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स्नेह छलकता है दिल में

jagate raho
jagate raho
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स्नेह छलकता है दिल से, अंजुली में भरलो,
वात्सल्य बांटने वालों को स्नेह का उपहार दो !
प्रेम की दरिया दिल में, दिल दिलों को जोड़ लो,
स्नेह प्यार का उपहास हो, उस राह को छोड़ दो !
ये कुदरत का उपहार है, इसे संभाल लो,
वात्सल्य बांटने वालों को वात्सल्य का उपहार दो !
ये सुन्दर फूल पत्तिया, ख़ूशबू बिखराती हुई,
कलकल स्वरों में बहती सरिता, गीत जाती हुई,
पर्वतों से गिरते झरनों की झमझम झांकलों,
वात्सल्य बांटने वालों को, वात्सल्य का उपहार दो !

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