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ये किस्सा मुझे कोटद्वारा गढ़वाल, उत्तराखंड से निकलने वाली साप्ताहिक दुंदुभि (6 जनवरी से 19 जनवरी) के अंक में पढ़ने को मिली है !
सोचा चलो फेस बुक के साथियों से शेयर कर लूँ ! कहानी इस प्रकार है !
“नेपोलियन बोनापार्ट के आदेशानुसार फ्रांसीसी तट पर सभी अंग्रेज़ी जहाजों को पकड़ रखा था ! उन्हीं में 17 वर्ष का एक नाविक लेनार्ड भजी था ! दूसरे दिन इंग्लैंड से आया एक और लड़का पकड़ा गया ! जब उसे लेनार्ड वाले कटघरे में बंद किया गया तब उसने एक पत्र लेनार्ड़ को दिया, जिसमें लिखा
था, ‘माँ बहुत बीमार हाई ! उसकी आखरी तमन्ना लेनार्ड को देखने की है !’ लेनार्ड उसी रात वह जेल की सलाखें चौड़ी करके भाग निकला, पर पकड़ा गया ! अब की बार उसके पैरों में बेड़ियाँ दाल दी गई ! उसने इस बार भी धीरे धीरे बेड़ियाँ काट डाली ! वह फिर भागा और पकड़ा गया ! हिहम्मत करके लेनार्ड तीसरी बार भी भागा, पर दुर्भाग्यवश पकड़ा गया !
अगले ही दिन नेपिलियान से लेनार्ड के भागने का जिक्र किया ! लेनार्ड को पेश किया गया ! नेपोलियन ने पूछा, ,लड़के ऐसी कौन सी चीज है जो तुझे बार बार भागने की हिम्मत बँधाती है’ ! लेनार्ड ने आँखों मेँ आँसू भरकर कहा, ‘शिमान ! मेरी माँ मर रही है, मरने से पहले वह मुझे देखना चाहती है !’ नेपोलियन ने अपनी जेब से सोने का सिक्का निकालकर लेनार्ड को दिया और जेल अधिकारियों से बोला, ‘इसे जाने दो, इसको माँ की ममता खींच रही है, मेरे जैसे सौ नेपोलियन भी इसे रोक नहीं पाएंगे’ ! प्रस्तुति निशा सहगल
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