- 329 Posts
- 1555 Comments
आज की फास्ट लाइफ में हर कोई आगे निकलने की सोच रहा है. चारों ओर भयंकर गलाकाट प्रतियोगिता का दौर जारी है. भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड में नंबर एक की पोजीशन के लिए आस्ट्रेलिया से भिड़ी पड़ी है. तो हमेशा खबरों में रहने वाली दिल्ली में दुनिया भर के प्लेयर्स में मेडल्स के लिए मारामारी मची हुई है. एक मेडल्स की आस में प्लेयर्स के साथसाथ समर्थकों की सांसे थमी हुई है. फिल्म वाले भी एकदूसरे से आगे निकलने के लिए यूपीबिहार लूटने के बाद अब मुन्नी को बदनाम करने में तुले हुए है तो हमारे राजनीतिज्ञों ने इस होड़ में भगवान को भी नहीं बख्शा, उन्होंने तो हद तब कर दी, जब भगवान राम को कोर्टकचहरी तक खींच लाए. वह तो भला हो कोर्ट का जिसने भगवान राम को राजनीति के कीचड़ से बाहर निकाल कर उन्हें उनकी जन्मभूमि उपलब्ध करवा दिया. घर-घर में घुसे चैनल्स को ही देख लीजिए, सासबहू से लेकर बच्चों तक नहीं छोड़ा, बच्चे जो थोड़ा बहुत पढ़ाईलिखाई कर भी लेते थे उनके पीछे बिगबॉस को लगा दिया. पढऩे-लिखने वालों को तो बचपन से लेकर एक अदद नौकरी पाने के लिए हर स्तर पर कम्प्टीशन फाइट करना पड़ता है. अब हम क्यों पीछे रहते लेखन की दुनिया में बने रहने को बेताब कुछ भी लिखने को तैयार बैठे रहते है. पर अफसोस होता है इस भागदौड़ में हम अपनी संस्कृति, अपनी परम्पराएं, उसूलों को ही खोते जा रहे है. पता ही नहीं चलता आखिर हम किस ओर जाना चाहते है, कभी सोचता हूं कि हमने क्या-क्या खो दिया, जो अब हमको कभी वापस नहीं मिलेगा. वह कहते है कि स्पीड़ अच्छी बात है, पर उस पर कंट्रोल बहुत ही अच्छी बात है और आज किसी का किसी पर कोई कंट्रोल नहीं रहा है. सब अपनी मर्जी से जी रहे है. देश की चिंता किसको और कितनी है, यह तो जगजाहिर है, पर यह तय है कि प्रतियोगिता के दौर में बस येनकेनप्रकारेण आगे निकलने की कोशिश में हमने बहुत कुछ खो दिया है.
Read Comments