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छोटों को आशीष बड़ों को प्रणाम,
हरेंद्र सिंह रावत है इस बन्दे का नाम,
इस बन्दे का नाम, दिन है रविवार,
आरएसएस ही लगाएगी हिन्दू नौका पार !
कहे रावत कविराय, जोर से जय श्रीराम बोलो,
आरएसएस की उपलब्धियों का बस्ता खोलो !
अक्टूबर में ही द्वारिका में लगा था एक पौधा,
बड़ा हुआ शाखाएं निकली आज बन गया पेड़ !
पक्षी चहचहाते हैं, नर नारी करते योग,
पार्क की शोभा बढ़ती, भागते सारे रोग !
भागते सारे रोग, मायूस चहरे मुस्कराते हैं,
भगवा ध्वज के आगे जब हम शीश नवाते हैं,
कहे कवि सुनो श्रोताओ, जय भारतमाता की बोलो,
तन से हम हिन्दुस्तानी, मन से भी हिन्दुस्तानी होलो !
ये पौधा था आरएसएस का लेके भगवा रंग,
हिन्दू तो जाग गए हैं प्यारे, बाकी रह गए दंग !
बाकी रह गए दंग, सूर्य नमस्कार करते हैं,
बच्चे, जवान बुजुर्गों के मन में राष्ट्रीय गान भरते हैं !!
आओ द्वारका में आरएसएस शाखा का जन्म दिन मनाएं,
“जय श्रीराम” उद्घोषित करके हिन्दुओं को जगाएं !!
मोहन भागवत, प्रमुख इनके जाना पहचाना नाम,
चिंता करते देश की रोज सुबह और शाम,
रोज सुबह और शाम, ‘भागवत’, है मोहन की वाणी,
मोहन ही श्री कृष्ण हैं, शीश नवाते करण जैसे दानी !
कहे रावत कविराय मिलकर, ऐसा जयकारा लगाओ,
कलेजा फटे दुश्मनों का, पापी गद्दारों को भगाओ !!
जय हिन्द जय भारत – हरेंद्र
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