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फूल खिले हैं वाटिका में, चमेली और गुलाब,
अति सुन्दर ये वाटिका, जैसे हो कोई ख़्वाब ! ,
पुष्प वाटिका खिलखिला रही है,
खुशबू पार्क में फैला रही है,
पूछा मैंने फूलों से,’क्या है राज की बात’ ?
गले से गले मिल रहे ले हाथों में हाथ !
बोला गुलाब का फूल है राज की बात
गण तंत्र दिवस मनाने की लिए आए हैं हम साथ !
तिरंगा फहराएंगे, जन गण मन गीत जाएंगे,
मास सोसाइटी में धूम मचाएंगे,
राजपथ पर भारतीय सैनिक परेड करेंगे,
आधुनिक अस्त्र शस्त्र टैंक फाइटर,
राज पथ पर सजेंगे !
२१ तोपों की सलामी राष्ट्रपति को देंगे,
हर प्रदेश की झांकियाँ फोकडान्सर,
अपना करतब दिखलाएंगे,
घर बैठे टीवी पर हम भरपूर आनंद लेंगे ! जय हिन्द जय भारत
हम लाएं हैं तूफ़ान से किस्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के !
ये ही हैं वो देश के सच्चे सपूत जो इस देश की सीमाओं से ही नहीं घर के अंदर के दुश्मनों से भी देश की रक्षा पर
अपने प्राण न्योछार कर रहे हैं ! ये नेम और फेम में उन क्रिकेटियरों से बहुत आगे हैं जो छः बाउलों में छः; छक्के लगा करके
वाह वाही लूट लेते हैं, चंद महीनों में ही करोड़ पति अरब पति बन जाते हैं ! मैं सैलूट करता हूँ उन वतन पर मर मिटने वालों को !
आज उत्तरी कोरिया अपने खतरनाक रसायनिक हथियारों से पूरी विश्व की आँख की किरकिरी बना हुआ है, लेकिन उसके भूँकने पर
कोई नकेल नहीं लगा पा रहा है ! उसके ऊपर प्रतिबन्ध लगाने से भी कोई असर नहीं पड़ा बल्कि अब तो वह अमेरिका को खुली चुनौती
दे रहा है ! क्या विश्व के शक्तिशाली राष्ट्र तब जागेंगे जब वह कोई बड़ा हादसा कर देगा ?
बरेली के नवासबगंज नगर पालिका
शेरो शायरी
उनके चहरे पर सुलगते अंगारों की झलक है,
लगता है लाल मिर्च या बीबी की मार खाकर आए हैं !
हम तानाशाह बनकर दूसरों को झुकाना चाहते हैं,
एक बार खुद झुक कर देखो, सारे अपने हो जाते हैं !!
नेता जी गए सरयू में गोता लगा गए,
पता लगा की गमछा तो लाए ही नहीं !!
ऊंचाई नापने के लिए ऊपर चढ़ना चाहिए,
चढ़ो तभी, यकीन उतरने का भी हो !
गैरसैण राजधानी उसी दिन से शुरू होगई थी जिस दिन ‘उत्तराखंड’ बना था,
कही मुख्य मंत्री और उनके सिपाहाळासार मंत्री आये, ऊंची ऊँची पोस्टों पर संत्री आये,
विधान सभा में भाषण देने वाले बड़े तोपची आए, धमाका करने वाले प्रतिपक्ष भी सरकार
चलाने वाली पार्टी का कुर्ता खींचने वाले आये, लेकिन कोई भी “गैरसैण” को राजधानी,
नहीं बना पाए ! एक पीढ़ी के बाद अब दूसरी पीढ़ी गद्दी पर आसीन होने लगी है,
लेकिन नयी राजधानी की तारीख अभी दूर कड़ी है ! जय बद्री विशाल !
भूखे को को खाना मिले, प्यासे को पानी !
अंधे को आँखें मिले, अर गूंगे को वाणी !
अर गूंगे को वाणी, स्वर में हो मिठास,
बिमार की छूटे नहीं जीने की आस !
कहे रावत कविराय, इस अभियान में हम भी हाथ वटाएं,
विश्व विरादरी में भारत अपना सबसे आगे आये !
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