जवान जय किसान पर पुष्प गिराए गए, अगर मन में उनको किसी ने याद किया
होगा तो उन्हें भी ये प्रसाद मिला होगा ! हरेंद्र
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