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समय सदा एक सा नहीं रहता

jagate raho
jagate raho
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एक जमाना था,
बीएसपी मैदाने जंग में
एसपी के खिलाफ थी खड़ी !
दोनों में तू तू, मैं मैं,
सत्ता के लिए थी लड़ाई बड़ी,
कभी मुलायम तो कभी माया,
यूपी सीएम की कुर्सी पर आया !
अचानक मोदी नाम का
झोंका आया,
एसपी, बीएसपी का तम्बू
फिर कहीं नजर नहीं आया ! १ !

माया चल रही थी, नसीरुद्दीन चल रहा था,
दोनों का कुनबा चंदे पे पल रहा था,
दोनों खिसकते गए आगे बढ़ते गए,
मायावती मुख्यमंत्री तक बनी,
सरकारी पैसों से हाथी बने,
सरकारी पार्कों में हाथी ही हाथी
नजर आने लगे !
किसानों की जमीने दबाई गयी,
गरीबों के आंसू माया पी गयी,
अब जनता ने ऐसा धक्का दिया,
चारों खाने पड़ी चित दवा ले लिया !
सत्ता गयी सो गयी,
माया, नसीरुद्दीन में दरार आ गई,
समझलो अबसे पार्टी है ही नहीं !
कुछ दिन एसपी, बीएसपी मंच पर नजर आए,
विपक्ष की संख्या में इजाफा हुआ,
फिर आपस में दोनों की गोली चली,
गठबंधन बोला, “अरे ये क्या हुआ” !
समय सदा एक सा नहीं रहता,
मैं नहीं संत सन्यासी यही है कहता !

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