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अपना देश (कविता)

jagate raho
jagate raho
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चलो चलते हैं अपना देश,
ये भी अपना देश है जहां बच्चे रहते हैं,
मैं नहीं कहता, शास्त्र कहते हैं !
दिल्ली में एक पोता पोती,
अमेरिका में दो पोते,
कैरियर बना रहे ये सारे जब दूसरे हैं सोते !
हम तो हैं रमता जोगी जाते आते हैं,
खुशी मन से आकर भारी मन से जाते हैं !१ !
क्योंकि इंसान को मिट्टी से प्यार है,
जहां ठहरता दो दिन,
बन जाते वहीं यार हैं, क्योंकि इंसान को मिट्टी से प्यार है !
धरती की मिट्टी मिट्टी है,
चाहे अमेरिका हिन्दुस्तान की,
ब्रिटेन, फ्रांस या आस्ट्रेलिया,
या अफगानिस्तान की !
फिर जिस देश में बच्चे रहते हैं,
नाना नानी, दादा दादी कहते हैं,
बुजुर्गों के जीने का यही आधार है,
इंसान को मिट्टी से प्यार है ! २ !
अमेरिका में रहने वाले ये भारत के लोग,
आज आए हैं मिलने हमसे ये शुभ संयोग !
ये शुभ संयोग, करते सारे योग,
प्राणायाम की नई विधियों का करते हैं प्रयोग !
कहे रावत कविराय अमेरिका में मिला स्नेह और प्यार,
ऐसे सज्जन जिंदगी में मिले बारम्बार ! ३ !
याद आएंगी हमको ये मखमली घास,
लाल, पीले, हरे गुलाबी फूलों की सुवास,
फूलों की सुवास गगन चुंबते वृक्ष,
मस्तानी हवाएं खुश होरहे, यक्ष !
कहे रावत कविराय आशीष बच्चे और जवानों को,
चेहरों पर मुस्कान रहे बुजुर्ग मेहमानों को ! ४ !
ये दिन यादगार बने आओ गले मिलते हैं,
दिल से खिलखिलाते हैं जैसे फूल खिलते हैं !
सुबह कामनाओं के साथ -हरेंद्र रावत

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