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नशा भांग धतूरे का!

jagate raho
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एक दिन सज्जन मिले मुझे बड़े बाजार में,
चेहरे पर मुस्कान थी थे लगजरी कार में !
ये थे खुशी क्षण जिन्हें वे जीना चाहते थे,
मौज मस्ती करने को कुछ पीना चाहते थे !
यहीं उनसे हुई चूक वे भांग धतूरा पी गए,
जेब भरी थी रुपयों से सब भांग वाले ले गए !
कुछ क्षण बीते मस्ती में, फिर सिर घूमने लगा,
वे कीचड़ में गिर गए अपनों ने भी दे दिया दगा !
जींदगी बदल गई, रहते सदा उदास हैं,
पत्नी भी है बच्चे भी हैं पर कोई न पास हैं !
नशा कोई भी हो दुश्मनी ही निभाता है,
इंसान को हैवान बनाकर स्वयम खिलखिलाता है !
नव जवानो से गुजारिस संभल के चलना चाहिए,
रास्तों के कंकड़ों से बचकर निकलना चाहिए !
भांग, धतूरा, दारू वीअर मुंह नहीं लगानी चाहिए,
ईश्वर ने बनाया इंसान तुमको इंसान रहना चाहिए !
हर किसी को है हिदायत सजग रहना चाहिए,
चौराहे की ग्रीन लाईट पर ही क्रॉस करना चाहिए !

-हरेन्द्र रावत पूर्व सैनिक

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