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मैं अमेरिका में हूँ

jagate raho
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इस साल मैं अपनी पत्नी के साथ १४ जून २०१६ मंलवार को सुबह २.३० पर इंद्रा गाँधी एयरपोर्ट से लुफ़्तांसा एयर लाइन द्वारा अमेरिका के लिए रवाना हुआ ! जर्मनी के फ्रांकफर्ट में प्लेन उतरा वहां के समय ७.१५ पर ! दो घंटे बाद फ्रांकफर्ट से ९.१५ बजे डबल डेकर ऐरो प्लेन से आगे न्यूयार्क के लिए चले ! १४ को ही अमेरिका के कैनेडी एयर पोर्ट न्यूयार्क में ३.३० पीएम पर पहुँच गए ! वहां राजेश लेने के लिए आया हुआ था ! उसके साथ दादा दादी को लेने हमारे दोनों पोते आत्रेया और वेदांत भी एयर पोर्ट आए हुए थे ! यहां आते ही ३-४ दिन तो पार्टियों में सलग्न रहे, कभी, अंजू के घर पर तो कभी युद्धवीर के घर पर ! युद्धवीर के घर पर तो कविता शायरी भी हुई ! हिंदुस्तान के करीब सारे आईआईटी इंजिनियर प्रशिक्षित जो यहां अमेरिका में सेवारत हैं,पार्टी में सामिल थे ! इनके अलावा डाक्टर वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर, आर्किटेक, टेक्नीशियन भारतीय, जो यहीं के होकर रह गए हैं भी सामिल थे ! मौसम बहुत सुहाना है, कभी कभी तो हल्की सी ठण्ड महसूस होती है ! कालोनी के दक्षिण पूर्व में कृत्रिम पहाड़ी, उसके ऊपर लंबा चौड़ा मखमली घास से सजा सजाया सुन्दर पार्क जिसके चारों ओर पेड़ और विभिन प्रकार के रंग विरंगे फूलों के पौधे लगे हैं ! फूल भी कमाल के एक ही छोटे से पौधे पर कभी सफ़ेद तो कभी लाल फूल उग आते हैं, झड़ते हैं और नए खिलते रहते हैं, सदा बाहर फूल ! सुबह की सूरज की किरणें जब इन पर पड़ती है तो उस समय याद आती है काश्मीर के बारे में किसी शायर के ये शब्द, “अगर सचमुच में कहीं धरती-आकाश में स्वर्ग है तो “यही है यही है यही है” ! कमाल तो तब होता है की सुबह के ८ साढ़े आठ बजे तक भी इस खूबसूरत पहाड़ी पर उगते सूरज के दर्शन करने को कोई दिखाई नहीं देता ! लेकिन मैं हमेशा अपनी पत्नी के साथ इस कुदरत का नजारा देखने जरूर आता हूँ ! यहां सुबह कभी घने तो कभी हलके बादलों से आसमान ढका ही रहता है ! पूरब में जब सूरज की किरणे फैलने लगती है तो बादलों के परदे के पीछे छिपे सूरज का करिश्मा ही बड़ा रोमांचकारी नजर आने लगता है ! कभी तो लगता की कुदरत ने एक बहुत ही सुन्दर सिटी का निर्माण किया है, जगमगाते हुए बिजली के पावरफुल बल्ब , सुन्दर सुन्दर खूबसूरत हटनुमा मकान, बाजार, सड़कें,साइड में बहती नदी, लंबे चौड़े लहलहाते खेत, शहर खूब सूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जहां से झरने नदी में गिर रहे हैं, बड़ी सी झील, तालाब ! याद आया भगवत कथा में ‘नारद मोह’ का सीन ! देव ऋषि नारद को अपने ब्रह्मचर्य पर गर्व होगया था, वे विष्णु के धाम क्षीर सागर में पहुंचे और, विष्णु भगवान् से बोले, “प्रभु मैंने सब इच्छाओं का त्याग कर दिया है, साथ ही ब्रह्मचर्य धर्म का पालन कर रहा हूँ, आज मेरे बराबर तीनों लोकों में इच्छाओं का त्यागी, ब्रह्मचारी कोई नहीं है, आप इसका प्रमाण पत्र मुझे दें “! विष्णु बोले “ठीक है अगले दिन आना, प्रमाण पत्र तैयार मिलेगा” ! नारद जी को रास्ते में एक ऐसी ही रंग बिरंगी शानदार कुदरती सम्पदाओं से सजी संवरी किसी राजा की राजधानी नजर आई ! नारद जी ने उधर जानेवाले राजकुमारो से उस राज्य के बारे पूछा, उनहोंने नारद जी को बताया की यहाँ के राजा की एक बहुत ही खूबसूरत सब गुणों से सम्पन कन्या है आज उसका स्वयंबर है, वह अपना पति चुनेगी ! उसके भाग्य में विष्णु रूप का राजकुमार ही उसका पति होगा ! नारद मुनि राजकुमारी के सौंदर्य को देखकर मोहित होगये और उलटे पाँव विष्णु जी के दरवार में उनका रूप लेने के लिए गए, “प्रभु मुझे हरी रूप प्रदान
करें “, प्रभु बोले तथास्तु, वे भागते हुए उसी नगरी में पहुंचे जहां स्वयंबर हो रहा था ! राजकुमारी हाथों में माला लिए वहां आई जहां देश विदेशों के राजकुमार एक से एक बढ़ कर खूबसूरत वहां पहुंचे थे ! राजकुमारी जब उस लाइन में पहुँची जहां नारद जी बैठे थे, नारद जी ने अपनी गर्दन लंबी की ताकि राजकुमारी उनके गले में वर माला डाल दे ! राजकुमारी ने उनकी तरफ अजीब सी नज़रों से देखा और आगे निकल
गयी ! नारद जी की बगल में शंकर भगवान् के दो गण (सेवक) भी बैठे हुए थे, वे नारद जी को देखकर हंस रहे थे ! राजकुमारी ने विष्णु रूपी राजकुमार, जो स्वयं विष्णु ही थे, उनके गले में वर माला डाल दी और दोनों हाथ मिलाकर चलते बने ! उधर शंकर जी के गणों ने नारद जी को शीशा दिखाकर उनको विष्णु द्वारा दिया हुआ बन्दर का रूप दिखा दिया ! यह देखकर नारद जी गुस्से से लाल पीले होगये और जाकर विष्णु जी को इंसान की योनि में जाने का श्राप दे गए ! भगवान् बोले ‘ नारद जी, आपने हरी रूप मांगा था, मैंने हरी (बन्दर) का रूप आपको दे दिया, खैर आपके श्राप को मैं सहर्ष स्वीकार करता हूँ’! श्राप देकर नारद जब वापिस उस नगरी में आए, जहां कुछ देर पहले बड़ी चहल पहल थी, स्वयंबर हो रहा था, लेकिन अब तो वहां न कोई चल पहल थी, वहां तो कोई नगरी ही नहीं थी ! वो तो भगवान् जी ने अपने भक्त का गर्व तोड़ने के लिए ये माया नगरी बसाई थी ! यह देखकर नारद जी को अपनी गलती का अहसास हुआ, अब वे क्षमा माँगने फिर विष्णु जी के दरवार में पंहुचे ! ऐसे ही सूर्य द्वारा रची यह माया नगरी भी देखते ही देखते उजाड़ दी गयी, जैसे किसी बड़े रईस ने ये पूरी सिटी खरीद ली है और उसे उजाड़ कर उसपर अपने व्यापार चलाने के लिए कुछ और ही बनाना चाहता हो, लेकिन ये तो कुदरत का खेल है इंसान को जगाने के लिए, ‘की जो तू आज देख रहा है, अपना समझ रहा है, ये सब एक ऐसा ही स्वप्न है, जो इसी बस्ती की तरह टूट जाएगा’ ! मत तोड़ गरीबों की बस्ती, मत छीन उसके बच्चों का बचपन, रोटी ! याद आई, डायनासोरों का युग, उनकी हड्डियों के ढांचे, कहीं कहीं तो उनके अंडे भी मिले हैं, कहाँ गए वे शक्तीशाली जीव ? याद आई, हड़प्पा और मोहन जोदड़ो और सिंधु घाटी की खुदाई और उसमें से निकले एक पुरानी उजड़ी हुई संस्कृति से जुड़े चिन्ह ! इस धरती पर इंसान हर बार आता रहा, चार युगों का इतिहास लिखता रहा, चार योगों का एक चक्का घूम जाता है फिर प्रलय होती है, उस प्रलय में इंसान द्वारा अर्जित की गयी, उसका ज्ञान- विज्ञान, साहित्य, संस्कृति,धन दौलत, नई नई खोजों का ऐल्बम, इमारतें, महल चौबारे, बाग़ बगीचे, बम परमाणु बम बनाने की विधि,” महाभारत-रामायण काल के अग्निवाण, शक्तिबाण, ब्रह्मास्त्र, पुष्प विमान ये भी तो इंसान के दिमाग की रचना थी”, सब नष्ट हो जाता है ! कुछ अग्नि के भेंट चढ़ जाते हैं, कुछ बाढ़ में बह जाता है बाकी ज्वालामुखी से, भूकंप से धरती में दब के रह जाता है, हिरोसीमा नागासाकी की तरह इंसान की जमापूंजी परमाणु बमों से मिनटों में स्वाह हो जाता है, कुछ वर्ड टावर ११० – ११० मंजिलें गगन चूमती मल्टी स्टोरीज बिल्डिंगों की तरह धराशाही होजाती हैं, इंसान के दुश्मन आतंकी के द्वारा, जिस थाली में खाते हैं उसी पे छेद कर जाते हैं ! अगर शाहरुख़ खान को अमेरिका एयर पोर्ट पर रोका जाता है तो अमेरिका गार्ड क्या गलती करती है ? हरेक देश को सुरक्षा को ध्यान में रखकर हरेक यात्री की जांच पड़ताल तो करनी ही पड़ती है ! कही भारतीयों को रोका गया है यहां एयर पोर्टों पर, फिर स्पेशल शाहरुख खान पर ही हाय तोबा क्यों ? इतिहास दोहराता है, फिर नई संस्कृति जन्म लेती है, वही चक्र चार युगों की साईकिल फिर चलती है, नए लोग धरती पर आते हैं, वे भी खुदाई करते हैं, पुरानी संस्कृति से सीखते हैं और नया आविष्कार, चमत्कार करते हैं ! वही तो दृश्य दिखाता है रोज सूरज उदय होते हुए और जब अस्त होता है, यही हमारे, वेद, पुराण गीता कहती है ! विद्वान समझ जाते हैं, मुर्ख देखते भी नहीं ! इससे एक शिक्षा मिलती है, आए थे बंद मुट्ठी से और जाओगे खुले हाथ, फिर ये भ्रष्टाचार का पाप क्यों ? सिकंदर महान ने जो विश्व विजय करके करोड़ों का माल असबाब लूटा बहुत खून खराब किया, केवल ३९ वर्ष जिया और मृत्यु के समय अपने मंत्रियों को कह कर गया की “मेरी अर्थी उन वैद्यों के कन्धों पर ले जाना, जो मेरा इलाज कर रहे थे, लेकिन बचा नहीं सके, मेरे दोनों हाथों को कफ़न से बाहर लटका के रखना, ताकि ये दुनिया वाले देख सकें की विश्व विजेजा सिकंदर खाली हाथ स्वर्ग जा रहा है ” ! किसके लिए ये पाप की भ्रष्टाचार की कमाई जमा कर रहे हो, अपने आने वाली पीढी के लिए ? अगर वे शराबी, जुवारी, ड्रगवाज हुए, तुमसे पहले चलते बने, या तुम्हे किसी बाढ़, किसी ऊंची चटान पर लटका कर चले गए, फिर क्या करोगे ? क्यों कि पाप की कमाई का असर बच्चों और रिस्तेदारों पर होता है, जिसने भी इसका इस्तेमाल किया है, बुरा ही करेगा, भला कर ही नहीं सकता ! बबूल के पेड़ पर तो कांटें ही निकलेंगे, फूल नहीं ! मवेशी चारा खाया, करोड़ों कमाया, गरीबों के हिस्से की दवाइयां बेची, विकलांगों के लिए सरकारी पैसे एनजीओ के नाम पर स्वयं हजम कर लिए, बोफर्स गने तथा वीवीआईपी के लिए हेलीकाफ्टर खरीदने के लिए कमीशन के नाम पर अरबों का घोटाला कर दिया, नेशनल हेराल्ड घोटाला अभी कोर्ट में पेंडिंग पड़ा है, कुर्सी का फायदा उठाकर मैडम के दामाद को किसानों से सस्ते दामों पर जमीन दिलाकर रातों रत अरबपति बनवा दिया, किस किस का हिसाब दोगे जब ऊपर वाले के कोर्ट में पहुंचोगे ? एशियाड गेम्स घोटाला तो ताजा ताजा है, इंसानी कोर्ट से छूट भी गए, लेकिन आगे डंडा लिए यमराज जो खड़े हैं, उनसे कैसे बचोगे ?

यहां अमेरिका में देखने, करने और सुनने को बहुत कुछ है ! किसी ऊंची पहाड़ी पर हैकिंग करते जाओ, टेढ़े मेढ़े रास्तों से, चट्टानों के ऊपर चढ़ कर वहां विस्तृत हरा भरा मैदान, झील. नदी नाले, कुदरती सम्पदा आसमान छूते लंबे पेड़, पौधे विभिन रंगों से अलंकृत फूल पत्तियां नजर आएंगी ! सब तरफ सफाई, न कोई, पौलिथिन के टुकड़े नजर आएँगे, न कचरा ! यहां देश विदेशों के लाखों करोड़ों लोग सर्विस करते हैं, लेकिन सभ्य बनकर रहते हैं ! सफाई में सब योगदान देते हैं ! पानी, चाहे नदी नाले का पानी है या ग्राउंड वाटर या फिर वारिष का, रिसाइकिलिंग होता रहता है ! कभी सोचता हूँ, इस देश को बनाने में भगवान् ने जल्दवाजी नहीं की है ! बड़े बड़े दिमागधारी इंजीनियरों, आर्किटेक की मदद ली गयी होगी ! देवताओं के इंजिनियर विश्वकर्मा ने इस देश की पहले रूप रेखा बनाई होगी फिर जाकर इसे बनाकर अमेरिका नाम धराया होगा ! इंसान ने शहर-कस्बे बसाए भविष्य को ध्यान में रखकर ! आज किसी भी चहल पहल वाले शहर या कस्बे में चले जाओ, न कोई जाम, न पार्किंग की समस्या, हाई वे पर तो कोई लालबत्ती ही नहीं है, क्योंकि हर आधे या किलोमीटर पर एक फ्लाईओवर है ! हाई वे की सड़कें 8 से १० लेंन की हैं, केवल, कार, जीप जोंगा, और बसें नजर आएंगी, सारे अपनी अपनी लेंन पर चलती हैं ! भारी भरकम ट्रक दिन के १० बजे से चार बजे तक हाइवे पर नजर नहीं आते ! जंगलों के बीच में शानदार सब सुविधाओं से लैस ढाई सौ से एक हजार मीटर पर दो मंजिले मकान, बेसमेंट, गैरेज, स्वीमिंग पूल कार पार्किंग और खूबसूरत बगीचा, १५-२० फ़ीट अप्रोच रोड, बच्चों के लिए टेनिस, बास्केट बॉल कोर्ट मिल जाते हैं ! हर ५ किलोमीटर के फैसले पर प्राइमरी स्कूल हैं, १० किलोमीटर के अंदर १२ वीं तक की स्कूलें हैं ! कालेज के लिए दूर जाना पड़ता है, स्वयं की कार या फिर,बसें, मेट्रो हर वक्त तैयार मिलती हैं ! ज्यादातर इंजिनियर डाक्टर, प्रोफ़ेसर, वकील, वैज्ञानिक इन जगहों पर रहना पसंद करते हैं ! यहां घने जंगल हैं पर खरगोश, मोटी मोटी गिलहरियां और पार्कों में विचरण करते पक्षियों के अलावा कोई भालू बन्दर या जंगली जानवर नजर नहीं आता ! न कोई चोरी, डकैती का ही खतरा है ! जहां सोसाइटीज हैं वहां भी हरेक मकान दोमंजिले, बेसमेंट, आगे पीछे गार्डन, दो गाड़ियों के लिए गैरेज के अलावा अलग से कार पार्किंग और पीछे मखमली घास से ढका, पेड़ पौधों सहित, सारे फ्लैटों को जोड़ने वाला, लंबा चौड़ा पार्क हैं ! इनका अपना सोसाइटी का एक ग्रुप है, आफिस है, फंक्शन या पार्टी करने के लिए बड़ा हॉल वाला मकान है, जहां मैनेजमेंट में चुने हुए लोग हैं, जो स्वीमिंग पूल, खेलने के टेनिन और बास्केट बाल कोर्ट, बच्चों के खेलने के पार्कों तथा पहाड़ी की सुंदरता को बनाए रखने के लिए कर्मचारी रखते हैं ! पार्कों और बाग़ बगीचों में आटोमेटिक फुहारे लगे हुए हैं जो सारे, पेड़ पौधे, घास को नियमित तौर पर सींचते हैं ! हफ्ते में दो बार पूरी पहाड़ी और पार्क बगीचों की घास पर मशीन फिराई जाती है ताकी घास बराबर, मुलायम और अनैच्छिक घास से रहित रहे ! बच्चों के लिए सरकारी बसें है, जिनमें अच्छे पढ़े लिखे, सभ्य और सुन्दर स्वभाव के चालक हैं, गाड़ी नियत समय पर आपके घर के सामने खड़ी होजाती है, बच्चा पहले ही तैयार रहता है, स्कूल से छुट्टी होते ही गाड़ी बड़ी सावधानी से बच्चे को आपके दरवाजे पर उतार जाती है ! पढ़ाई का स्टेंडर्ड काफी ऊंचा है ! स्कूलों में अच्छी पढी लिखी, बच्चों को प्यार से पढ़ाने वाले टीचर्स हैं, महिलाएं ज्यादा हैं ! बच्चों का ध्यान इंगलिश, मैथ्स, साईंस, बाइलॉजी, कुदरती वातावरण पर केंद्रित किया जाता है ! ताकी बच्चे जैसे ही १२वें क्लास से निकलें, वे अपने भविष्य में “क्या बनना है”, निर्णय खुद ले सकें ! भाषा इंग्लिश और स्पेनिश का इस्तेमाल किया जाता है ! यहां बच्चों को न तो टीचर्स न माता पिता ही डाट सकते हैं, मारने की तो बात नहीं ! अगर किसी टीचर या मां-बाप ने कभी बच्चे को हल्का सा डाट भी दिया तो बच्चे पुलिस को फोन कर देते हैं, मिनटों में पुलिस का गार्ड आपके दरवाजे पर हाजिर हो जाता, थाने जाकर वार्निंग के साथ मुंह लटका कर आना पडेगा ! बच्चों का कैरियर बनाने के लिए हर स्कूल के नजदीक बड़ी बड़ी लाइब्रेरी हैं जहां हर विषय पर पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं ! बच्चे अपने घर में भी अंग्रेजी में ही बातें करते हैं ! लेकिन हमारे दोनों पोते, एक १३ साल का और दूसरा ९ साल; का है दादा -दादी से घर में हिंदी में ही बात करते हैं जबकि मम्मी-पापा से अंग्रेजी में बोलते हैं ! वृद्धों के लिए सरकार की तरफ से सब सुविधावों से सम्पन वृद्ध आश्रम हैं, जहाँ समय समय पर उनके खान-पान, रहन सहन और स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है ! कोलंबस ने नई दुनिया ढूंढी १४९२ में, था इटली का लेकिन उसे भेजा स्पेन के कैथोलिक राजा ने ! आज यहां सारी दुनिया के लोग अपनी अपनी संस्कृति, धर्म, परम्पराओं के साथ यहां मजे से रह रहे हैं, अपनी शिक्षा और विद्वता के बल पर उच्च से उच्च पोस्टों पर ईमानदारी और बफादारी से इस देश की सेवा कर रहे हैं और पैसा और इज्जत काम रहे हैं ! यहां जहां चर्च हैं तो मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा भी करीब हरेक प्रदेश में हैं ! भारतीयों के बड़े बड़े रेस्टोरेंट हैं और बड़े बड़े सौपों के मालिक भी हैं ! इस तरह हर देश का इंसान अपने ढंग से जी सकता है ! विभिन देशों, विभिन प्रान्तों के लोग हैं लेकिन सारे सभ्य, जागरूक अमेरिका के नागरिक हैं ! कोई नहीं कहता की मैं केलिफोर्निया, न्यूयार्क या न्यूजर्सी का हूँ ! यही इस देश की प्रगति का राज है, इसीलिये ये आज सारे विश्व का सिरमौर है ! ब्रिटेन से आजाद हुआ १७७६ – १७८१ में और १९१४-१८, १९३९-१९४५ के विश्व युद्धों में मित्र राष्ट्रों का कमांडर था ! जापान को तबाह किया जर्मनी के हिटलर को मारकर उसे दो भागों में बंटवा दिया ! यहां केवल दो राजनीतिक पार्टीज हैं ! विपक्ष संसद में कुत्ते बिल्लियों की तरह नहीं लड़ते, सारे राजनेता, देश के विकास में योगदान देते हैं, अच्छे काम की सराहना होती है ! भारत की तरह नहीं की आजादी के ६७ साल बाद मोदी जी ने सता क्या संभाली की सारा विपक्ष आपस में मिल गए, क्योंकि सबकी ऊपरी इनकम बंद होगयी है, विकास कार्यों को नजरअंदाज कर जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है ! ! अभी हाल ही में एक खबर के मुताबिक़ कांग्रेस राज के ४४००० हजार करोड़ रूपये ईरान के मोदी जी ने चुकाए हैं ! यहां अमेरिका में हर चार साल बाद नए राष्ट्रपति का चुनाव होता है ! इस बार ०८ नवम्बर २०१६ को होगा ! एक राजनेता को केवल दो चांस मिलते हैं ८ साल का, इसके बाद वह तीसरी बार चुनाव में सामिल नहीं हो सकता ! अब के मिसेज हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रम्प मैदान में हैं ! मिसेज क्लिंटन के चांसेज ज्यादा हैं !
पिछले हफ्ते न्यूयार्क से बाहर घूमने निकले, वरमोंट स्टेट, न्यूयार्क लौंग आइलैंड के उत्तर पूरब में एक बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी घाटी में बसा है ! अपनी ही कार थी, ६ घंटे की ड्राविंग के बाद एक रिसोर्ट में पहुंचे जहां पहले ही बुक किये दो रूम थे ! साफ़ सुथरा, सब सुविधाओं से सज्जित, तीसरा मंजिल मिला था ! वहीं पर लांड्री, खाना, चाय नास्ता घंटी दबी की मांग पूरी ! सामने नीचे स्टोवे गोंडोला स्काई राइड का स्टेशन था ! होटल के कस्टमरों के लिए गंडोला सफर फ्री था ! गंडोला स्काई राइड की लंबी ट्रिप सबसे ऊंची पहाड़ी माउंट मैनफील्ड तक जाने के लिए किराया देना पड़ता है ! यहां समर वेकेशन के लिए देखने करने के लिए बहुत कुछ है इस लिए आजकल काफी रस रहता है होटलों में १५-२० दिन पहले ही बुकिंग करवानी पड़ती है ! वहां हिंदुस्तानी रेस्टोरेंट भी था जहां हमने एक डिनर किया था ! बहुत स्वादिष्ट हिंदुस्तानी खाना था ! माउंट मैनफील्ड से सीधे नीचे आने के लिए वाइट रिवर ज़िप लाइन है, इस पर लटकर सैलानी पुरे हैलमेट और राइड वाला ड्रेस पहिनकर ज़िप टूर का मजा ले सकते हैं ! मैंने, बेटे राजेश, बहु काजल और बड़े पोते आत्रेय ने भी इसमें भाग लिया !@ बड़ा रोमांचकारी ट्रिप था ! तार पर लटककर नीचे गहरी खाई के ऊपर से बड़ी स्पीड से भागना, स्वयं ब्रेक लगाना, स्पीड घटना बढ़ाना ! हैकिंग से पहाड़ी पर गए वहां भी हरियाली, मखमली घास, गोल्फ ग्राउंड ! कुदरत ने तो इस पर्वतीय प्रदेश को अपने रंगों से अलंकृत किया ही था, मनुष्य ने भी अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए इसकी सुंदरता पर चार चाँद और जड़ दिए है ! यहां का रोमांचकारी, साहस पूर्ण विभिन प्रकार के कारनामों को यादों की पोटली में बांधकर पांच दिन मजे करने के बाद हम वापिस अपने घर आए ! हरेन्द्र

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