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हम कितने खुश थे, जब हम बच्चे थे पर अमीर थे

jagate raho
jagate raho
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वो भी क्या दिन थे,
खाली जेब पर हम अमीर थे,
बरसात आते ही हमारे भी दो तीन जहाज
पानी में चला करते थे,
हम कच्छा बनियान में थे
पर हवा में हमारे भी विमान उड़ा करते थे !
स्कूल जाते थे,
मास्टर जी के लिए पहिया दूध ले जाते थे,
होम वर्क की सिर दर्दी से बचे रह जाते थे !
न मुर्गा बनते थे,
न मेढक बनकर छलांग ही लगाते थे !
कभी स्कूल न जाकर नदी किनारे
मच्छली फंसाते, महल बनाते थे,
मास्टर जी को झलक दिखाकर
हाजिरी पक्की करवाते थे !
मुक्त हंसी, हँसते हँसाते थे,
मेरी कमीज फट्टी
उसकी बिलकुल नयी है,
ये उंच नीच का बखेड़ा
हम दिल से नहीं लगाते थे,
जेब खाली पर अमीरों के दिल जलाते थे !
नेता उस जमाने में भी होते थे,
भ्रष्ट घूसखोर न होकर जनता की सेवा करते थे !
काला धन जमाखोरी, नकली डिग्री लेकर
आज की तरह जेल नहीं जाते थे,
न झूठ बोल कर जनता से वोट ही ले पाते थे !
हम नन्ने नन्ने बच्चे भी इन ईमानदार नेताओं के आगे आगे
छोटा सा तिरंगा लेकर चला करते थे,
मंगल में जिंदगी नहीं पर जिंदगी में मंगल
ढूंढा करते थे !
हुनर वाले ही कुर्सी पर बैठ पाते थे,
आज की तरह थर्ड डिवीजन वाला बॉस
और डिस्टिंग्सन वाला चपरासी नहीं बनता था !
इंसान गिरगिट की तरह रंग नहीं बदलता था,
मुकाबला में कोई नहीं था गिरगिट
आत्महत्या नहीं करता था !
पर हमारी सोच इन सबसे ऊंची हुआ करती थी,
कागजों के फाइटरों से हमारी फ़ौज लड़ा करती थी !
हमारे इरादों के आगे चीन-पाकिस्तान
सीमाओं की तरफ नजर नहीं उठा पाते थे,
न आतंकी कराची से आकर
मुम्बई जैसे काण्ड की योजना ही बनाते थे !
हम सुभाष चन्द्र बोष, चंद्रशेखर भगतसिंह के
गुणगाया करते थे,
“सर फरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ”
“मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा,
न मिली आजादी दुश्मन का सिर फोड़ दूंगा ” !
ये शब्द हम गली गली गुनगुनाया करते थे,
बुजुर्ग जवान हमारी पीठ थपथाया करते थे !
यही वो समय था जब हम अमीर हुआ करते थे,
कच्छा बनियान पहने
दो चार वायुयान उड़ाया करते थे !
अब हम बड़े होगए हैं,
नए चहरे फर्जी सनद लेकर मंत्री बनगए हैं !
कालाधन, जमाखोरी, सरकारी खजाने की चोरी,
रेप लूट पाट, ह्त्या सीना जोरी
समाचारों की सुर्खियां बन गयी हैं,
नए चेहरों में कोई शांत मृदुभाषी,
ईमानदार नेता नहीं है !
मोदी जैसे नेताओं से अब आशा जगी है,
भ्रष्ट विपक्ष के दिलों में बिना माचिस के आग लगी है !
जहां भारतमाता का दिल विशाल है,
नरेंद्र मोदी=
दुष्कर्मियों, आतंकी, देश द्रोहियों का काल है !
सोचता हूँ, फ़ौजी पेंशरों के दिन फिरेंगे,
वन रैंक वन पेंशन पाकर उनकी जेब भरेंगे,
मोदीजी के राज में
भारत समृद्ध होगा, विश्श्व गुरु की कुर्सी संभालेगा,
पाकिस्तान का आतंकवाद,
चीन की दादागिरी दूम दबाकर भागेगा !
भारत माँ विश्व गुरु का टैग सीने पर टाँगूगा,
किसी ने मेरी इच्छा पूछी तो मैं
सैनिक की ही कैप मांगूगा !
अभी भी ज़िंदा है बचपन की अमीरी,
कि कभी हम भी अमीर हुआ करते थे,
हमारे उड़ाए फाइटरों से चीन पाकिस्तान डरते थे !! हरेन्द्रसिंह रावत

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