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१२ दिसम्बर को राहुल गाँधी सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने गया ! कारण गुजरात में, विधान सभा चुनाव में गुजरात की भोली भाली जनता को दिखाना की मैं “खानदानी हिन्दू हूँ और मंदिरों में मेरी आस्था है ” ! चुनाव के बाद इन्हें आप लोग कभी फिर दुबारा मंदिर में तिलक लगाते नहीं देखोगे ! लोग उनकी पहिचान पर भी ऊँगली उठा रहे हैं,उनकी दादी ने पारसी से शादी की ! आजादी मिलते ही गांधी जी के कारण, नेहरू भारत के प्रथम प्रधान मंत्री बन गए, इनके कृत्यों के बारे में किसी की हिम्मत नहीं हुई उंगली उठाने की, कुछ सालों को छोड़ कर अभी तक यही परिवार छाया रहा केंद्र की सत्ता पर ! हाँ नरसिंघा राव ने कांग्रसी होते हुए इस परिवार के दबाव से अलग रह कर केंद्र का शासन चलाया था, बाकी या तो परिवार ही सत्ता पर छाया रहा या फिर २००४ से २०१४ तक एक मौन वर्ती बाबा को कठपतली बनाकर शासन की चाबी अपने पास रखी ! कहते हैं की फिरोज खान ने इंद्रा जी की माँ कमला नेहरू की बिमारी की हालत में सेवा की थी, साथ ही जब इंद्रा गांधी स्वयं बीमार पड़ी तो उनकी भी उचित देखभाल करने की जिम्मेदादारी फिरोज खान के कन्धों पर थी ! इस परिवार ने वंशवाद का बीज बोया हिन्दुस्तानी राजनीति में, और यह फैलता ही चला गया ! वंशवाद की नीव पड़ी इसी परिवार से ! इसकी जड़ें बढ़ती गयी, यूपी, बिहार, उड़ीसा,जम्मू काश्मीर तक !
हिंदुत्व और राहुल गांधी !
अभी तक राहुल गाँधी को पता ही नहीं था की वह हिन्दू है, मुसलमान है, या पारसी है ! क्योंकि वे मंदिरों में गुजरात में चुनाव प्रचार के दिनों में ही दिखाई दिए हैं, उसके बाद वे शायद ही किसी मंदिर में माथा टेकने गए होंगे या भविष्य में जाएंगे ! वैसे वेब साइट में देखने से पता लगता है की जवाहर लाल नेहरू के दादा जो बाद में गंगाधर नेहरू से जाने जाते थे उनका असली नाम गयासुद्दीन था ! उनके परिवार की उत्पति का संक्षिप्त इतिहास गूगल से लिया गया है ! फिर भी पाठक गणों के पास और जानकारी हो तो शेयर करें !
नेहरू परिवार उत्पत्ति का संक्षिप्त इतिहास
नेहरू परिवार का सम्बन्ध मूलत: कश्मीर से है। नेहरू ने अपनी आत्मकथा मेरी कहानी में इस बात का उल्लेख किया है कि स्वयं फर्रुखसियर[3] ने उनके पुरखों को सन् सत्रह सौ सोलह के आसपास दिल्ली लाकर बसाया था। दिल्ली के चाँदनी चौक में उन दिनों एक नहर हुआ करती थी। नहर के किनारे बस जाने के कारण उनका परिवार नेहरू के नाम से मशहूर हो गया।
अपने दादा गंगाधर के विषय में नेहरू ने लिखा है कि वे अठारह सौ सत्तावन के गदर के कुछ पहले दिल्ली के कोतवाल थे। गदर में हुई भयंकर मारकाट की वजह से उनका परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया और खानदान के तमाम कागज़-पत्र और दस्तावेज़ तहस-नहस हो गये। इस तरह अपना सब कुछ खो चुकने के बाद उनका परिवार दिल्ली छोड़ने वाले और कई लोगों के साथ वहाँ से चल पड़ा और आगरा जाकर बस गया।
अठारह सौ इकसठ में चौंतिस साल की भरी जवानी में ही वह मर गये। अपने दादा गंगाधर की एक छोटी सी तस्वीर का जिक्र करते हुए नेहरू ने लिखा है कि वे मुगलिया लिबास पहने किसी मुगल सरदार जैसे लगते थे।[4] वकौल नेहरू उनके दादा की मौत के तीन महीने बाद 1861 में उनके पिता मोतीलाल नेहरू का जन्म आगरे में हुआ। उनके पिता सहित पूरे परिवार की परवरिश उनके चाचा ताऊओं ने की।
1857 के विद्रोह से पहले मोतीलाल के पिता मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के जमाने में दिल्ली के नगर कोतवाल थे।
मोतीलाल नेहरू ने पहले वकालत पढ़ी, फिर वकालत की और अन्त में हाईकोर्ट इलाहाबाद आ गये। संयोग से उनके बड़े भाई नन्दलाल नेहरू की मृत्यु हो गयी जिससे उनके सारे मुवक्किल मोतीलाल को मिल गये और उनकी वकालत में पैसा पानी की तरह बरसा। इलाहाबाद में ही उनके बड़े बेटे जवाहर का जन्म हुआ। मोतीलाल नेहरू के मुंशी मुबारक अली[5] बचपन में बालक जवाहर को पुराने जमाने की कहानियाँ सुनाया करते थे कि किस प्रकार उसके दादा को बागियों ने अठारह सौ सत्तावन के गदर में तबाह कर दिया। अगर मुसलमानों ने उनकी हिफ़ाजत न की होती तो नेहरू खानदान का कहीं नामोनिशान तक न होता।[6]
नेहरू–गांधी परिवार का राजनीतिक आधार मोतीलाल नेहरू (1861-1931) ने रखा था। मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील और स्वतन्त्रता सेनानी थे। मोतीलाल नेहरू के पिता का नाम गंगाधर नेहरू और माँ का नाम जीवरानी था।[7] मोतीलाल के पुत्र जवाहरलाल नेहरू (1889-1964) ने स्वतन्त्रता संग्राम में हिस्सा लिया और 1929 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। जवाहरलाल नेहरू गान्धी के काफी करीब थे।
नेहरू के कोई पुत्र न था, उनकी एक पुत्री इंदिरा गांधी थी। जिनका विवाह फिरोज़ गांधी से हुआ और इसी पीढ़ी से ये वंश चल रहा है।
नेहरू का वंश-वृक्ष
Dec 23, 2011 – नेहरू राजवंश की खोज में “मेहदी हुसैन की पुस्तक बहादुरशाह जफर और 1857 का गदर” में खोजबीन करने पर मालूम हुआ कि गंगाधर नाम तो बाद में अंग्रेजों के कहर के डर से बदला गया था, असली नाम तो गयासुद्दीन गाजी था। … मोती लाल नेहरु का इतिहास एवं जवाहर लाल का जन्म :- मोतीलाल (भारत के प्रथम प्रधान मंत्री का पिता ) अधिक पढ़ा लिखा व्यक्ति नहीं था I कम उम्र में विवाह के बाद जीविका की खोज में वह इलाहबाद आ गया था उसके बसने का स्थान मीरगंज थाI जहाँ तुर्क व मुग़ल अपहृत हिन्दू …
Jan 6, 2013 – बोली पंडित जी आप पंडित नेहरू के वंश का पोस्टमार्टम करने आए हैं क्या? हंसकर सवाल टालते हुए कहा कि मैडम ऐसा नहीं है, बस बाल कि खाल निकालने कि आदत है इसलिए मजबूर हूं। यह सवाल काफी समय से खटक रहा था। कश्मीरी चाय का आर्डर देने के बाद वह अपने बुक रैक से एक किताब निकाली, वह थी रॉबर्ट हार्डी एन्ड्रूज … उसी समय यह परिवार भी आगरा की तरफ कुच कर गया। … सभी जानते हैं की राजीव गाँधी के नाना का नाम था जवाहरलाल नेहरू लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के नाना के साथ ही दादा भी तो होते हैं।
शेख अब्दुल्ला के परदादा का नाम बालमुकुन्द कौल था …
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/?p=35223
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Nov 27, 2014 – एकसमाचार के अनुसार कश्मीर के प्रभावशाली नेता कश्मीर के प्रधान मंत्री, बाद मे मुख्य मंत्री बने शेख अब्दुला जी के परदादा का नाम बालमुकुन्द कौल [जन्मजात ब्राह्मण] था ! और कश्मीर के ही जवाहर लाल नेहरू उनके दादा भी मुस्लिम थे. बल्कि एक समाचार के अनुसार मोतीलाल नेहरू भी मुस्लिम थे उनका नाम मोइन ख़ान था जो बाद मे हिन्दू बनकर मोती लाल नेहरू हो गये ! एक समाचार यह भी है मोती लाल नेहरू के भाई भी मुस्लिम थे जिनका नम सालीम ख़ान था उन्ही की संताने शेख अब्दुल्ला थे 1.
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