jagate raho
- 456 Posts
- 1013 Comments
जिंदगी की इन राहों में पैदल भी चला,
दौड़ भी लगाई है,
विश्वाश की लड़ी, ह्रदय में लगाके,
पीछे मुड़ के नहीं देखा, बढ़ता ही रहा हूँ,
कभी जीता तो कभी हारा भी हूँ !
पर मैं मन से कभी नहीं हारा,
ये तो नीले छतरी वाले का रचा है,
खेल सारा !
जब जवान था, दौड़ता था,
उम्र के साथ पैदल चलने लगा हूँ,
“सुख दुखे समे कृत्वा लाभा लाभों जयाजयौ,
ततो, युद्धाय युज्वस्व नैव पापमवाप्स्यसि”
कृष्ण ज्ञान की माला गले से लगा रहा हूँ ! हरेन्ड
Read Comments